स्वतंत्रता दिवस विशेषः शान से फहराएं तिरंगा पर इन बातों का जरूर रखें ध्यान

स्वतंत्रता दिवस पर मंगलवार को राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय उसकी मर्यादा का ध्यान रखें। ध्वज फहराने और उतारने के नियम तय हैं। ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं है। राष्ट्रीय समारोह 15 अगस्त और 26 जनवरी को कागज के झंडे हाथ में लेकर चलने का अधिकार भारतीय नागरिकों को मिला है। इसमें प्लास्टिक के झंडे शामिल नहीं हैं। इसके बावजूद प्लास्टिक केझंडे बहुतायत में प्रयोग होते हैं। इसे रोकना चाहिए। हाथों में सिर्फ कागजों के झंडे ही लेकर चलें। प्रयोग के बाद इन्हें जमीन पर नहीं फेंकना चाहिए। इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना जाएगा।स्वतंत्रता दिवस विशेषः शान से फहराएं तिरंगा पर इन बातों का जरूर रखें ध्यान

इस तरह होता है अपना तिरंगा

राष्ट्रीय ध्वज में ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग होता है। अगर ध्वज की लंबाई 2 मीटर है तो चौड़ाई 3 मीटर होनी चाहिए। तीनों पट्टी बराबर साइज की होती है। बीच में नीले रंग का चक्र होता है। इसमें 24 तीली होती हैं। चक्र अशोक स्तंभ सारनाथ से लिया गया है। यह गतिशीलता की निशानी है।

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इस तरह फहराया जाता है झंड़ा

26 जनवरी 2002 को लागू भारतीय ध्वज संहिता 2002 में प्रावधान है कि ध्वज ऐसी जगह फहराया जाना चाहिए जहां से स्पष्ट दिखे। सरकारी भवनों पर रविवार या छुट्टी वाले दिन भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जा सकता है। झंडे को धीरे-धीरे आदर के साथ फहराया और उतारा जाता है। फहराने और उतारते समय बिगुल की आवाज होनी चाहिए। सभा या मंच पर झंडा फहराते समय वक्ता का मुंह श्रोताओं की तरफ हो और झंडा वक्ता के दाहिने तरफ होना चाहिए। अधिकारी की गाड़ी पर अगर ध्वज लगा है तो वह सामने की तरफ बीचोबीच या कार की दाहिनी तरफ होना चाहिए।

फहराते समय रखें इस बात का ध्यान

ध्वज फटा या मटमैला नहीं होना चाहिए। किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा या बराबर नहीं होना चाहिए। ध्वज पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए।

फटने पर इस तरह करें निस्तारण

अगर ध्वज फट जाता है या मटमैला हो जाता है तो उसके निस्तारण का भी नियम है। खंडित ध्वज को एकांत में जलाकर या मर्यादा के अनुकूल नष्ट किया जाता है। एकांत में जलाकर या दफनाकर नष्ट करना चाहिए। गंगा में विसर्जन भी किया जा सकता है।

ऐसा कुछ होने पर माना जाएगा अपमान

राष्ट्रीय ध्वज को झुका देना, आधा झुकाकर फहराना, नेपकिन या रुमाल के रूप में प्रयोग, किसी तरह का सामान ले जाने के लिए प्रयोग, जमीन पर छूना, उल्टा फहराना ध्वज का अपमाना माना जाता है। 2005 से पहले ध्वज के ड्रेस के रूप में भी प्रयोग नहीं किया जा सकता था। 5 जुलाई 2005 को सम्मानित तरीके से कमर से ऊपर वेशभूषा या वर्दी में इसके प्रयोग करने की अनुमति दे दी गई। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वज में फूल की पंखुड़िया बांधी जा सकती है। बाकी के दिनों में कोई भी वस्तु ध्वज से बांधना भी अपमान माना जाएगा।

अपमान पर तीन साल तक की सजा

राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के तहत धारा दो में राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर सजा का प्रावधान है। इसके तहत तीन साल तक कैद और जुर्माना अथवा दोनों दिया जा सकता है। अगर दूसरी बार भी अपमान किया जाता है तो हर बार एक वर्ष की सजा और होगी। सजा पाने वाले को छह साल तक किसी भी तरह का चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होगा।
 
 
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