हो जाए सावधान! ये बीमारियां बन सकती है ब्रेन हेम्रेज का कारण

नई दिल्‍ली।  बीमारी कोई भी हो बस सही समय पर अगर पता चल जाए तो ठीक रहता है।  कई बार हमें बीमारी का पता नहीं चल पाता और सही समय पर इलाज न हो पाने से वो भयानक रूप धारण कर लेती है।  जोकि जानलेवा साबित हो सकती है और एक दिन ब्रेन हेम्रेज का कारण बन जाती हैं। इन्हें साइलेंट किलर डिजीज बीमारी भी कहा जाता है।  जो चुपचाप शरीर में घर कर जाती है।  इन बीमारियों से हार्ट अटैक, ब्रेन हेम्रेज के साथ अंधे होने की तक की आशंका रहती है। आइये जानतें है कि कौन सी बीमारियां साइलेंट किलर होती हैं-

 

ब्रेन हेम्रेज के लिए कई बीमारियां जिम्‍मेदार है। लेकिन कुछ प्रमुख जैसे हाई ब्लड प्रेशर व डायबिटीज है। जिनकी वजह से ब्रेन हेम्रेज होने का खतरा बना रहता है। सबसे पहले बात करते है हाई ब्लड प्रेशर की-

हाई ब्लड प्रेशर

हाई ब्लड प्रेशर के दो मुख्य कारण होते हैं। पहला प्राइमरी, जिसमें समस्या या तो आनुवांशिक कारणों से होती है या फिर तनाव के कारण। लगभग 90 प्रतिशत लोगों में यह बीमारी प्राइमरी कारणों से ही होती है। सेकेंडरी कारण में, किसी अन्य अंग के विकार के कारण व्यक्ति हाई ब्लडप्रेशर का शिकार हो जाता है। हालांकि ऐसा केवल 10 प्रतिशत लोगों में देखा जाता है। इस रोग के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं।

हाई ब्लड प्रेशर के खतरे, इलाज व बचाव

इस रोग के गंभीर मामलो में ब्रेन हेम्रेज, हार्ट अटैक, किडनी फेल्यॉर, आंखें खराब होने वाला लकवा आदि होने की आशंका होती है।

इस रोग के इलाज में मरीज की जांच आदि कर फैमिली हिस्ट्री, उम्र, जुड़ी हुई बीमारियां व शारीरिक प्रकृति देखकर रोगी दवा दी जाती है। और जीवनशैली से जुड़े जरूरी बदलाव करने की सलाह दी जाती है।

रोग का बचाव करने के लिए प्रतिदिन 5 ग्राम से अधिक नमक का सेवन न करें, अधिक चिकनाईयुक्त पदार्थ न खाएं, घी व नॉनवेज, तेज मसालों और फास्ट फूड आदि से परहेज करें। फल व सलाद को डाइट में शामिल करें। व्यायाम व मेडिटेशन को अपनी दैनिक क्रिया बनाएं।

आमतौर पर यह बीमारी किसी मनुष्य को दो रूपों में परेशान करती है, टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज़। टाइप-1 डायबिटीज में शरीर के अंदर इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। वहीं टाइप-2 डायबिटीज में शरीर बने हुए इंसुलिन का ठीक से प्रयोग कर पाने में असफल हो जाता है। लगभग 90 प्रतिशत लोग टाइप-2 डायबिटीज के शिकार होते हैं।

डायबिटीज के प्रमुख कारण, खतरे, इलाज व बचाव

डायबिटीज़ के मुख्य कारणों में आनुवांशिक कारण, शारीरिक श्रम की कमी, अधिक कार्बोहाइड्रेटयुक्त भोजन का सेवन, अधिकांश समय घर के भीतर ही रहना आदि हैं। इसके लक्षणों में तेजी से घटता वजन, थकान, अत्यधिक प्यास लगना, घाव जल्दी न भरना, पैरों में झनझनाहट होना, आंखों में धुंधलापन आदि शामिल होते हैं।

इस बीमारी के गंभीर होने की स्थिति में आंखों में अंधापन, दिमाग को लकवा, किडनी फेल्यॉर, आंखों में अंधापन, हृदय संबंधी बीमारियां आदि का खतरा होता है।

इस रोग के इलाज में मरीज के रोग की स्थिति व गंभीरता के हिसाब उसे दवाएं व इंसुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं। साथ ही जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव की सलाह दी जाती है।

रोग से बचाव के लिए 40 साल की आयु हो जाने के बाद समय-समय पर चिकित्सा जांच अवश्य कराएं। संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम करें व टहलें। नियमित व्यायाम जरूरी डायबिटीज से बचने व इससे डील करने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इन बीमारी के अलावा थायरॉइड का बिगड़ा रूप भी ब्रेन हेम्रेज व अन्य गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। बदलती जीवनशैली और शरीर में एंटीबॉडीज बनने से यह रोग होता है। बदलती जीवनशैली इसका मुख्य कारण है, अतः इससे बचने के लिये खान-पान व दिनचर्या में सकारात्मक बदलाव करें।

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