सिद्धू के पंजाब केे कैबिनेट मंत्री पद से इस्‍तीफे पर CM कैप्‍टन अमरिंदर ने कही ये बड़ी बात….

फायर ब्रांड नेता व पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर पंजाब की रातनीति फिर गर्मा गई है। सिद्धू ने राहुल गांधी के बाद अब पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह को भी अपना इस्‍तीफा भेज दिया है। इसके बाद दिल्‍ली गए कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने पूरे मामले पर बड़ी बात कही है। कैप्‍टन ने कहा कि सिद्धू का इस्‍तीफा मिलने के बाद मैं इस संबंध में कदम उठाऊंगा। मैंने कैबिनेट में फेरबदल में उन्‍‍हें (सिद्धू को) बेहद महत्‍वूपर्ण विभाग दिया था, लेकिन अब इस्‍तीफा देने का उनका फैसला है।

नवजोत सिद्धू का बड़ा सियासी ‘गेम’, अब कैप्‍टन अमरिंदर पर टिकीं नजरें

बता दें कि सिद्धू ने अपने इस्‍तीफे का खुलासा कर कांग्रेस के साथ-साथ पूरे राज्‍य की राजनीति में हलचल मचा दी है। सिद्धू के अपने इस्‍तीफे का खुलासा 34 दिन दिन बाद करने और इस्‍तीफा मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह को न देकर राहुल गांधी को भेजने पर सवाल उठे। इसके बाद सोमवार को उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री को भी इस्‍तीफाा भेज दिया। इसके बाद अब सारी निगाहें सीएम कैप्‍टन अमरिंदर पर लग गई है।

नई दिल्‍ली गए मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा, मेरा सिद्धू के साथ कोई मुद्दा या मतभेद नहीं है। वास्‍तव में मैंने तो कैबिनेट में फेरबदल में उनको बेहद महत्‍वूपर्ण विभाग का प्रभार दिया था। अब कैबिनेट से इस्‍तीफा देने का उनका (सिद्धू का) निर्णय है। मुझे बताया गया है कि सिद्धू ने मेरे कार्यालय को त्‍यागपत्र भेजा है। मैं इसे देखने के बाद देखूंगा कि इस पर क्या किया जाना है।

कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू से मतभेद के बारे में पूछे जाने और सिद्धू की पत्‍नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को लोकसभा चुनाव में टिकट का विरोध करने की बात को गलत बताया। अमरिंदर ने कहा, मैंने कभी भी नवजोत कौर सिद्धू काे टिकट दिए जाने का विरोध नहीं किया। वास्तव में मैं ने ही राहुल जी (राहुल गांधी) से सिफारिश की थी कि डॉ. नवजाेत कौर बठिंडा से चुनाव लड़ें।हकीकत यह है कि सिद्धू ने ही कहा था कि उनकी पत्‍नी बठिंडा से नहीं बल्कि चंडीगढ़ से चुनाव लड़ेंगी। इसलिए यह तय करना मेरे बस में नहीं था, इन बातों को पार्टी तय करती है।

बता दें कि सिद्धू ने रविवार को अपने इस्‍तीफे का खुलासा किया था। उन्‍होंने ट्वीट कर बताया था कि वह 10 जून को ही राहुल गांधी को अपना इस्‍तीफा दे चुके थे। इसके बाद मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमदिंर सिंह को इस्‍तीफा नहीं भेजने पर सवाल उठा तो सोमवार सुबह सिद्धू ने उनके कार्यालय को भी इस्‍तीफा भेज दिया। सिद्धू ने ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री को भी अपना इस्‍तीफा भेजने दिया है। ट्वीट में सिद्धू ने लिखा है, आज मैंने अपना इस्‍तीफा पंजाब के मुख्‍यमंत्री को उनके सरकारी आवास पर भेज दिया।

दूसरी ओर, पूरे सिद्धू के इस्‍तीफे को लेकर सियासी गलियारे में चर्चाएं गर्म है। पूरे प्रकरण को सिद्धू का हाईप्रोफाइल ‘गेम’ माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि सिद्धू ने इसके माध्‍यम से कांग्रेस को दुविधा में डालने के साथ ही दबाव की राजनीति भी कर रहे हैं। सबकी नजर कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के कदम और सिद्धू के अगले दांव पर लग गई है।

सिद्धू ने 40 दिन बाद भी नहीं संभाला था नया विभाग, पहले सीएम को इस्‍तीफा नहीं भेजने पर उठे सवाल

बता दें कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा विभाग में बदलाव किए जाने से नाराज नवजोत सिंह सिद्धू ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा का ऐलान रविवार को किया था। उन्‍होंने अपना इस्तीफा 10 जून को राहुल गांधी को सौंपा था, लेकिन इसका खुलासा 14 जुलाई को किया। इस्तीफा भी राहुल को संबोधित करते हुए लिखा गया जो सरकारी स्तर पर कोई मायने नहीं रखता है। हालांकि बाद में सिद्धू ने पुन: ट्वीट कर कहा कि वह अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भी भेज देंगे।

अब नजरें कैप्‍टन अमरिंदर के कदम पर, चर्चां इस्‍तीफा हो सकता है नामंंजूूर भी

बता दें 6 जून को मुख्यमंत्री द्वारा 13 मंत्रियों के विभाग बदले गए थे। सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग लेकर बिजली महकमा दे दिया गया था जिससे वह नाराज थे और नए विभाग का कार्यभार नहीं संभाला था । उन्होंने 9 जून को पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। इस दौरान पार्टी की महासचिव प्रियंका भी मौजूद थीं। राहुल ने कैप्टन व सिद्धू के बीच विवाद को खत्म करने के लिए वरिष्ठ नेता अहमद पटेल को जिम्मेदारी सौंपी थी।

सिद्धू ने अब खुलासा किया है कि उन्होंने राहुल को उसी दिन अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इस्तीफे में उन्होंने महज दो लाइनों में लिखा है कि वह पंजाब सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा देते हैैं। इसके बाद से ही उन्होंने चुप्पी साध ली थी। न तो अपने विभाग की जिम्मेदारी संभाली और न ही पंजाब में पार्टी के किसी नेता और मंत्री के संपर्क में रहे।

इस बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब के तीन कैबिनेट मंत्री जरूर अहमद पटेल से मिले। लेकिन राहुल गांधी द्वारा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद से ही पार्टी हाईकमान में लगातार खींचतान चल रही है। ऐसे में हाईकमान की तरफ से कोई भी सकारात्मक संकेत न मिलता देख सिद्धू ने अपना इस्तीफा ट्विटर एकाउंट पर पोस्ट कर सार्वजनिक कर दिया।

शुरू से ही रहे विवादों में

अगस्त 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा करतारपुर कॉरिडोर के नींव पत्थर रखने के समारोह में सिद्धू गए थे। तभी से उनके व कैप्टन के बीच दरार पडऩे लगी थी। कैप्टन नहीं चाहते थे कि सिद्धू उस समारोह में जाएं। उन्होंने सिद्धू को फोन करके मना भी किया, लेकिन सिद्धू नहीं माने। सिद्धू न सिर्फ पाकिस्तान गए बल्कि समारोह में वहां के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा से गले भी मिले। जिसे लेकर खासा बवाल मचा। कैप्टन ने भी इसका विरोध किया।

कहा था- कैप्टन अमरिंदर मेरे कैप्टन नहीं

पांच राज्यों के चुनाव प्रचार पर गए सिद्धू ने एक प्रेस वार्ता में कहा था कि कैप्टन अमरिंदर पंजाब के कैप्टन हो सकते हैं, मेरे नहीं। मेरे कैप्टन राहुल गांधी हैं। सार्वजनिक तौर पर सिद्धू द्वारा ऐसा कहने पर वह निशाने पर आ गए थे। विवाद बढ़ने पर उन्‍होंने कैप्‍टन अमरिंदर सिंह से माफी मांगी थी और उनको पिता तुल्‍य बताया था।

लोकसभा चुनाव के दौरान पहले तो वह पंजाब में कांग्रेस के चुनाव प्रचार से दूर रहे और जब चुनाव प्रचार के अंतिम दिन इससे जुड़े तो जनसभा में सीधे कैप्‍टन अमरिंदर पर हमला कर दिया। उन्‍होंन कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की बादलों (प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल) से मिलीभगत का आरोप लगा दिया। इसके बाद कैप्‍टन ने भी सिद्धू पर पलटवार किया।

दिखाते रहे पाकिस्तान प्रेम

पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हमले के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंंह ने विधानसभा में पाकिस्तान के प्रति कड़ा रुख अपनाने को लेकर बयान दिया। दूसरी तरफ विधानसभा के बाहर सिद्धू ने कहा कि किसी एक व्यक्ति या संगठन के लिए पूरे राष्ट्र को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

कैप्टन से दूरी बढऩे की मुख्य वजहें

सिद्धू के कई बयानों की वजह से कैप्टन से उनकी दूरी बढ़ती गई। लोकसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन 17 मई सिद्धू ने बठिंडा में रैली को संबोधित करते हुए बिना किसी का नाम लिए कहा था कि मिल-बांट कर खाने वालोंं को ठोक दो। उनका इशारा साफ तौर पर कैप्टन अमरिंदर सिंह और बादलों की ओर था। यही नहीं, सिद्धू ने कहा था कि बेअदबी कांड पर जस्टिस रंजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने की बजाए एसआइटी बनाने की क्या जरूरत थी। लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर ने भी कैप्टन पर निशाना साधा था कि कैप्टन के कहने पर ही टिकट काटा गया। सिद्धू ने भी अपनी पत्नी के आरोपों की पुष्टि की थी।

——-

…तो सिद्धू हो जाते बिना विभाग के मंत्री

सिद्धू के इस्तीफा देने की बात तब सामने आई है जब कांग्र्रेस सरकार इस बात पर विचार कर रही थी कि सिद्धू से विभाग वापस ले लिया जाए। 6 जून को उनका विभाग बदला गया था, लेकिन सवा माह बाद भी उन्होंने चार्ज नहीं संभाला था। इससे सरकार पर भी दबाव बनने लगा था क्योंकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को बिजली महकमा देखना पड़ रहा था।

यह पहला ऐसा मौका था कि किसी मंत्री ने इतने दिनों तक अपने विभाग की जिम्मेदारी नहीं संभाली। इस वजह से कांग्रेस सरकार की खासी किरकिरी हो रही थी। सिद्धू के कार्यभार न संभालने से कांग्रेस समेत सरकार की फैसला लेने की क्षमता पर भी सवाल उठ रहे थे। यही वजह है कि कांग्रेस सरकार इस बात पर विचार कर रही थी कि क्यों न सिद्धू से बिजली विभाग वापस ले लिया जाए। ऐसी सूरत में सिद्धू कैबिनेट मंत्री तो रहते, लेकिन बिना किसी विभाग के। इसी दौरान सिद्धू के इस्तीफे की बात सामने आ गई। जब तक उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंचता तब तक कोई भी फैसला नहीं लिया जा सकता है।

कैप्टन कर सकते हैैं इस्तीफा नामंजूर

सिद्धू के इस्तीफे को लेकर पार्टी में गहन मंथन शुरू हो गया है। पार्टी में कुछ का मानना है कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा मंजूर कर लेना चाहिए क्योंकि सिद्धू ने कैप्टन को चुनौती पेश की थी और खुद कैप्टन को कहना पड़ा था कि वह उन्हें हटाकर मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। दूसरा विचार इस बात को लेकर है कि सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार न करके उन्हें विभाग ज्वाइन करने का एक मौका देना चाहिए। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री की राष्ट्रीय स्तर पर छवि और मजबूत होगी। कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर उठापटक के बीच सिद्धू को लेकर कैप्टन क्या फैसला लेंगे, अब इस पर सबकी नजर लगी हैं।

Back to top button