हरियाणा का क्षेत्रीय दल इनेलो बाल-बाल बच गया, नियमों में संशोधन के कारण बच गई मान्‍यता…

पिछली विधानसभा में मुख्‍य विपक्षी दल रहा इंडियन नेशनल लोकदल Haryana Assembly Election 2019 में  महज एक सीट पर सिमट गया। इसके साथ ही यदि चुनाव आयोग ने नियमों में संशोधन नहीं किया हाेता तो इनेलाे की राज्‍यस्‍तरीय पार्टी की मान्‍यता के लिए संकट पैदा हो जाता। अभी प्रदेश स्तरीय राजनीतिक दल के रूप में उसकी मान्यता को कोई खतरा नहीं है। पुराने नियमों के अनुसार चुनाव में छह फीसद वोट और न्यूनतम दो सीटें अथवा विधानसभा की कुल सीटों की संख्या में न्यूनतम तीन फीसद सीटें जीतना अनिवार्य था।

संशोधित नियमों ने इनेलो को दी बड़ी राहत, तीन फीसद वोट नहीं मिलने के बावजूद दर्जा बरकरार

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद चुनाव आयोग ने नियमो में संशोधन कर यह प्रावधान किया था कि हर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल की मान्यता को जारी रखने या रद करने का आकलन एक नहीं, अपितु दो चुनावों में प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा। इनेलो को इसका पूरा फायदा मिला है।

पार्टी की राज्य दल के रूप में मान्यता का आकलन अगले विधानसभा चुनावों में इनेलो के  चुनावी नतीजों के आधार पर किया जाएगा। यानी कि फिलहाल के लिए इनेलो हरियाणा में मान्यता प्राप्त राज्य दल के रूप में बना रहेगा और चश्मे का चुनाव चिन्ह तब तक के लिए उसके पास आरक्षित रहेगा। फरवरी 2000 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद इनेलो को राज्य दल के रूप में मान्यता मिली थी।

फरवरी 2000 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद इनेलो को मिल गई थी राज्य दल के रूप में मान्यता

Haryana Assembly Election 2019 में इनेलो को कुल पड़े वोटों का मात्र 2.44 फीसद अर्थात तीन लाख छह हजार 28 वोट मिले और उसके खाते में महज एक सीट आई। अक्टूबर 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में इनेलो को 29 लाख 96 हजार 203 वोट अर्थात 24 .11 फीसद वोट मिले और 19 सीटें जीती।

इनेलो से निकली जजपा को राज्य स्तरीय पार्टी की मान्यता

चुनाव आयोग पहले ही इनेलो से अलग होकर बनी उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) को बीती 27 नवंबर को राज्य पार्टी का दर्जा देकर चाबी का चुनाव चिन्ह दे चुका है। हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि जजपा को कुल प्राप्त हुए वास्तविक वोट एवं उनके प्रतिशत का आंकड़ा तो अभी तक आधिकारिक तौर पर प्राप्त नहीं हुआ है। ले‍किन, चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आबंटन) नियमावली, 1968 के पैरा 6ए के अनुसार केवल उसी रजिस्टर्ड गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को चुनाव नतीजों के आधार पर राज्य दल का दर्जा प्रदान किया जाता है जिसने कुल पड़े वैध वोटों में से कम से कम तीन फीसद वोट या न्यूनतम दो सीटें ली हों। चूंकि जजपा ने दस सीटें जीती हैं, इसलिए उसे राज्य दल के रूप में चुनाव आयोग ने मान्यता दी है।

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