समुद्र का पानी क्यों हुआ खारा जुड़ा है माता पार्वती से रहस्य

शिव पुराण के अनुसार, एकबार मां पार्वती शिव को पाने के लिए घोर तपस्या कर रही थीं। उनकी तपस्या का तेज इतना था कि देवलोक में बैठे देवताओं का सिहांसन डोलने लगा। इससे देवता भयभीत हो गए। जब सभी देवता इस समस्या को हल करने में जुटे थे उसी समय समुद्र देव माता पार्वती के स्वरूप को देखकर मोहित हो गए।

समुद्र ने भगवान शिव को कहा था बुरा भला
जब माता पार्वती की तपस्या पूरी हो गई तब समुद्र देव ने उनसे विवाह करने की इच्छा जताई। इस संबंध में उन्होंने मां पार्वती के पास विवाह का प्रस्ताव भी रखा। यह सुनकर माता पार्वती ने समुद्र देव से कहा कि वे कैलाशपति भगवान शिव से प्रेम करती हैं और उन्हें अपना पति परमेश्वर मान चुकी हैं।

जब समुद्र देव ने यह सुना तो उन्हें गुस्सा आ गया। वे भगवान शिव के लिए भलाबुरा कहने लगे। उन्होंने क्रोध में आकर कहा, “उस भस्माधारी आदिवासी में ऐसा क्या है, जो मुझमें नहीं है, मैं सभी मनुष्यों की प्यास बुझाता हूं, मेरा चरित्र दूध की तरह सफेद है। हे पार्वती! मेरा विवाह प्रस्ताव स्वीकार करें।”

क्रोध में आकर मां पार्वती ने दिया श्राप
माता पार्वती ने जब अपने सामने भोलेनाथ का तिरस्कार होते हुए देखा तो उन्हें सहन नहीं हुआ। उन्हें समुद्र देव के ऊपर क्रोध आ गया। उन्होंने समुद्र देव को शाप देते हुए कहा, जिस मीठे पानी पर तुमको घमंड है, वह खारा हो जाएगा। खारे पानी की वजह से तुम्हारा जल मनुष्य ग्रहण नहीं कर पाएंगे। मां पार्वती के उस श्राप के कारण समुद्र का जल खारा हो गया। एक पौराणिक कथा यह भी है कि जब समुद्र हुआ था, तब मंथन के प्रभाव से भी समुद्र जल खारा हो गया था।

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