हां-ना के बीच गठबंधन की आस, ममता कर रही है बड़ा प्रयास

दिल्ली ब्यूरो: तेजी से बदलती राजनीति और बदलते जन मिजाज के बीच अगले चुनाव को लेकर कोई भी पार्टी दावे के साथ यह कहने की हालत में नहीं है कि वह सरकार बना ही लेगी। सत्ता में बैठी बीजेपी को भले ही लगता हो कि मोदी के नाम पर वह फिर से बैतरणी पार कर लेगी लेकिन बीजेपी के रणनीतिकार भी सहमे हुए हैं। देश के मिजाज पिछले पांच वर्षों में जिस तेजी से बदल रहा है और युवाओं की सोच समझ बदल रही है उससे साफ़ है कि जिन वोटरों को सपने दिखाकर 2014 में बीजेपी सत्ता काबिज करने में सफल हो गयी अब शायद ही संभव हो।
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भले ही गर्जन के साथ यह दावा करते फिरते हों कि अगली बार फिर मोदी सरकार ,लेकिन उनके गर्जन को वही लोग उतना तरजीह नहीं दे रहे हैं जो 2014 में उनके लिओए मर मिटने को तैयार हो गए थे। हालत बदल गए हैं और समस्याएं पहले से ज्यादा जटिल हो गयी हैं। उधर कांग्रेस की हालत भी ठीक वैसी ही है जैसे 2014 के समय थी। बदलाव केवल इतना भर है कि बीजेपी सरकार की झूठ और वादाखिलाफी से तंग आये लोगों का एक बड़ा समूह अब बीजेपी की बजाय किसी और पार्टी की तरफ देख रहा है। कांग्रेस को लग रहा है कि यह नाराज टपका उसके साथ हो सकता है। लेकिन ऐसा संभव नहीं है क्योंकि जातीय राजनीति पर क्षेत्रीय पार्टियों का कमोबेस कब्जा है जो आगे भी रहेगा। यही वजह है कि बार बार बीजेपी को हारने के नाम पर संभावित गठबंधन की बाते आगे बढ़ नहीं पाती। हालिया मायावती का राजनीतिक खेल को उसी नजरिये से देखा जा सकता है।
लेकिन बीजेपी जहां चाह रही है कि किसी भी हालत में गठबंधन तैयार ना हो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गठबंधन को आगे बढ़ाने की मुहीम चला रही है। वह गठबंधन के मुहीम में जुड़ गई है। इसी मुहीम के तहत वह 19 जनवरी को पश्चिम बंगाल में एक मेगा रैली करने जा रही है जिसके लिए सभी विपक्षी पार्टियों को न्योता भेज दिया है। ममता के इस न्योते को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वीकार कर लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि महारैली में हिस्सा लेने के लिए राज्य में तृणमूल कांग्रेस के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंदी माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन को भी निमंत्रण भेजा गया है। दरअसल बनर्जी केंद्र में सत्तारूढ़ दल को रोकने के लिए सभी भाजपा-विरोधी छोटे-बड़े दलों को एक मंच पर लाना चाहती हैं।
ममता भाजपा-विरोधी मोर्चा बनाने के प्रयासों में पहले ही कई बार राष्ट्रीय राजधानी का दौरा कर चुकी हैं। महारैली की सफलता के लिए एक समिति का गठन किया गया है जिसमें पार्था चटर्जी, सुब्रता बक्शी और सुवेंदु अधिकारी शामिल है। सुश्री बनर्जी के इस कदम को अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गैर-भाजपा दलीय मोर्चे के गठन के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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