सीएम योगी के यूपीकोका बिल पर केंद्र सरकार ने जताई आपत्ति, DGP से मांगा

प्रदेश सरकार की नाक का सवाल बने संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (यूपीकोका) विधेयक 2017 पर केंद्र ने आपत्ति लगा दी है। केंद्र सरकार ने विधेयक के दो बिंदुओं पर राज्य सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।

इस विधेयक को अमली जामा पहनाने के लिए राज्य सरकार ने दोनों सदनों से पास कराकर राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा था। राष्ट्रपति ने परीक्षण के लिए इसे केंद्र सरकार के पास भेज दिया। इस विधेयक के परीक्षण के दौरान दो बिंदु ऐसे पाए गए जो आपस में विरोधाभास पैदा कर रहे हैं।

इस पर केंद्र ने प्रदेश सरकार को पत्र भेजकर जवाब मांगा है। गृह विभाग ने डीजीपी मुख्यालय को यह पत्र भेजकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। डीजीपी मुख्यालय इसका जवाब तैयार कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विधेयक में एनडीपीएस और गैरकानूनी गतिविधियों को लेकर केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में बने कानून और यूपीकोका में अंतर्विरोध पैदा हो रहा है।

साल भर पहले विधानसभा में पेश हुआ था बिल

प्रदेश सरकार एक साल पहले संगठित अपराध की रोकथाम के लिए यूपीकोका बिल लेकर आई थी। 20 दिसंबर 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे विधानसभा में पेश किया था। यह विधेयक विधानसभा से पास हो गया था, लेकिन विपक्ष के विरोध के चलते विधान परिषद में गिर गया। बाद में सरकार ने दूसरे प्रयास में इस बिल को दोनों सदनों से पास करा लिया और राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति के पास भेज दिया।

इस बिल में संगठित अपराध करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के साथ-साथ कानून का दुरुपयोग रोकने के भी पूरे बंदोबस्त किए गए हैं। इस बिल के लागू होने के बाद इसके दायरे में आने वाले आरोपी को अपनी बेगुनाही खुद साबित करनी होगी। ऐसा न करने पर सात साल की कैद से लेकर मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान किया गया है।

यूपीकोका के दायरे में आने वाले अपराध

इस कानून के तहत किसी व्यक्ति द्वारा अकेले या संयुक्त रूप से या संगठित अपराध, संगठित अपराध के सिंडिकेट के सदस्य के रूप में काम करना, हिंसा का सहारा लेना, दबाव की धमकी, घूसखोरी, प्रलोभन या लालच के सहारे अपराध को अंजाम देना संगठित अपराध की श्रेणी में आएगा। आर्थिक लाभ के लिए किसी अन्य व्यक्ति को अनुचित लाभ पहुंचाना, बगावत को बढ़ावा देना, अवैध साधनों से अवैध क्रियाकलापों को जारी रखना, आतंक फैलाना, बलपूर्वक या हिंसा द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विस्फोटकों, अग्नि, आग्नेयास्त्र, हिंसात्मक साधनों का प्रयोग करके जीवन या संपत्ति को नष्ट करना, लोक प्राधिकारी को मारने या बर्बाद करने की धमकी देकर फिरौती की मांग करना भी इसके दायरे में आएगा।
फिरौती के लिए अगवा करना, किसी ठेके के टेंडर में भागीदार बनने से किसी को रोकना, सुपारी लेकर हत्या करना, जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा करना, जाली दस्तावेज तैयार कराना, बाजारों से अवैध वसूली करना, अवैध खनन, हवाला कारोबार, मानव तस्करी करना, नकली दवाओं, अवैध शराब की बिक्री करने पर भी यूपीकोका के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। सिर्फ संगठित अपराध को अंजाम देने वाला व्यक्ति या गिरोह ही नहीं, बल्कि उसकी मदद करने वाले लोग भी इसके दायरे में आएंगे। साथ ही संगठित अपराधियों को मदद पहुंचाने के मकसद से किसी सूचना का प्रकाशन किया जाता है, तो वह भी यूपीकोका के दायरे में आएगा।

 

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