सीएम योगी के वादे का रियलिटी चेक: आ गया 15 जून…

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था कि वो 15 जून तक यूपी की सभी सड़कों को गड्ढामुक्त करवा देंगे. योगी का दावा यूपी की 60 हजार किलोमीटर सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का था. तो क्या गड्ढा मुक्त हो गईं यूपी की सड़कें?  उज्ज्वल प्रभात की टीम ने इस सवाल का जवाब जानने के लिए यूपी के करीब 21 जिलों में योगी के दावे का रियलिटी चेक किया.

सीएम योगी के वादे का रियलिटी चेक: आ गया 15 जून...
योगी आदित्यनाथ ने जब 15 जून तक यूपी की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का दावा किया था तो आजतक को कैमरे लेकर सड़कों पर निकलने की चुनौती भी दी थी. 15 जून आने में अब महज कुछ घंटे ही बाकी हैं, लेकिन यूपी की तमाम सड़कों की हालत अभी भी उतनी ही खस्ता है. कई जगह, सड़कें गड्ढा मुक्त मिलीं, लेकिन ज्यादातर सड़कों की हालत अभी भी खस्ता है. अब तो कोई चमत्कार ही यूपी की सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त कर सकता है.

गोंडा

गोंडा में सड़कों की कहानी खुद सड़कें ही बयां कर रही हैं. रेलवे स्टेशन जाने वाली सड़क पर गड्ढों की भरमार है. बस स्टेशन को जाने वाली सड़क पर गाड़ियां चलती कम हैं, उछलती ज्यादा हैं. गोंडा-बलरामपुर रोड फोरलेन बननी थी, लेकिन इस पर अभी धूल ही धूल है. व्यवसायी अरविंद श्रीवास्तव कहते हैं कि टोटल विफलता प्रशासन की है.

बलरामपुर

गोंडा से सटा बलरामपुर अटल बिहारी वाजपेयी और नानाजी देशमुख की कर्मस्थली रहा है, लेकिन यहां की सड़कों का हाल बुरा है. गोंडा से बलरामपुर की दूरी महज 45 किलोमीटर है, लेकिन सड़क ऐसी है कि ढाई घंटे में भी पहुंच जाएं तो गनीमत.

संत कबीर नगर

योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर से सटे संत कबीरनगर की सड़कों की तरफ भी प्रशासन की तवज्जो नहीं गई है. नेशनल हाइवे से लेकर बीएटीसी मार्ग को जोड़ने वाली सड़क पर गाड़ियों का चलना मुश्किल है.

महाराजगंज
गोरखपुर के पड़ोसी जिले महाराजगंज की तमाम सड़कों को देखकर भ्रम हो सकता है कि सड़क में गड्ढे हैं या फिर गड्ढों में सड़क. महाराजगंज नेपाल का सीमावर्ती जिला है. नेपाल को जोड़ने वाली महाराजगंज ठूठीबारी रोड में भी बड़े बड़े गड्ढे हैं, जिसके चलते आए दिन यहां हादसे होते रहते हैं.

बलिया
पूर्वांचल के बलिया जिले में भी सड़कों में कमरतोड़ गड्ढे हैं. एसपी दफ्तर के सामने की सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं, कोतवाली के सामने भी सड़क का बुरा हाल है. यहां के लोगों को यकीन नहीं है कि 15 जून तक सड़कें गड्ढा मुक्त हो पाएंगी।

मऊ
बलिया के करीब मऊ की कुछ सड़कों पर गड्ढे जरूर भरे गए, लेकिन शहर के मुख्य मार्गों को जोड़ने वाली ज्यादातर सड़कें आज भी टूटी हैं. यहां सड़क पर चलना यानी गड्ढों में से होकर गुजरना. योगी के दावे यहां औंधे मुंह पड़े हैं. लोग कह रहे हैं कि जो अब तक नहीं हुआ तो दो दिन में क्या हो जाएगा.

गाजीपुर
जो हाल मऊ का है, कुछ वैसा ही गाजीपुर का भी है. नेशनल हाइवे बाइपास पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं. गाजीपुर शहर के मुख्य फुल्लनपुर रेलवे क्रासिंग के पास तो जानलेवा गड्ढे हैं. यहां के समाजसेवी ब्रजभूषण दुबे सीने पर तख्ती टांगे, लोगों को गड्ढों से बचने की नसीहत देते हैं.

मिर्जापुर
मिर्जापुर को औराई से जोड़ने वाली औराई-मिर्जापुर रोड का हाल भी कुछ ऐसा ही है. ये सड़क मिर्जापुर को भदोही और जीटी रोड से जोड़ती है. लेकिन इस सड़क पर ऐसे गड्ढे हैं जिनमें एक बार गाड़ी फंस जाए तो फिर निकले नहीं. योगी सरकार के मंत्री 15 जून तक गड्ढे भरने का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन किसी को भी इन दावों पर यकीन नहीं है.

राजेंद्र प्रसाद, मंत्री ग्रामीण अभियंत्रण ने कहा, “पूरे मिर्जापुर मंडल की 90 सड़कें गड्डा मुक्त की जानी जाहिए थी. 5 पर कार्य प्रगति पर है, 15 जून तक उसे करना ही होगा. 15 जून के शाम तक मुझे यह रिपोर्ट मिली कि पूरा नहीं हुआ तो जो दोषी होगा निलंबित होगा.”

स्थानीय निवासी धर्मेंद्र ने कहा, “औराई से यहां तक बोले थे कि गड्डा मुक्त हो जाएगा मगर अभी तक नहीं हुआ. दस से पंद्रह साल से सड़क खराब है. उम्मीद थी कि सड़क बन जाएगी मगर अब नहीं लगता है.”

सोनभद्र, मुगलसराय, इलाहाबाद, जौनपुर

यूपी के ज्यादातर जिलों में सड़कों का कमोबेश यही हाल है. सोनभद्र में सड़कें टूटी हुई हैं तो कई सड़कें तीन साल से बननी शुरू नहीं हुईं. मुगलसराय और इलाहाबाद की सड़कों का हाल खराब है. कुछ यही हाल जौनपुर की सड़कों का भी है.

लालगंज, रायबरेली

उन्नाव से रायबरेली रोड की हालत बहुत ही ज्यादा खराब है. लालगंज के पास ये सड़क बुरी तरह टूटी है. सड़क कम है, गड्ढे ज्यादा हैं. ये यूपी की व्यस्त सड़कों में से एक है, लेकिन इस सड़क पर गड्ढों से बचकर गाड़ियां निकालना कोई हंसी खेल नहीं है. करीब 85 किलोमीटर की इस पूरी सड़क का हाल कुछ ऐसा ही है. 15 जून तक इस सड़क का भला होने के आसार दूर दूर तक दिखाई नहीं देते.

मथुरा

ये भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा की सड़कें हैं. मांट इलाके की ये सड़क मथुरा को ग्रामीण इलाके से जोड़ती है. लेकिन इस सड़क पर दो-दो फीट गहरे गड्ढे हैं.

हाथरस

हाथरस में NH-93 से शहर के अंदर जा रही 11 किमी लंबी सड़क उखड़ी पड़ी है. बड़े वाहनों से उड़ती धूल और ऊपर से बड़े-बड़े गड्ढे हादसों को दावत देते हैं. यही हालत सिकंदराराऊ से कासगंज को जाने वाली सड़क, सिकंदराराऊ से जलेसर जाने वाली सड़क का है.

पीलीभीत

पीलीभीत में पूरे शहर की सड़कें खुदी पड़ी हैं. पूरनपुर तहसील का मुख्य मार्ग उखड़ा पड़ा है. पीलीभीत में 700 किलोमीटर सड़कें गड्ढामुक्त होनी हैं. लेकिन अभी 50 फीसदी काम नहीं हुआ है. तमाम सड़कों में गड्ढों पर खाली पत्थर डाल दिए गए हैं.

लखीमपुर खीरी

लखीमपुर में सड़कों की खस्ताहाली की कहानी जानने के लिए बस कलेक्ट्रेट गेट और पीडब्ल्यूडी के सरकारी गेस्ट हाउस के सामने की सड़कों पर निगाह डाल लीजिए. जब इतनी अहम जगहों की सड़कों पर इतने गहरे गड्ढे हैं तो बाकी जिले का क्या हाल होगा, आप अंदाजा लगा सकते हैं. सड़कों में गड्ढे देखकर कहीं से नहीं लगता कि 15 जून तक ये सड़कें गड्ढामुक्त हो पाएंगी.

फर्रूखाबाद

फर्रुखाबाद की मुख्य सड़कों पर तो गड्ढे जरूर भर गए, लेकिन शहर के भीतर और ग्रामीण इलाकों की सड़कों का हालत खराब है. पक्का पुल की सड़क, देवरामपुर की सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे हैं, जिनमें वाहन हिचकोले लेते हुए निकलते हैं.

एटा

एटा को कासगंज, बदायूं, बरेली से जोड़ने वाली सड़क की तो हालत बहुत खस्ता है. गड्ढे ज्यादा हैं, सड़क बहुत कम बची है. शहर के मुख्यमार्ग पर पानी भरा हुआ है. एटा-जलेसर, जलेसर-निधौली रोड की भी खस्ता हाल है.

बागपत

ये बागपत जिले में दिल्ली-यमुनोत्री हाइवे का हाल है. हाइवे पर ईंट बिछी हैं. जिसमें जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं. इन गड्ढों में अक्सर गाड़ियां फंस जाती हैं. इसके बाद घंटों जाम के हालात बन जाते हैं. 15 जून आने को है, लेकिन इस सड़क पर गड्ढे भरने का इंतजार आज भी है.

हापुड़

कुछ ऐसा ही हाल हापुड़ जिले का है. जिले की ज्यादातर सड़कें टूटी पड़ी हैं. गढ़ तहसील में तो सड़कों का हाल और भी बुरा है. यहां सड़क और गड्ढों का भेद मिट जाता है. योगी आदित्यनाथ ने गड्ढा भरने के लिए 15 जून की डेडलाइन तय की थी, लेकिन 12 जून तक तो काम शुरू भी नहीं हुआ था.

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