एक ही रात में उजड़ गया था हजारो आदमियों से भरा यह खुशहाल गांव, वजह जानकर पूरी दुनिया हैरान

राजस्थान के एक गांव की एक अलग ही कहानी है, एक अलग ही दास्तां है। जैसलमेर से 18 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव अब एक बड़ा पर्यटक केंद्र बन चुका है और हर रोज सैकड़ों सैलानी यहां आते हैं। आज से लगभग 170 साल पहले कुलधरा गांव में बसे सैकड़ों लोग अपना घरबार छोड़कर रातों-रात ऐसे गायब हुए कि उनका नामो-निशान नहीं मिला।

यह गांव रातों रात क्यों खाली हुआ, किस समाज के लोग यहां रहते थे, आखिर इस गांव के लोग कहां चले गए। आज तक यह गांव दुबारा क्यों नही बस सका? ऐसे सैकड़ों सवाल हमारी तरह आपके मन में भी कौंध रहे होंगे। कुलधरा नाम का यह छोटा सा गांव। कहते हैं सन 1291 के आसपास रईस और मेहनती पालीवाल ब्राह्मणों ने 600 घरों वाले इस गांव को बसाया था। यह भी माना जाता है कि कुलधरा के आसपास 84 गांव थे और इन सभी में पालीवाल ब्राह्मण ही रहा करते थे।

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ये ब्राह्मण ना सिर्फ मेहनती बल्कि वैज्ञानिक तौर पर भी सशक्त थे क्योंकि कुलधरा के अवशेषों से यह स्पष्ट अंकित होता है कि कुलधरा के मकानों को वैज्ञानिक आधार से बनाया गया था। पालीवाल ब्राह्मणों का समुदाय सामान्यत: खेती और मवेशी पालन पर निर्भर रहता था। जिप्संम की परत बारिश के पानी को भूमि में अवशोषित होने से रोकती और इसी पानी से पालीवाल ब्राह्मण अपने खेतों को सींचते थे। आज के दौर में शायद किसी को किसी की परवाह नहीं, लेकिन जिस समय की बात हम यहां कर रहे हैं वो समय सिर्फ अपने नहीं बल्कि एक-दूसरे के बारे में सोचने का था।

खुशहाल जीवन जीने वाले पालीवाल ब्राह्मणों पर वहां के दीवान सालम सिंह की बुरी नजर पड़ गई। सालम सिंह को एक ब्राह्मण लड़की पसंद आ गई और वह हर संभव कोशिश कर उसे पाने की कोशिश करने लगा। जब उसकी सारी कोशिशें नाकाम होने लगीं तब सालम सिंह ने गांव वालों को यह धमकी दी कि या तो पूर्णमासी तक वे उस लड़की को उसे सौंप दें या फिर वह स्वयं उसे उठाकर ले जाएगा। गांव वालों के सामने एक लड़की के सम्मान को बचाने की चुनौती थी। वह चाहते तो एक लड़की की आहुति देकर अपना घर बचाकर रख सकते थे लेकिन उन्होंने दूसरा रास्ता चुना।

एक रात 84 गांव के सभी ब्राह्मणों ने बैठकर एक निर्णय लिया कि वे रातों रात इस गांव को खाली कर देंगे लेकिन उस लड़की को कुछ नहीं होने देंगे। बस एक ही रात में कुलधरा समेत आसपास के सभी गांव खाली हो गए। जाते-जाते वे लोग इस गांव को श्राप दे गए कि इस स्थान पर कोई भी नहीं बस पाएगा, जो भी यहां आएगा वह बरबाद हो जाएगा। कुलधरा की सुनसान और बंजर जमीन का पीछा वह श्राप आज तक कर रहा है। तभी तो जिसने भी उन मकानों में रहने या उस स्थान पर बसने की हिम्मत की वह बर्बाद हो गया।
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