सिंदूर लगाते समय पत्नियां भूल से भी न करें ऐसा काम, वरना जीवन भर पति…

हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के जीवन में सिंदूर का एक खास महत्व होता है। अक्सर आपने हिंदू धर्म की सभी शादीशुदा महिलाओं को सिंदूर लगाते हुए अवश्य देखा होगा। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार सिंदूर को सुहागिन महिलाओं के सुहाग का प्रतीक माना जाता है। विवाह के समय भी सिंदूरदान की विधि का भी एक खास महत्व होता है, इसके बाद ही विवाह की विधि को पूर्ण माना जाता है। और एक बार विवाह हो जाने के पश्चात सभी सुहागिन महिलाओं का सिंदूर लगाना अनिवार्य होता है।

हालांकि बदलते जमाने में कई लोग इसे रूढ़िवादिता मानने लगे हैं। और आजकल कई लड़कियों को शादी हो जाने के बाद भी बिना सिंदूर के भी देखा जाता है। परंतु आपको जानकर हैरानी होगी कि हिंदू धर्म में बनाई गई इन परंपराओं के केवल धार्मिक महत्व ही नहीं है अपितु इसके संदर्भ में कई वैज्ञानिक महत्व भी बताए गए हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार सिंदूर लगाने के भी कई नियम होते हैं जिनका पालन करना अनिवार्य होता है। सिंदूर लगाने के संदर्भ में जो भी नियम बनाए गए हैं, सभी सुहागिन महिलाओं को इन नियमों का विधिपूर्वक पालन करना चाहिए, अन्यथा उनके जीवन में परेशा’नियां उत्पन्न होने लगती हैं। जो महिलाएं सिंदूर लगाने के नियमों का पालन नहीं करती है, ऐसी महिलाओं के पति को धन तथा स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं सिंदूर लगाने के वह कौन से नियम है जिनका पालन हर महिलाओं को करना चाहिए…..

● शादीशुदा महिलाओं को सदैव सिंदूर अपने पैसे से खरीद कर लगाना चाहिए। किसी अन्य के पैसे से खरीदा गया सिंदूर लगाने से बचना चाहिए।

● चाहे कितनी भी बड़ी मजबूरी हो परंतु शादीशुदा महिलाओं को किसी दूसरी महिला के सिंदूर को अपने मांग में भरने से बचना चाहिए। किसी दूसरी महिला के सिंदूर को मांग में भरना बहुत ही अशुभ होता है। ऐसा करने वाली महिलाओं के पति को धन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

● सुहागिन महिलाओं को उपहार में मिले सिंदूर का उपयोग करने से बचना चाहिए। क्योंकि शास्त्रों में उपहार मिले सिंदूर का उपयोग करना शुभ माना गया है।

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