सरकार बनाने के लिए शिवसेना को न्‍यौता दिए जाने के बाद सियासी हलचल हुई तेज, सावंत ने दिया इस्तीफा…

 Maharashtra Government Formation LIVE महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा शिवसेना को न्योता दिए जाने के बाद सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। उद्धव ठाकरे और शरद पवार की मुलाकात जारी है। इसी बीच केंद्रीय मंत्री एवं शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने मोदी कैबिनेट से अपना इस्‍तीफा दे दिया है। शरद पवार (Sharad Pawar) ने कहा है कि मेरे पास किसी के इस्तीफे के बारे में कहने के लिए कोई शब्द नहीं है। हम एक ही बात कहेंगे कि जो भी फैसला लेना है वह कांग्रेस के साथ चर्चा के बाद ही लिया जाएगा। वहीं, कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर फैसला नहीं हो पाया है। एनसीपी ने कहा है कि कांग्रेस के निर्णय के बाद ही वह कोई फैसला लेगी। अब नजरें कांग्रेस की शाम चार बजे होने वाली उस बैठक पर टिक गई हैं जिसमें शिवसेना को समर्थन देने पर कोई निर्णय हो सकता है।

उद्धव की पवार के साथ बैठक खत्‍म 

मोदी कैबिनेट में भारी उद्योग मंत्री अरविंद सांवत ने अपना इस्तीफा देने के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा उद्धव ठाकरे की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है। यह पूछे जाने पर कि क्‍या शिवसेना एनडीए से बाहर हो गई है। उन्‍होंने सीधे तौर पर जवाब नहीं देते हुए केवल इतना कहा कि मेरे इस्तीफे से आप समझ जाएं। सियासी हलचल के बीच शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने राकांपा प्रमुख शरद पवार के साथ बैठक खत्‍म हो गई है। माना जा रहा है कि इसमें दोनों नेताओं के बीच सरकार गठन को लेकर चर्चा हुई। कुल मिलाकर राज्‍य में सरकार बनेगी या राष्‍ट्रपति शासन लगेगा इस पर सस्‍पेंस कायम है। राज्‍यपाल ने शिवसेना विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे से आज यानी सोमवार शाम 7.30 बजे तक उनकी पार्टी की इच्छा और बहुमत के आंकड़े की जानकारी देने के लिए कहा है। यदि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना एकजुट होते हैं तो राज्‍य में एक गठबंधन सरकार बन सकती है।

अब कांग्रेस के फैसले पर टिका दारोमदार 

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बैठक में महाराष्‍ट्र में सरकार गठन के मसले पर चर्चा हुई। हम शाम को महाराष्‍ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक करेंगे उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। दूसरी ओर एनसीपी नेता नवाब मलिक Nawab Malik ने कहा कि राकांपा सरकार बनाने के लिए तो तैयार है लेकिन पवार साहब ने तय किया है कि कांग्रेस के निर्णय लेने के बाद ही पार्टी कोई फैसला लेगी। अब हम कांग्रेस के फैसले का इंतजार करेंगे। हमने कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ा था और साथ ही इस मसले पर कोई फैसला लेंगे।

राउत ने राज्‍यपाल पर साधा निशाना 

इस बीच शिवसेना ने सरकार नहीं बन पाने का ठीकरा भाजपा पर फोड़ दिया है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि यह भाजपा का अहंकार है कि वह महाराष्ट्र में सरकार बनाने से इनकार कर रही है। यह महाराष्ट्र के लोगों का अपमान है। भाजपा विपक्ष में बैठने के लिए तैयार हैं लेकिन वे 50-50 का फॉर्मूला मानने के लिए राजी नहीं है। सरकार बनती न देख शिवसेना ने राज्‍यपाल पर भी निशाना साधा। राउत ने कहा कि यदि राज्यपाल ने हमें अधिक समय दिया होता तो सरकार बनाना आसान होता। राज्‍यपाल ने भाजपा को 72 घंटे दिए गए। हमको कम समय दिया गया है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना भाजपा की साजिश है। राउत ने यह भी कहा कि यदि भाजपा जम्‍मू-कश्‍मीर में पीडीपी से हाथ मिला सकती है तो शिवसेना राकांपा और कांग्रेस के साथ सरकार क्‍यों नहीं बना सकती है।

एनसीपी ने रखी शर्त 

रिपोर्टों में कहा गया है कि राज्‍यपाल के निमंत्रण के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की। सूत्रों की मानें तो एनसीपी ने शिवसेना के सामने यह शर्त रखी है कि पहले वह भाजपा से सभी रिश्ते खत्‍म करे और मोदी सरकार में शामिल उनके मंत्री इस्तीफा दें तभी सरकार बनाने के लिए समर्थन देने पर सोचेंगे। वहीं कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस को विपक्ष में बैठने का जनादेश मिलने की बात कहते हुए किसी को समर्थन देने पर अंतिम निर्णय अपने आलाकमान पर छोड़ दिया है।

सावंत ने किया इस्‍तीफे का एलान 

केंद्रीय भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्री एवं शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने मंत्री पद से इस्‍तीफा देने का एलान किया है। उन्‍होंने कहा कि मैं अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं। असल में एनसीपी साफ कर चुकी है कि शिवसेना एक साथ दो गठबंधनों में नहीं रह सकती है। मान जा रहा है कि शायद इसी वजह से सावंत ने इस्‍तीफे का एलान किया है। वहीं कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे Mallikarjun Kharge  ने कहा कि सुबह 10 बजे पार्टी की बैठक है। हम हाईकमान से निर्देश के आधार पर आगे बढ़ेंगे। जनादेश के मुताबिक, हमें विपक्ष में बैठना चाहिए, यही मौजूदा हालात है।

हर हाल में चाहिए कांग्रेस का समर्थन 

दरअसल, शिवसेना भले ही सरकार बनाने का दम भरे लेकिन बहुमत के लिए 145 सदस्यों का जरूरी आंकड़ा उसके पास भी नहीं है। शिवसेना के 56 विधायक हैं, जबकि 8 निर्दलीय विधायकों ने समर्थन दिया है। इस तरह उसके पास 64 विधायकों का समर्थन है। एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं। एनसीपी और शिवसेना की संख्‍या जोड़ दें तब भी सरकार नहीं बनेगी। दोनों पार्टियों के पास 118 विधायक हो रहे हैं यानी शिवसेना को सरकार बनाने के लिए हर हाल में कांग्रेस का समर्थन चाहिए।

निरूपम बोले, 2020 में होंगे चुनाव 

कांग्रेस के कई नेता शिवसेना से दूरी बनाकर रखने के लिए लगातार आगाह कर रहे हैं। कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने शिवसेना की कवायदों पर परोक्ष रूप से करारा हमला बोला है। उन्‍होंने ट्वीट कर कहा कि यह बात मायने नहीं रखती की कौन और कैसे सरकार बना रहा है। बड़ी बात यह कि राज्‍य में सियासी अस्थिरता को खारिज नहीं किया जा सकता है। ऐसे में जल्‍द चुनाव के लिए तैयार रहिए जो साल 2020 में हो सकते हैं। उन्‍होंने यह भी सवाल उठाया कि क्‍या कांग्रेस शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है। इससे पहले निरूपम ने संजय राउत (Shiv Sena leader Sanjay Raut) को आईना दिखाते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी सरकार महज कल्पना है। यदि हम शिवसेना का समर्थन लेते हैं तो यह कांग्रेस के लिए बेहद घातक कदम होगा।

पीछे हटना भाजपा की बड़ी रणनीति

इस बीच देवेंद्र फडणवीस के आवास पर भाजपा कोर ग्रुप की बैठक हो रही है जिसमें भावी रणनीति पर मंथन होगा। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि सरकार बनाने से पीछे हटना भाजपा की बड़ी रणनीति है। यदि शिवसेना भाजपा से अलग होकर सरकार बनाती है तो उस पर गठबंधन तोड़ने का ठप्पा लगेगा। इसके साथ ही भाजपा को उसके खिलाफ बोलने का अवसर मिल जाएगा। सनद रहे कि साल 2014 विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा हो चुका है। दूसरी ओर शिवसेना यदि कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाकर सरकार बनाती है तो यह गठबंधन बेमेल होगा क्‍योंकि इन पार्टियों की विचारधारा विपरीत है। भाजपा इसे लेकर भी शिवसेना पर वार करेगी।

…तो राज्‍यपाल के पास क्‍या होंगे विकल्‍प 

महाराष्‍ट्र के 59 वर्षों के राजनीतिक इतिहास में केवल दो बार ही राष्ट्रपति शासन रहा है। साल 1980 में फरवरी से जून और इसके बाद साल 2014 में सितंबर से अक्टूबर तक तक राष्ट्रपति शासन था। विश्‍लेषकों की मानें तो यदि शिवसेना ने भी बहुमत का जरूरी आंकड़ा नहीं जुटा पाया तो राज्यपाल के पास राष्‍ट्रपति शासन लगाने का ही विकल्‍प शेष होगा। कांग्रेस ने खरीद-फरोख्त की आशंका के चलते अपने विधायकों को राजस्थान भेज दिया है। बीते दिनों कांग्रेस ने विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था।

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