सीमांचल अधिकार पदयात्रा के दूसरे दिन ओवैसी ने अपनी बिहार को लेकर राजनीतिक योजना का किया खुलासा

एआईएमआईएम के सुप्रीमो सांसद असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल दौरे से चार्ज हो गए हैं। दो दिवसीय राजनीतिक अभियान से  ओवैसी को शायद नई ऊर्जा मिली है। यही वजह है कि ओवैसी ने बिहार में अपना पांव पसारने का ऐलान किया है।  उन्होंने कहा है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में 50 से ज्यादा सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार खड़ा करेंगे और पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे। 

सीमांचल अधिकार पदयात्रा के दूसरे दिन असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी बिहार को लेकर राजनीतिक योजना का खुलासा किया। मीडिया से बातचीत में ओवैसी ने कहा कि  अब  उनकी पार्टी  सीमित नहीं रहेगी। पहले जो गलती हुई उससे नहीं दोहराया जाएगा। 2025 के विधानसभा चुनाव में पार्टी 50 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके लिए प्रत्याशी तैयार किए जा रहे है  और रणनीति बनाई जा रही है।

ओवैसी ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भी अपनी योजना का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि पार्टी इस बार सिर्फ किशनगंज लोकसभा से ही चुनाव नहीं लगेगी बल्कि, अन्य सीटों पर भी अपने उम्मीदवार खड़े करेगी।  हालांकि,  उन्होंने सीटों की संख्या और क्षेत्र को लेकर तो जानकारी नहीं दी। ओवैसी ने कहा कि पार्टी बिहार की सियासत में बड़ी भूमिका निभाएगी। 

दो दिनों के सीमांचल दौड़े में असदुद्दीन ओवैसी ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बड़ी तादाद में लोगों से मुलाकात की और बिहार में एआईएमआईएम की सियासत के मसले पर गुफ्तगू की।  माना जा रहा है कि ओवैसी को इसी से ताकत मिली है। पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी को सीमांचल में अच्छा रिस्पांस मिला था। 5 सीटों पर एआईएमआईएम के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। बिहार विधानसभा में ओवैसी की पार्टी के 5 विधायक थे। बाद में 4 विधायकों को राजद ने तोड़ लिया और अपनी पार्टी में मिला लिया। ओवैसी ने उन विधायकों को खरीद लेने का आरोप राजद पर लगाया।

ओवैसी के इस नए फैसले से बिहार में महागठबंधन को नुकसान तो बीजेपी को फायदा होगा। एआईएमआईएम मुस्लिम वोटों पर फोकस करती है। इस तबके का सपोर्ट भी पार्टी को मिलता है।  लेकिन बिहार में आरजेडी मुस्लिम यादव और मुस्लिम की पार्टी के रूप में प्रचारित है। राजद मुस्लिम वोटरों को पारंपरिक रूप से अपना सपोर्टर मानता है।  उसे सपोर्ट मिलता भी है।

जदयू भी मुसलमानों को लेकर हमेशा पजेसिव रहती है। इसी वजह से ओवैसी के आने से पहले सीएम नीतीश कुमार ने मुस्लिम सरकारी कर्मियों के लिए रमजान महीने को लेकर बड़ा ऐलान किया।  अगर ओवैसी ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम वोट काटते हैं तो इसका सीधा नुकसान आरजेडी और जदयू को होगा और अप्रत्यक्ष फायदा बीजेपी को मिलेगा।

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