हरियाणा कांग्रेस में जल्‍द ही बदलाव की संभावना, महाराष्‍ट्र की तर्ज पर सामूहिक नेतृत्‍व….

हरियाणा कांग्रेस में जल्‍द ही बदलाव की संभावना है। पार्टी में दिग्‍गज नेताओं की खींचतान के बीच हरियाणा कांग्रेस में महाराष्ट्र की तर्ज पर सामूहिक नेतृत्व का फार्मूला अपनाया जा सकता है। अभी कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर संशय की स्थिति है, लेकिन  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने उन राज्यों के संगठन में चुनाव तैयारियों की कमेटियों का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है जिनमें अगले तीन माह के अंदर विधानसभा चुनाव होने हैं।

राष्ट्रीय अध्यक्ष से पहले भी विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में फेरबदल संभव

कांग्रेस ने पहले महाराष्ट्र में अध्यक्ष के साथ पांच कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए हैं। कार्यकारी अध्यक्षों को भी चुनाव के दौरान कितना महत्व मिलने वाला है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित विभाग के चेयरमैन डॉ. नितिन राउत को महाराष्ट्र में कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। इतना ही नहीं महाराष्ट्र से पार्टी में राष्ट्रीय स्तर के किसान नेता नाना पटोले को चुनाव अभियान कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। महाराष्ट्र में भी हरियाणा के साथ विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे यह माना जा रहा है कि अगले सप्ताह में किसी भी दिन नेताओं के गुटों में बंटी हरियाणा कांग्रेस को सामूहिक नेतृत्व मिल सकता है।

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विधानसभा चुनाव के लिए बनेंगी कांग्रेस की ये कमेटियां

कांग्रेस विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति, चुनाव प्रचार अभियान, चुनाव घोषणा पत्र, प्रचार-प्रसार, मीडिया, चुनाव प्रबंधन और प्रदेश चुनाव कमेटी बनेंगी। प्रदेशाध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष के बाद चुनाव प्रचार अभियान कमेटी सबसे अहम होगी। टिकट बंटवारे से लेकर पूरे चुनाव प्रबंधन के लिए प्रदेशाध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष सहित चुनाव प्रचार अभियान कमेटी के अध्यक्ष की अहम भूमिका रहती है।

कांग्रेस संगठन के जानकार बताते हैं महाराष्ट्र में पार्टी की चुनाव संबंधी कमेटियों की सूची सामने आने के बाद अब यह साफ हो गया है कि हरियाणा में भी अब नेताओं का सामूहिक नेतृत्व ही विधानसभा चुनाव की कमान संभालेगा। ऐसा भी संभव है कि चुनाव प्रचार अभियान कमेटी का अध्यक्ष किसी युवा नेता को बना दिया जाए, इनमें पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है। इसके अलावा यदि हरियाणा में महाराष्ट्र की तर्ज पर पांच कार्यकारी अध्यक्ष बने तो प्रदेश कांग्रेस के सभी गुटों के प्रमुख नेताओं को उनके प्रभाव क्षेत्र के अनुसार समायोजित किया जा सकता है।

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खत्म नहीं हो रहा है हरियाणा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद को लेकर विवाद

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में पार्टी के 15 प्रमुख नेताओं की समन्वय समिति बनाई थी। हालांकि लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के ये नेता फिर समन्वय समिति के दायरे से बाहर आ गए हैं। प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर ने समन्वय समिति से अलग भी गुरुग्राम में 11 जुलाई को अपने समर्थकों की बैठक कर चुनाव तैयारियों के निर्देश दिए थे।

असल में लोकसभा चुनाव की हार की समीक्षा के लिए जब आजाद ने 4 जून को नई दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक बुलाई थी तो इसमें पार्टी नेता आपस में भिड़ गए थे। इसके बाद 9 जून को पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने अपने समर्थकों की दिल्ली में बैठक बुलाई मगर इसमें उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं के आश्वासन के चलते कोई अहम निर्णय नहीं लिया। प्रदेश कांग्रेस में चल रही नेताओं की खींचतान की बाबत पार्टी महासचिव आजाद की रिपोर्ट पर इस्तीफा दे चुके राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी समन्वय समिति के नेताओं से 27 जून अलग फीडबैक लिया था।

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