हिंद महासागर से पोत खदेड़े जाने पर चीन की सफाईशोध नहीं पानी का उतार-चढ़ाव माप रहे थे

चीनी अनुसंधान पोत शी यान 1 को भारतीय जल सीमा से खदेड़े जाने के बाद अब चीन ने सफाई दी है। चीनी विदेश मंत्रालय ने भारतीय क्षेत्र में इस जहाज द्वारा किसी भी प्रकार का शोध कार्य किए जाने से इनकार किया है।

चीन ने कहा कि हमारा अनुसंधान पोत भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (अंडमान निकोबार) के पास से सितंबर में गुजरा था। लेकिन, इसने वहां कोई परीक्षण नहीं किया। हमारा मकसद सिर्फ पानी का उतार-चढ़ाव मापना था।

चीनी विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस जहाज का काम हिंद महासागर के खुले क्षेत्र में पैदा होने वाली ध्वनि तरंगों की जांच करना और पानी के उतार-चढ़ाव को मापना था। इसने पूरी प्रक्रिया के दौरान भारतीय क्षेत्र में कोई प्रयोग नहीं किए। वह केवल इस क्षेत्र से होकर गुजरा था। ये तथ्य जहाज के ऑपरेशनल प्लान्स, लॉगबुक्स और जीपीएस ट्रैक से साबित होते हैं।

बता दें कि तीन दिसंबर को भारतीय नौसेना ने अंडमान-निकोबार के समीप अपने जलक्षेत्र में अवैध रूप से घुसे एक चीनी अनुसंधान पोत शी यान 1 को खदेड़ दिया था। इस पोत की खोज भारतीय निगरानी विमान पी8आई ने किया था। यह जलपोत पोर्ट ब्लेयर के पास भारतीय जल क्षेत्र में कथित रूप से अनुसंधान गतिविधियों को अंजाम दे रहा था।

भारतीय जल क्षेत्र में जासूसी करने का था संदेह, नौसेना ने खदेड़ा

सूत्रों के अनुसार ऐसी आशंका जताई गई कि चीन इस पोत के जरिए भारतीय क्षेत्र में नौसेना की गतिविधियों की जासूसी कर सकता है। क्योंकि, चीन आक्रामक रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहा है।

सुरक्षा एजेंसियों ने जैसे ही पता लगाया कि एक चीनी पोत भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र में अनुसंधान गतिविधियों को अंजाम दे रहा है वैसे ही भारतीय नौसेना सक्रिय हो गई। नौसेना ने अपने एक युद्धपोत को इसकी निगरानी के लिए भेजा।

भारतीय नौसेना के युद्धपोत ने पूरा संयम बरतते हुए चीनी अनुसंधान पोत को भारतीय जल क्षेत्र से बाहर जाने के लिए कहा।  भारतीय नौसेना का आदेश पाते ही चीनी जलपोत भारत के जलक्षेत्र से बाहर भाग गया।

भारतीय कानून के अनुसार कोई भी विदेशी जहाज भारतीय जल क्षेत्र के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में किसी भी प्रकार का शोध या अन्वेषण गतिविधि को अंजाम नहीं दे सकता।

विशेष आर्थिक क्षेत्र को संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1982 में मान्यता दी थी। इसके अंतर्गत दुनिया के सभी देशों को विशेष आर्थिक क्षेत्र में समुद्री संसाधनों की खोज और दोहन पर अधिकार मिलता है। बिना अनुमति के कोई दूसरा देश इस क्षेत्र  में दाखिल भी नहीं हो सकता है। विशेष आर्थिक क्षेत्र तट से 200 मील की दूरी तक फैला होता है।

बता दें कि भारतीय नौसेना मलेशिया के पास स्थित मलक्का जलडमरूमध्य से हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश करने वाले सभी चीनी जहाजों पर निरंतर निगरानी रखती है। कुछ दिनों पहले ही नौसेना के खोजी विमान पी8आई ने चीनी नौसेना के सात युद्धपोतों का पता लगाया था जो हिंद महासागर क्षेत्र में सक्रिय थे।

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