हरियाणा में उभरा नया सियासी समीकरण, राजकुमार सैनी करेंगे ‘हाथी’ की सवारी

आखिरकार हरियाणा में लोकसभा चुनाव से पहले एक और गठबंधन उभर कर सामने आया है। जींद उपचुनाव में जजपा-आप एक हुए थे। लेकिन अब बहुजन समाज पार्टी (हाथी) और लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी (चुनाव चिह्न ऑटो) ने हाथ मिला लिया है। जींद उपचुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बसपा ने ओपी चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल (चश्मा) के साथ अपना गठबंधन खत्म कर दिया है। इनेलो का साथ छोड़ने और लोसुपा का दामन थामने का औपचारिक एलान बसपा ने शनिवार को चंडीगढ़ में किया।हरियाणा में उभरा नया सियासी समीकरण, राजकुमार सैनी करेंगे 'हाथी' की सवारी

चंडीगढ़ में बसपा के प्रदेश प्रभारी डा. मेघराज सिंह, प्रदेशाध्यक्ष प्रकाश भारती, लोसुपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीपाल सैनी और संस्थापक सांसद राजकुमार सैनी समेत अन्य नेताओं की मौजूदगी में लोसुपा-बसपा गठबंधन का एलान किया गया। इस दौरान दोनों पार्टियों ने आगामी चुनावों के मद्देनजर अपनी-अपनी सीटों का बंटवारा भी कर लिया है।

लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत बसपा 8 ओर लोसुपा 2 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। जबकि हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बसपा 35 और लोसुपा 55 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। इस गठबंधन का पहला कार्यकर्ता महासम्मेलन 17 फरवरी को पानीपत में होगा।

इनेलो के साथ अच्छे नहीं आए परिणाम, इसलिए छोड़ा साथ: मेघराज
गठबंधन की घोषणा के बाद बसपा के प्रभारी डा. मेघराज सिंह ने बताया कि हम आज भी इनेलो का सम्मान करते हैं, लेकिन उनके साथ गठबंधन के परिणाम अच्छे नहीं आए। दरअसल, उनके साथ गठबंधन का मकसद यही था कि सत्तारूढ़ भाजपा को हराना। लेकिन पार्टी चुनावों से पहले ही टूट गई। इस पारिवारिक विघटन का असर जींद उपचुनाव में इनेलो-बसपा गठबंधन को झेलना पड़ा और भाजपा का इसका फायदा हुआ।

इस वजह से इस गठबंधन को बहुत कम वोट मिले। उन्होंने दावा किया कि इसमें से सबसे अधिक वोट बसपा के ही थे, मुश्किल से एक हजार के करीब वोट ही इनेला को मिला होगा। उन्होंने कहा कि इस उपचुनाव के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने इनेलो को फिर से एक होने पर विचार करने को कहा था। लेकिन अब इस तरह की संभावनाएं नहीं दिखीं, तो बसपा को इनेलो का साथ छोड़ना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि ये गठबंधन आगामी दोनों लोकसभा-विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि अभय चौटाला का मायावती से राखी का बंधन अपनी जगह है, लेकिन जनहित में सियासी फैसले अपनी जगह हैं।

एक साल से चल रहे थे प्रयास, अब सफल हुए : सैनी
भाजपा के बागी सांसद और लोसुपा के संस्थापक राजकुमार सैनी ने कहा कि यह गठबंधन दिलों का रिश्ता है और इसके लिए पिछले एक साल से प्रयास चल रहे थे। लेकिन अब ये कोशिशें सफल हुई हैं। उन्होंने कहा कि मैने भाजपा छोड़ दी है। अब भाजपा मेरी सदस्यता क्यों खत्म नहीं कर रही, यह भाजपा ही बता सकती है।

मेरी ओर से भाजपा को पहले ही तलाक दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि मैं सत्ता छोड़ सकता हूं, सिद्धांत नहीं। कौन कहां से लड़ेगा, इस पर सैनी ने कहा कि अभी सीटों का बंटवारा हुआ है, कौन सा दल किस विधानसभा व लोकसभा सीट पर लड़ेगा। इसका फैसला बाद में होगा। जाटों का टिकट मिलेगा या नहीं, इस पर सैनी ने कहा कि टिकट बंटवारे में परिस्थितियों के हिसाब से सभी वर्ग का ध्यान रखा जाएगा।

गुल खिला सकता है अजा-पिछड़ा समीकरण
हरियाणा में इस गठबंधन के बाद सियासत में अनुसूचित जाति-पिछड़ा एकजुटता का समीकरण बनेगा। लोसुपा पिछले काफी समय से प्रदेश में पिछड़ों की राजनीति कर रही है। जबकि हरियाणा में बसपा लगातार अजा को अपने साथ जोड़ने में लगी रहती है।

Back to top button