हरियाणा: लंबे इंतजार के बाद हरियाणा कांग्रेस को मिला प्रभारी, गुलाब नबी आजाद को किया नियुक्त

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के बाद हरियाणा में जीत का सपना पाले कांग्रेस हाईकमान ने लंबे अंतराल बाद हरियाणा की सुध ली है। मनमोहन सिंह की सरकार में संसदीय कार्य और स्वास्थ्य मंत्री तथा जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके अनुभवी नेता गुलाम नबी आजाद को हरियाणा की कमान सौंपी गई है। आजाद को उत्तर प्रदेश से हटाकर हरियाणा कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है। अगले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिहाज से आजाद की इस नियुक्ति को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन पर गुटों में बंटे कांग्र्रेस नेताओं को एक झंडे के नीचे लाने की बड़ी जिम्मेदारी होगी।  हरियाणा: लंबे इंतजार के बाद हरियाणा कांग्रेस को मिला प्रभारी, गुलाब नबी आजाद को किया नियुक्त

नौ माह से खाली चल रहा था हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी का पद 

हरियाणा कांग्र्रेस को नौ माह बाद प्रदेश प्रभारी मिला है। शकील अहमद के बाद कमलनाथ को हरियाणा कांग्र्रेस के प्रभारी पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन गुटों में बंटे कांग्र्रेस दिग्गजों को वह भी एकजुट नहीं कर पाए थे। लिहाजा उन्होंने हरियाणा में रुचि लेनी बंद कर दी थी। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनका हरियाणा में दखल पूरी तरह से खत्म हो चुका था।

जींद उपचुनाव के दौरान कांग्र्रेस नेता केसी वेणुगोपाल का हरियाणा में पूरा दखल रहा। उन्हीं की देखरेख में रणदीप सुरजेवाला को जींद से कांग्र्रेस प्रत्याशी घोषित किया गया। संभावना जताई जा रही थी कि वेणुगोपाल को ही हरियाणा कांग्रेस की जिम्मेदारी दी जा सकती है, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें अशोक गहलोत की जगह राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) के साथ-साथ कर्नाटक के प्रभारी की जिम्मेदारी सौंप दी।

 69 वर्षीय गुलाम नबी आजाद की कांग्रेस हाईकमान में पूरी पैठ है। उन्हें सोनिया गांधी और राहुल गांधी के विश्वासपात्रों में माना जाता है। जींद उपचुनाव में हालांकि कांग्र्रेस के तमाम दिग्गज सिर मिलाकर रणदीप सुरजेवाला की जीत के लिए प्रयास कर रहे हैैं, लेकिन इस एकता को लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बरकरार रखने का दायित्व अब गुलाम नबी आजाद पर आन पड़ा है। 

चार साल से ठप संगठन, प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जाने की संभावना 

हरियाणा में पिछले चार साल से संगठनात्मक गतिविधियां ठप पड़ी हैैं। ब्लाक व जिला अध्यक्ष तक नहीं बनाए गए। पूर्व सांसद डाॅ. अशोक तंवर हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष हैैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा उन्हें पद से हटाने के लिए लंबे समय से प्रयासरत है। इस काम में हालांकि हुड्डा समर्थकों को खास सफलता नहीं मिल पाई थी, लेकिन अब माना जा रहा है कि आजाद के आने के बाद संगठन के नए सिरे से पेंच कसे जाएंगे। इस कड़ी में अध्यक्ष का भी बदलाव हो सकता है। 

राज्य में बड़े चेहरों की फौज, सभी को एकजुट करना चुनौती 
राजस्थान के बाद हरियाणा ऐसा राज्य है, जहां आगामी चुनाव में कांग्रेस अपनी जीत का सपना संजोए है। हरियाणा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटा है। यहां कांग्रेस हुड्डा, सैलजा, तंवर, सुरजेवाला, कुलदीप, किरण और कैप्टन खेमों में बंटी है। राज्य में बड़े चेहरों की पूरी फौज तो है और उनका सीधे कांग्रेस हाईकमान में दखल रहता है, मगर कार्यकर्ता अक्सर असमंजस में देखे गए। अब नए प्रभारी के मिलने से पार्टी की चाल और ढाल दोनों बदलने की संभावना है।

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