हजारों किलोमीटर का सफर तय कर दिल्ली पहुंची 25000 महिलाओं की ‘गरिमा यात्रा’

महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म के आरोपियों को समाज और परिवार से बहिष्कृत किया जाना चाहिए। इन कुकृत्यों की पीड़िताएं (सर्वाइवर) तो इस घटना के बाद से समाज और परिवार की उपेक्षा ताउम्र झेलती हैं जबकि आरोपियों को पुलिस या कानून की कार्रवाई के दौरान उनके जुर्म की सजा नहीं मिलती है। हजारों किलोमीटर का सफर तय कर दिल्ली पहुंची 25000 महिलाओं की 'गरिमा यात्रा'

देश भर के 24 राज्यों के 200 शहरों से गुजरने के बाद शुक्रवार को दिल्ली पहुंचने पर गरिमा यात्रा के रामलीला मैदान में समापन पर कई सर्वाइवरों ने ये बातें कहीं। देश में बच्चों और महिलाओं पर होने वाले यौन अपराध को समाप्त करने के सामूहिक प्रयास के तहत नेशनल नेटवर्क ऑफ सर्वाइवर्स के लांचिंग की भी इस मौके पर घोषणा की गई। इस मौके पर बॉलीवुड कलाकारों ने भी प्रेरणादायी गीत की प्रस्तुति पेश की जबकि अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह और रिचा चड्ढा ने भी इस सामाजिक कुरीति का डटकर विरोध किया।

यहां घिनौनी हरकतों का शिकार हुई महिलाओं, युवतियों और बच्चियों ने बातचीत में कहा कि गरिमा अभियान के तहत हमें अपनी आवाज उठाने का मौका मिला। इस अभियान के जरिये देश के 25000 सर्वाइवरों को न्याय के लिए आवाज उठाने का मौका मिला। 

गरिमा यात्रा के समन्वयक आसिफ शेख ने कहा कि इसके जरिए महिलाओं को बगैर शर्मिंदा हुए आपबीती को सभी के सामने रखने का मौका मिला है। इससे उन्हें शर्मिंदा करने की प्रवृत्ति को भी खत्म करने का मौका मिलेगा।

पीड़िता को न्याय के लिए ज्यादा इंतजार न करना पड़े

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो 2016 के मुताबिक बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध के दर्ज मामलों में 193 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह आंकड़ा वर्ष 2012 में 22538, था जो बढ़कर 2016 में 98344 पर पहुंच गया। महिलाओं के साथ होने वाले अपराध में भी इस दौरान 35.73 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
यौन हिंसा के 95 फीसदी मामले अभी भी दर्ज नहीं हो पाते हैं, जिससे सर्वाइवर की मुश्किलें कई गुना बढ़ जाती हैं। यात्रा की शुरुआत 20 दिसंबर 2018 को मुंबई से हुई थी, जिसका शुक्रवार को दिल्ली में समापन हुआ।  

सर्वाइवर 1 
पीड़िता को न्याय के लिए ज्यादा इंतजार न करना पड़े 
राजस्थान के एक गांव की बुजुर्ग के दिल में इस बात की टीस है कि 30 वर्षों से उसे न्याय का इंतजार है। सर्वाइवर बुजुर्ग ने न केवल खुद के खिलाफ हुए दुष्कर्म के खिलाफ लड़ाई लड़ी बल्कि बाल विवाह की भी खिलाफत की। बुजुर्ग से जब पूछा गया कि पिछले 30 वर्षोँ में क्या और कितना बदलाव आया है तो उन्होंने कहा कि बदलाव तो कई आए। लेकिन, लड़कियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म की वारदात को रोकने के लिए जरूरी है कि दोषियों पर सख्त और जल्द से जल्द कार्रवाई हो। पहले ही मानसिक द्वंद से जूझ रही सर्वाइवर को न्याय के लिए लंबा इंतजार न करना पड़े, इस दिशा में प्रयास तेज करना होगा। बकौल बुजुर्ग गांव बदले न बदले, मैं तो बदल गई। न पहले चुप थी और न अब, आखिरी सांस तक न्याय के लिए लड़ाई जारी रहेगी।  

मजदूरी के नाम पर बेच दिया, इज्जत के साथ खिलवाड़

बदले के लिए किया दुष्कर्म  
छह साल पहले मध्य प्रदेश के एक गांव में अनुसूचित जाति के एक परिवार से ताल्लुक रखने वाली महिला ने जैसे ही एक सवर्ण परिवार के पड़ोस में घर का निर्माण करवाया तो रंजिश बढ़ती गई। आखिरकार, बदला लेने की धमकी देने वाले सवर्ण परिवार के सदस्यों ने दुष्कर्म का शिकार बनाया। इस मामले में अब तक मामला दर्ज नहीं किया जा सका है।  

सर्वाइवर-3  
सलाखों के पीछे पहुंचाने का लिया प्रण  
एक बेटी के साथ यौन अपराध की कई बार हुई घटना के बावजूद कार्रवाई न होना अब बर्दाश्त नहीं कर सकते। तमाम हदें पार हो चुकी हैं और ऐसे घिनौने लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचाने का प्रण लिया।

सर्वाइवर  4
मजदूरी के नाम पर बेच दिया, इज्जत के साथ खिलवाड़
 उज्जैन के एक गांव में मजदूरी कर अपने परिवार को पालन पोषण करने वाली महिला को नहीं मालूम था कि उसे काम के सिलसिले में भेजने के नाम पर दो लाख रुपये में बेच दिया गया। कई महीनों तक वहशीपन का शिकार होने के बाद जब महिला अपने पति के पास पहुंची तो वो घर छोड़कर जा चुका था। जब अपने मायके गई तो उन्होंने भी शादी होने के बाद मौत तक ससुराल में ही रहने का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ लिया। महिला अभी भी न्याय के इंतजार में अकेली जी रही है।

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