1 जुलाई 1991 से 30 अप्रैल 1996 के बीच 66 करोड़ रुपये के लिये चला था केश

अभियोजन पक्ष के मुताबिक इस दौरान जयललिता की कुल ज्ञात आय सिर्फ 9,34,26054 रुपये थी जबकि इस दौरान उन्होंने कुल खर्च 11,56,56833 रुपये किया।
दिवंगत जयराम जयललिता ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहने के दौरान 1 जुलाई 1991 से 30 अप्रैल 1996 के बीच 66 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की जो कि उनके आय के ज्ञात स्त्रोत से बहुत अधिक थी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक इस दौरान जयललिता की कुल ज्ञात आय सिर्फ 9,34,26054 रुपये थी जबकि इस दौरान उन्होंने कुल खर्च 11,56,56833 रुपये किया। नई दिल्ली, ब्यूरो। दिवंगत जयराम जयललिता ने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहने के दौरान 1 जुलाई 1991 से 30 अप्रैल 1996 के बीच 66 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की जो कि उनके आय के ज्ञात स्त्रोत से बहुत अधिक थी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक इस दौरान जयललिता की कुल ज्ञात आय सिर्फ 9,34,26054 रुपये थी जबकि इस दौरान उन्होंने कुल खर्च 11,56,56833 रुपये किया। इससे साबित होता है कि जयललिता ने लोकसेवक रहते हुए आय से बहुत अधिक गैरकानूनी संपत्ति अपने नाम से और शशिकला, सुधाकरण व इलावरसी के नाम एकत्रित की थी। उन पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा चला। शशिकला सुधाकरण व इलावरसी को लोकसेवक को भ्रष्टाचार के लिए उकसाने और उसकी साजिश रचने के जुर्म में सजा सुनाई गयी है। सुधाकरण शशिकला की बड़ी बहन का बेटा है जिसे जयललिता ने पहले गोद लिया था उसकी ठाट-बाट से शादी की थी और बाद में जयललिता ने उसे बेटा मानने से इन्कार कर दिया था। इलावरसी शशिकला के बड़े भाई की पत्नी है। तीनो ही जयललिता के साथ उनके घर पर रहते थे।  यह भी पढ़ें: पन्नीरसेलवम समेत 20 नेता AIADMK से बर्खास्त, पलानीस्वामी विधायक दल के नए नेता भ्रष्टाचार पर जताई चिंता सुप्रीम कोर्ट ने समाज में बढ़ते और जड़े जमा कर बैठे भ्रष्टाचार पर गहरी चिंता जताई। जस्टिस अमिताव राय ने भ्रष्टाचार पर अलग से फैसला दिया है। उन्होंने कानून को धोखा देकर छद्म कंपनियों की आड़ में गैर कानूनी तरीके से संपत्ति अर्जित करने पर रोष जताते हुए कहा है कि अपार संपत्ति बनाने के लिए कैसे गहरी साजिश होती है इसका यह उदाहरण है। जिंदगी के हर पहलू में जिस तरह से भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है वो एक रोग के समान हो गया है जिसके सामने आम आदमी असहाय है। यह भी पढ़ें: तमिलनाडु: राज्यपाल से मिले पलानीस्वामी, सरकार बनाने का दावा पेश किया भ्रष्टाचारियों को सजा नहीं मिलना राष्ट्र के तत्व को खत्म कर रहा है। भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर प्रयास करने होंगे। इसके साथ ही जस्टिस अमिताव राय ने सार्वजनिक जीवन से जुड़े जन प्रतिनिधियों को यह सीख दी है कि उन्हें संविधान के मुताबिक बिना किसी भय और द्वेष के हर किसी की भलाई के लिए सच्चाई के साथ काम करना चाहिये। देश के नागरिकों से भी कहा है कि हमारे पूर्वजों ने जिस आजाद भारत की परिकल्पना की थी उसे पूरा करने के लिए उन्हे सिविल आर्डर बनाने में हिस्सेदार बनना होगा। - See more at: http://www.jagran.com/news/national-run-case-on-jayalalithaa-for-the-66-million-property-15528169.html#sthash.VgeCaYTC.dpufअभियोजन पक्ष के मुताबिक इस दौरान जयललिता की कुल ज्ञात आय सिर्फ 9,34,26054 रुपये थी जबकि इस दौरान उन्होंने कुल खर्च 11,56,56833 रुपये किया। इससे साबित होता है कि जयललिता ने लोकसेवक रहते हुए आय से बहुत अधिक गैरकानूनी संपत्ति अपने नाम से और शशिकला, सुधाकरण व इलावरसी के नाम एकत्रित की थी। उन पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा चला। शशिकला सुधाकरण व इलावरसी को लोकसेवक को भ्रष्टाचार के लिए उकसाने और उसकी साजिश रचने के जुर्म में सजा सुनाई गयी है।

सुधाकरण शशिकला की बड़ी बहन का बेटा है जिसे जयललिता ने पहले गोद लिया था उसकी ठाट-बाट से शादी की थी और बाद में जयललिता ने उसे बेटा मानने से इन्कार कर दिया था। इलावरसी शशिकला के बड़े भाई की पत्नी है। तीनो ही जयललिता के साथ उनके घर पर रहते थे।

भ्रष्टाचार पर जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने समाज में बढ़ते और जड़े जमा कर बैठे भ्रष्टाचार पर गहरी चिंता जताई। जस्टिस अमिताव राय ने भ्रष्टाचार पर अलग से फैसला दिया है। उन्होंने कानून को धोखा देकर छद्म कंपनियों की आड़ में गैर कानूनी तरीके से संपत्ति अर्जित करने पर रोष जताते हुए कहा है कि अपार संपत्ति बनाने के लिए कैसे गहरी साजिश होती है इसका यह उदाहरण है। जिंदगी के हर पहलू में जिस तरह से भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है वो एक रोग के समान हो गया है जिसके सामने आम आदमी असहाय है।

भ्रष्टाचारियों को सजा नहीं मिलना राष्ट्र के तत्व को खत्म कर रहा है। भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर प्रयास करने होंगे। इसके साथ ही जस्टिस अमिताव राय ने सार्वजनिक जीवन से जुड़े जन प्रतिनिधियों को यह सीख दी है कि उन्हें संविधान के मुताबिक बिना किसी भय और द्वेष के हर किसी की भलाई के लिए सच्चाई के साथ काम करना चाहिये। देश के नागरिकों से भी कहा है कि हमारे पूर्वजों ने जिस आजाद भारत की परिकल्पना की थी उसे पूरा करने के लिए उन्हे सिविल आर्डर बनाने में हिस्सेदार बनना होगा।

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