स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल भिजवाया, गेट पर आधे घंटे तड़पता रहा, मौत

प्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री स्र्स्तम सिंह ने हाईवे से दुर्घटना में घायल हुए एक युवक को अपने पायलेट वाहन से अस्पताल पहुंचाया था। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की वजह से गेट पर रखी स्ट्रेचर पर सड़क दुर्घटना में घायल युवक ने आधे घंटे तक तड़पने के बाद दम तोड़ दिया। पास में ही 108 एंबुलेंस खड़ी रही, लेकिन एंबुलेंस के चालक ने गंभीर रूप से घायल युवक को ग्वालियर रैफर किए जाने पर ले जाने से इसलिए मना कर दिया कि उसके साथ कोई अटेंडेंट नहीं था।

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स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल भिजवाया, गेट पर आधे घंटे तड़पता रहा, मौत

घटनाक्रम के मुताबिक शनिवार रात करीब साढ़े सात बजे प्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री स्र्स्तम सिंह अपने क्षेत्र से मुरैना आ रहे थे। जब वे हाईवे पर कंषाना पेट्रोल पंप के पास आए तो उन्हें सड़क पर एक घायल युवक दिखा। उन्होंने अपने काफिले को रोका और काफिले के पहले चल रहे पायलेट वाहन से घायल को जिला अस्पताल भेजा। 7.45 बजे घायल हुए युवक को जिला अस्पताल लाया गया।

डॉक्टर ने हालत गंभीर होने पर ग्वालियर रैफर कर दिया। एंबुलेंस आ गई, लेकिन घायल के साथ कोई अटेंडेंट न होने पर ड्राइवर ने ले जाने से मना कर दिया। ड्रायवर का कहना था कि बिना अटेंडेंट ग्वालियर अस्पताल के ट्रामा सेंटर में मरीज को भर्ती नहीं करते। मैं इसे ले जाकर क्या करूंगा। इसके बाद भी अस्पताल के डॉक्टरों ने घायल के साथ किसी कर्मचारी को नहीं किया। वहीं अस्पताल प्रबंधन ने किसी वार्ड ब्वॉय या अन्य कर्मचारी को भेजने से मना कर दिया।

इस बीच अस्पताल गेट पर करीब 30 मिनट तक घायल तड़पता रहा। काफी खून बह जाने से उसकी मौत हो गई। मौत के बाद युवक जेब में रखा अचानक मोबाइल बजा। मोबाइल जब मौजूद अस्पताल के कर्मचारियों ने रिसीव किया तो कॉल उसके परिजनों का था। तब उसकी पहचान 38 वर्षीय राजेन्द्र पुत्र लज्जाराम गुर्जर निवासी बरबासिन के रूप में हुई। इसके बाद अस्पताल के कर्मचारियों ने राजेन्द्र के मौत की सूचना परिजनों को दी।

अज्ञात वाहन की टक्कर से हुआ घायल

पुलिस के मुताबिक हाइवे पर कंषाना पेट्रोल पंप के पास अज्ञात वाहन की टक्कर से एक युवक घायल हो गया। बेहोश होने की वजह से उसकी पहचान नहीं हो पा रही थी। अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे देखा और हालत गंभीर देख ग्वालियर रैफर कर दिया। इमरजेंसी से घायल को स्ट्रेचर से अस्पताल गेट पर भी ले जाया गया और 108 एंबुलेंस को बुला लिया गया, लेकिन जब एंबुलेंस ड्राइवर ने देखा कि घायल के साथ कोई नहीं है तो उसने घायल को ग्वालियर ले जाने से इनकार कर दिया।

ड्राइवर का कहना था कि बिना अटेंडर के ग्वालियर अस्पताल के ट्रामा सेंटर में मरीज को भर्ती नहीं करते। मैं इसे ले जाकर क्या करूंगा। इसके बाद भी अस्पताल के डॉक्टरों ने घायल के साथ किसी कर्मचारी को नहीं किया। 8.30 बजे तक घायल एंबुलेंस के पास स्ट्रेचर पर ही तड़पता रहा और उसका खून बहता रहा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने किसी को उसके साथ नहीं भेजा। आखिर 8.30 के करीब घायल ने दम तोड़ दिया।

यह है नियम

यदि कोई अज्ञात व्यक्ति घायल होकर अस्पताल आता है और उसे जिला अस्पताल से ग्वालियर रैफर किया जाता है तो घायल के साथ अस्पताल का एक वार्ड ब्वॉय या अन्य ऐसे कर्मचारी को भेजा जाता है जो मेडिकल के कार्य में तकनीकी रूप से दक्ष हो। जिससे घायल को वह दूसरे अस्पताल में विधिवत भर्ती कराकर आ सके, लेकिन अस्पताल की ओर से ऐसा कुछ नहीं किया गया।

इनका कहना है

घायल को अपने काफिले के पायलेट वाहन से अस्पताल भिजवाया था। जिससे उसे समय पर इलाज मिल जाए और उसकी जान बच सके। यदि अस्पताल में उसके साथ ऐसा हुआ है तो असंवेदनशीलता की हद है। इस संबंध में प्रदेश भर के लिए एक निश्चित पालिसी बनाई जाएगी, जिसके तहत किसी अज्ञात घायल को अस्पताल से रैफर किया जाए तो उसके साथ जाने के लिए एक स्वास्थ्य कर्मी व पुलिस कर्मी भी रहे। जिससे उसे दूसरे अस्पताल में भी उचित इलाज मिल सके। इस मामले की जांच कराएंगे और अमानवता दिखाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। स्र्स्तम सिंह, स्वास्थ्यमंत्री, मध्यप्रदेश

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