हुड्डा अगले सियासी कदम को लेकर रणनीति बनाने में जुटे, जानें उनके सियासी करियर का हाल
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपनी आगे की सियासत की रणनीति में बनाने में जुटे हुए हैं। वह यहां समर्थक नेताओं के साथ 25 सदस्यीय कमेटी के गठन के बारे में चर्चा करने में व्यस्त हैं। हुड्डा और उनके समर्थकों के तेवर व इसके साथ कांग्रेस आलाकमान का रुख उनके अलग राह अपनाने की ओर इशारा कर रहे हैं। हुड्डा ने साफ कहा है कमेटी जो फैसला करेगी वह उसे मानेंगे। हुड्डा यदि कांग्रेस छोड़ते हैं तो हरियाणा में विपक्षी राजनीति के समीकरण बदल सकते हैं। हुड्डा से पहले भी कई दिग्गज नेता कांग्रेस को छोड़कर अलग पार्टी बना चुके हैं। इनमें दो तो मुख्यमंत्री भी बने।
चौधर पाने को देवीलाल, बंसीलाल, राव बिरेंद्र और भजनलाल जैसे दिग्गजों ने भी छोड़ी थी कांग्रेस
हरियाणा में राव बिरेंद्र सिंह, चौधरी बंसीलाल और भजनलाल जैसे दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस को अलविदा किया था। तीनों ने अपनी पार्टियां बनाईं और इनमें से दो राव बिरेंद्र और बंसीलाल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचे। यदि भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस छोड़ते हैं तो वह भी इन नेताओं की सूची में शामिल हो जाएंगे।
चौधरी बंसीलाल चौधरी देवीलाल
रोहतक में हुई परिवर्तन महारैली में हुड्डा ने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया और यहां तक कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस अब पहले जैसी नहीं रही। इसके बाद माना जा रहा है कि हुड्डा के इस रुख से राज्य में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। इस रैली में ऐलान किया गया कि हुड्डा और उनके समर्थकों के अगले कदम के बारे में फैसला एक 25 सदस्यीय कमेटी करेगी। इसके बाद सोमवार को नई दिल्ली में हुड्डा ने कहा कि इस समिति का गठन जल्द ही किया जाएगा। कमेटी जो कहेगी वही करुंगा। कमेटी राजनीति छोड़़ने को कहेगी तो वह भी छोड़ देंगे।
हुड्डा कांग्रेस छोड़कर किसी नए राजनीतिक दल के बैनर तले 2019 के विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो यह देखने वाली स्थिति होगी कि क्या कांग्रेस की दशा और दिशा पर असर पड़ेगा। लोगों की इस पर भी नजर है कि अलग पार्टी बनाने पर हुड्डा के साथ अभी समर्थन में खड़े13 विधायकों में से कितने उनके साथ रहेंगे। इसके अलावा यह भी रोचक सवाल है कि क्या हुड्डा इनेलो के साथ महागठबंधन कर सकते हैं। यही कारण है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा से लेकर हुड्डा के समर्थक और विरोधी कांग्रेसी भी उनके हर कदम पर नजर रख रहे हैं।
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राव बिरेंद्र सिंह और बंसीलाल कांग्रेस छोडऩे के बाद बने थे मुख्यमंत्री
परिवर्तन रैली के बाद माना जा रहा है कि हुड्डा अलग पार्टी बनाने की ओर कदम बढ़ा चुके हैं। यदि वह कांग्रेस छोड़कर अलग पार्टी बनाते हैं तो राज्य में ऐसा करने वाले तीसरे पूर्व मुख्यमंत्री होंगे। बंसीलाल और भजनलाल ऐसा करने वाले दो पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। इसके अलावा चौधरी देवीलाल ने भी कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाई और हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। अन्य नेता तो बाद में कांग्रेस में लौट आए, लेकिन देवीलाल ने इसके बाद जीवनपर्यंत कांग्रेस विरोध की राजनीति की।
हरियाणा गठन के बाद पहले चुनाव में ही अहीरवाल के दिग्गज नेता राव बिरेंद्र सिंह ने कांग्रेस छोड़कर विशाल हरियाणा पार्टी बनाई। वह 24 मार्च 1967 को हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। राव बिरेंद्र सिंह की यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चली और वह भी बाद में कांग्रेस में लौट आए। राव बिरेंद्र सिंह 2 नवंबर 1967 यानि 224 दिनों तक मुख्यमंत्री पद पर रहे।
इसके बाद राज्य की ‘चौधर’ पाने को चौधरी बंसीलाल ने कांग्रेस छोड़कर हरियाणा विकास पार्टी का गठन किया और वर्ष 1996 से 1999 तक भाजपा से गठबंधन कर सरकार चलाई। इससे पहले वह दो बार 1968 और1985 में हरियाणा में कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री रह चुके थे। बंसीलाल ने वर्ष 1990 के दौरान कांग्रेस में पूर्व सीएम भजन लाल के बढ़ते प्रभाव के कारण पहले हरियाणा विकास मंच बनाया और फिर 1991 में विधानसभा चुनाव हरियाणा विकास पार्टी के बैनर तले लड़ा। उस समय उनके 12 विधायक जीते थे। इसके बाद 1996 में उन्होंने भाजपा से मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा और सीएम बने।
बाद में 2005 में बंसीलाल और उनके पुत्र सुरेंद्र सिंह ने हरियाणा विकास पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। वर्ष 2005 में पूर्व सीएम भजन लाल ने चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस हाईकमान द्वारा भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम बनाए जाने के बाद बागी तेवर दिखाए। वर्ष 2008 में चौधरी भजन लाल ने अपने पुत्र कुलदीप बिश्नोई के साथ कांग्रेस छोड़कर हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया था। भजन लाल के निधन के बाद कुलदीप बिश्नोई भी कांग्रेस में लौट चुके हैं।
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के खिलाफ सिर्फ बंसीलाल, भजन लाल के बाद अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही मोर्चा खोल रहे हैं। पूर्व सीएम चौधरी देवीलाल ने भी चौधर के लिए कांग्रेस छोड़ी थी। देवीलाल, राव बीरेंद्र सिंह और बंसीलाल ऐसे नेता रहे जिन्होंने कांग्रेस छोड़ने के बाद भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पाई। चौधरी देवीलाल के बारे में खास बात यह है कि उन्होंने या उनके राजनीति वारिस पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने कभी विपरीत परिस्थितियों में भी वापस कांग्रेस की ओर रुख नहीं किया।