सलाहकारों की नियुक्ति मामले में HC ने याचिककर्ता को तकनीकी खामियां दूर करने के दिए निर्देश

पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा छह सलाहकारों की नियुक्त करने के मामलेमें एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी द्वारा दायर याचिका पर हाईकोर्ट में आज हुई सुनवाई। सलाहकारों को कैबिनेट रैंक दिए जाने के खिलाफ दायर इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिका में तकनीकी खामियों पर पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने सवाल उठाए। इस पर हाई कोर्ट ने याचिककर्ता को 9 दिसंबर तक तकनीकी खामियां दूर करने के निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल ने अदालत को बताया कि मुख्यमंत्री के नवनियुक्त सलाहकारों का अभी शपथ ग्रहण भी नहीं हुआ है। यही नहींं, इनकी सेवाओं के नियम और शर्ते भी अभी तय नहीं हुए हैं।

बता दें, सरकार ने छह विधायकों को मुख्यमंत्री के सियासी सलाहकार के रूप में लगाए जाने की इजाजत दी है। इनमें पांच को कैबिनेट, जबकि एक को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है। मुख्य सचिव करन अवतार सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी किए थे। इन नियुक्तियों को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में चैलेंज करते हुए एडवोकेट जगमोहन भट्ठी् ने याचिका दायर कर कहा था कि राज्य में मंत्रियों की गिनती अब बढ़कर 23 से ज्यादा हो गई है, जबकि कानून के मुताबिक 17 होनी चाहिए।

इन विधायकों को लगाया गया सलाहकार

जिन विधायकों को सलाहकार लगाया गया है उनमें फरीदकोट के कुशलदीप सिंह ढिल्लों, गिद्दड़बाहा से अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, अमृतसर से इंद्रबीर सिंह बुलारिया और तरसेम डीसी, फतेहगढ़ साहिब से कुलजीत नागरा और टांडा उड़मुड़ से संगत सिंह गिलजियां शामिल हैं। ढिल्लो, वडिंग़, बुलारिया, नागरा व गिलजियां को कैबिनेट रैंक दिया गया है, जबकि तरसेम डीसी को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है। नागरा व डीसी को छोड़कर सभी मुख्यमंत्री के सियासी सलाहकार होंगे, जबकि ये दोनों प्लानिंग वन और प्लानिंग टू के काम देखेंगे। दोनों विधायकोंं को सरकार के फ्लैगशिप प्रोग्राम का निरीक्षण करनेे के लिए लगाया जाएगा।

पूर्व सरकार में 22 विधायक बने थे सीपीएस

पूर्व सरकार में लगभग 22 विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) लगाकर एडजस्ट किया गया था, लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर फैसला देते हुए सभी को हटा दिया था। मौजूदा समय में विधायकों में इस बात को लेकर नाराजगी थी कि उन्हें किसी भी तरह से एडजस्ट नहीं किया जा रहा। कैप्टन सरकार ने बोर्ड और कॉरपोरेशन में विधायकों को चेयरमैन लगाने के तौर पर एक्ट में संशोधन भी कर लिया था, लेकिन कांग्रेस हाईकमान द्वारा किसी भी विधायक को बोर्ड कॉरपोरेशन का चेयरमैन न लगाने के आदेशों के बाद अब यह नया तरीका निकाला गया है।

उधर, राजनीतिक सलाहकारों की नियुक्ति के मामले में शिरोमणि अकाली दल व भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने विधानसभा स्पीकर राणा केपी सिंह से भी मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि लाभ वाला पद स्वीकार करने के लिए कांग्रेस के सात विधायकों को अयोग्य ठहराया जाए।

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