ऐसे करता है नुकसान
इसके प्रयोग के चार-सात घंटे के बाद एलर्जिक एक्टिविटीज होती हैं। इससे रिएक्शन जैसे लक्षण दिखते हैं। पेट में तीव्र मरोड़ के साथ दर्द, उल्टी, दस्त, मतिभ्रम (बौखलाहट व स्मृति दोष) हो जाता है। मूत्र से नियंत्रण कम होने लगता है। यहां तक कि मस्तिष्क में खून की नलियों में इसका अत्यधिक असर पड़ता है।
ऐसे करें स्व:परीक्षण
कुट्टू का प्रयोग करने से पहले खाली पेट इसको थोड़ी मात्रा (20-50 ग्राम) में सेवन करके देख लें। बच्चों को इसको बिल्कुल न दें। एलर्जी होने पर इस्तेमाल से बचें।दूसरा यह भी कि खुले में रखने से इसमें टॉक्सिटी बढ़ जाती है। नमी और फंगस संक्रमण होता है तो टॉक्सिटी में 20 गुना तक बढ़ोत्तरी हो जाती है।
यही कारण है कि खुला आटा खाने वालों को परेशानी ज्यादा होती है और इसका अहसास भी जल्दी होने लगता है। जबकि साबुत दाना लेकर घर पर सफाई से पिसवाने और फंगस व नमी से बचाकर रखने पर इतनी परेशानी नहीं होती। ऐसा ही विचार डा. एसके गर्ग का है। उन्होंने बताया कि खुले आटे में टॉक्सिटी ज्यादा होने के कारण लोगों पर जल्दी असर होता है, जबकि पैकिंग और साबुत लेकर घर पर पिसवाने वालों पर कम।
एफएसडीए चलाएगा अभियान
यूपी सरकार ने इसकी बिक्री प्रतिबंधित करने की मांग की है। खाद्य सुरक्षा प्रशासन अभियान चलाएगा, जिसमें मिलावटी और खराब कुट्टू का आटा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ऐसे आटे को सील कर दिया जाएगा और सैंपल लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा जाएगा।