हरियाणा में विशेष अदालतों में होगी SC/ST मामलों की सुनवाई: सीएम खट्टर

हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को जल्द न्याय दिलाने की दिशा में बड़ा फैसला लिया है। इन लोगों के विभिन्न अदालती मामले जल्द निपटाए जाएं, इसके लिए हरियाणा सरकार चार जिलों में अलग न्यायालयों की व्यवस्था करेगी। इसके अलावा सरकार प्रदेश में अनुसूचित जाति से संबंधित लोगों के खिलाफ अपराध के कारणों का भी पता लगाएगी।

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने ये निर्णय राज्य स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक में लिया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने बताया कि ये विशेष अदालतें शुरुआती दौर में उन शहरों में स्थापित की जाएंगी, जहां एससी-एसटी मामलों की संख्या सबसे ज्यादा लंबित है। इस बैठक में आवास एवं जेल मंत्री कृष्ण लाल पंवार और अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री श्री कृष्ण कुमार बेदी भी बैठक में उपस्थित रहे।

बैठक में बताया गया कि उच्च न्यायालय द्वारा पहले ही अनुसूचित जाति-जनजाति के विरुद्ध अत्याचार के मामलों के निपटारे के लिए राज्य के प्रत्येक जिले में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश-1 की अदालत को विशेष अदालत के रूप में अधिसूचित कर दिया गया है। हालांकि, एक्सक्लूसिव कोर्ट की स्थापना का मामला विचाराधीन है। उधर, अधिनियम के तहत अदालतों द्वारा मामलों का निपटारा दो माह की अवधि में करना जरूरी है। 

इसलिए जिन जिलों में बलात्कार, छेड़छाड़ और मानसिक उत्पीड़न के 50 या इससे अधिक मामले अदालतों में लंबित हैं, उनमें छह फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित की जानी हैं। बैठक में ये भी निर्णय लिया गया कि अनुसूचित जातियों से संबंधित लोगों के खिलाफ अपराध के कारणों का पता लगाने के लिए सामाजिक पहलुओं का अध्ययन भी किया जाए। 

साथ ही पुलिस विभाग विशेष रूप से जिला हिसार, भिवानी, कैथल और रेवाड़ी में हत्या, हत्या के प्रयास और चोट पहुंचाने के मामलों में वास्तविक मकसद का विश्लेषण करेगा, ताकि इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा सकें। बैठक में ये भी निर्णय लिया गया कि जो सीवरमैन सैप्टिन टैंक व सीवर लाइनों की सफाई करते हैं, उन्हें खास प्रशिक्षण दिया जाए। केवल पंजीकृत और आवश्यक प्रशिक्षण प्रमाणपत्र रखने वाले सीवरमैन को ही सीवर में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी।

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