साहित्य के बिना समाज अधूरा : राज्यपाल राम नाईक

लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि जो आत्मा और शरीर का संबंध हैं, वही साहित्य और समाज का है। साहित्यकार अपनी रचना से समाज को दिशा प्रदान करता है। साहित्य के बिना समाज अधूरा है। साहित्य समाज का आईना है। वह रविवार को उप्र हिंदी संस्थान के 42वें स्थापना दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह में बोल रहे थे।
बतौर मुख्य अतिथि समारोह में शामिल हुए राज्यपाल राम नाईक ने हजरतगंज स्थित संस्थान के यशपाल सभागार में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इसके बाद पूनम श्रीवास्तव ने वीणा वादिनी वंदना के साथ कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। मुख्य अतिथि राम नाईक ने वर्ष 2017 में प्रकाशित पुस्तकों पर नामित पुरस्कार व सर्जना पुरस्कार देकर 66 लेखकों को पुरस्कार राशि, अंग वस्त्र, प्रमाण पत्र आदि देकर नामित लेखकों को सम्मानित किया। सम्मानित होने के साथ नए वर्ष के आगमन की शुभकामनाएं देते हुए राज्यपाल ने लेखकों से उनकी कलम और अच्छे ढ़ंग से लिखते रहने की कामना की।
कहा कि पुरस्कार देने के समय और नाम के चयन में अकसर विवाद खड़ा हो जाता है, लेकिन हिंदी संस्थान के पुरस्कार वितरण में कोई विवाद नहीं हुआ। वैसे तो हर प्रदेश में अपनी-अपनी भाषा के अनुसार सम्मान दिया जाता है, लेकिन उप्र हिंदी संस्थान के सम्मान की संख्या सबसे अधिक है। हिंदी हमारे पूरे भारतवर्ष की भाषा है। हिंदी भाषा एक संपन्न भाषा है। दक्षिण भारत के प्रदेशों ने भी हिंदी भाषा और साहित्य के लिए कार्य किया।
आज के युग में पुस्तकों को प्रकाशित करना काफी सरल हो गया है। समारोह की अध्यक्षता संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानंद प्रसाद गुप्त ने की। उन्होंने कहा कि हम उन सभी रचना धर्मियों का स्वागत करते हैं, जो विभिन्न विधाओं में नामित एवं सर्जना पुरस्कार से पुरस्कृत हुए हैं। नामित और सर्जना पुरस्कार की राशि में वर्तमान वित्तीय वर्ष में वृद्धि की गई हैं, विधाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। अब 34 के स्थान पर 38 विधाओं की कृतियों को पुरस्कृत करने का निर्णय लिया गया है। राष्ट्रगान के साथ समारोह का समापन हुआ।
समारोह का संचालन डॉ. अमिता दुबे ने किया। इस मौके पर प्रमुख सचिव भाषा जितेंद्र कुमार, वरिष्ठ शिक्षा एवं लेखाधिकारी श्रीनिवास त्रिपाठी सहित कई साहित्यकार उपस्थित रहे।

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