हिरासत में युवक की मौत के मामले में सरकार ने पुलिस अधीक्षक हटाया, उप अधीक्षक सहित दस पुलिसकर्मी निलंबित

 चूरू जिले के सरदारशहर में सात जुलाई को पुलिस हिरासत में युवक की मौत के मामले में सरकार ने पुलिस अधीक्षक राजेंद्र कुमार को हटा दिया है। उन्हें पदस्थापन आदेश की प्रतीक्षा (एपीओ) में रखा गया है। इसके साथ ही सरदारशहर के उप अधीक्षक भंवरलाल मेघवाल को निलंबित कर दिया गया है। सरदारशहर पुलिस थाना अधिकारी रणवीर सिंह सहित आठ पुलिसकर्मियों को भी निलंबित करने के साथ ही 26 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया है।

इस मामले की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि युवक के साथ थाने में मारपीट की गई। पुलिस अधीक्षक की भी लापरवाही मानी गई कि उन्होंने गंभीर मामले को हल्के में लिया। वहीं, उप अधीक्षक ने मामले का सुपरविजन नहीं किया। इस कारण शुक्रवार देर रात सरकार ने पुलिस अधीक्षक को एपीओ करने के साथ ही उप अधीक्षक को निलंबित कर दिया।

पुलिसकर्मियों पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप 

इसी बीच, शुक्रवार आधी रात बाद मृतक की भाभी का एक पत्र सोशल मीडिया पर सामने आया है। इसमें उसने सरदारशहर पुलिस थाने के आधा दर्जन पुलिसकर्मियों पर सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है। उधर, गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरूप का कहना है कि मुख्यमंत्री ने घटना के लिए पुलिस अधीक्षक को सीधे जिम्मेदार माना है।

जानें, क्या है मामला

सरदारशहर पुलिस ने चोरी के आरोप में छह जुलाई को सुबह नेमीचंद नायक को पकड़ा था। पुलिसकर्मियों ने दिनभर हवालात में बंद रखकर मारपीट की। इसी दिन रात को नेमीचंद ने बेचैनी की शिकायत थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों से की। इस पर उसे रात करीब दो बजे सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। सात जुलाई को नेमीचंद के शव का पोस्टमार्टम कर उसके परिजनों को सौंप दिया गया। सात जुलाई देर शाम पुलिसकर्मियों ने नेमीचंद के भाई पर दबाव डालकर उसका अंतिम संस्कार करवा दिया। इसके अगले दिन पुलिसकर्मी मृतक नेमीचंद के घर पहुंचे और उसके भाई व भाभी को पकड़ कर थाने लेकर आए।

थाने में लाकर पुलिसकर्मियों ने दोनों से नेमीचंद द्वारा की गई चोरी का सामान व नकदी देने को कहा। दोनों ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं होने की बात कही तो उनके साथ मारपीट की गई। लगातार तीन दिन तक प्रतिदिन उन्हें थाने में सुबह बुलाया जाता और शाम तक रखा जाता था। इस दौरान उनसे मारपीट भी की जाती थी। मृतक की भाभी ने इस दौरान खुद के साथ मारपीट और पुलिसकर्मियों द्वारा सामूहिक रूप से दुष्कर्म करने का भी आरोप लगाया है।

चार दिन पहले चूरू के प्रमुख लोगों को पूरे मामले की जानकारी मिली तो आंदोलन की धमकी दी गई। विधानसभा में मामला उठने के भय से पुलिस अधीक्षक ने कुछ पुलिसकर्मियों को निलंबित कर प्रकरण को शांत कराने का प्रयास किया। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पूरे मामले की जानकारी पहुंची और उन्होंने जांच करवाई तो पुलिस हिरासत में मौत की बात सामने आई।

मुख्यमंत्री ने गृह विभाग को कार्रवाई के निर्देश दिए। इस पर पुलिस अधीक्षक को एपीओ करने के साथ ही उप अधीक्षक, थाना अधिकारी और आठ पुलिसकर्मियों को निलंबित करने के साथ ही 26 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया है। मृतक के भाई का कहना है कि सादी वर्दी में पुलिस वालों ने उससे कुछ कागजों पर अंगूठे लगवाए थे। उस समय उसके साथ उसकी पत्नी थी। उसे कुछ पता नहीं, उसमें क्या लिखा था।

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