सपा सरकार में मंडी परिषद में लगी आग की दोबारा होगी जांच, जली थीं जरूरी फाइलें

मंडी परिषद में 14 महीने पहले लगी भीषण आग का ‘जिन्न’ एक बार फिर बाहर आ गया है। बोर्ड ने इस घटना की दुबारा जांच के आदेश दे दिए हैं। इस अग्निकांड में अरबों रुपयों की परियोजनाओं से संबंधित फाइलें जलकर खाक हो गई थीं।
सपा सरकार में मंडी परिषद में लगी आग की दोबारा होगी जांच, जली थीं जरूरी फाइलें
हालात किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहे थे, पर सपा सरकार के कार्यकाल में जांच को सही दिशा नहीं मिल सकी और पूरा मामला रफा-दफा कर दिया गया। हालांकि, तब भी अमर उजाला ने आग को साजिश बताते हुए प्रमुखता से संबंधित खबरों को प्रकाशित किया था।

15 मई 2016 को आधी रात के बाद मंडी परिषद के पांचवें, छठे और सातवें तल पर भीषण आग लगी थी। मौका मुआयने के लिए पहुंचे शासन के तत्कालीन अधिकारियों ने भी स्वीकार किया था कि आग के कारण मंडी परिषद के कई महत्वपूर्ण अनुभागों में कुछ बचा ही नहीं।

आग लगने के कुछ महीने पहले ही मंडी शुल्क वसूली में करोड़ों रुपये के घपले की जांच शुरू हुई थी। इस अग्निकांड में इस घपले से संबंधित सभी फाइलें स्वाह हो गई थीं।

700 करोड़ के घपले से जुड़ी नहीं बची एक भी फाइल

करीब 700 करोड़ रुपये के बुंदेलखंड पैकेज में हुए घपले से संबंधित एक भी फाइल नहीं बची, जबकि इसमें भी बड़े पैमाने पर घपलों की शिकायतें आ रही थीं। इसके अलावा मंडी शुल्क समाधान योजना, परिषद के सचिवों के फैसलों के खिलाफ की गईं अपीलों, विभागीय बजट, धनराशि आवंटन और अधिकारियों व कर्मचारियों के इन्क्रीमेंट से संबंधित फाइलें भी खाक हो गईं।

मुरादाबाद, आगरा, बदायूं, रायबरेली, इलाहाबाद, बुलंदशहर और जेपीनगर आदि जिलों के स्वीकृत एस्टीमेट की फाइलें भी जल गई थीं। तत्कालीन सपा सरकार की प्राथमिकता वाली जनेश्वर मिश्र ग्राम योजना और दुकान निर्माण योजना का रिकॉर्ड भी नहीं बचा था।

मंडी परिषद के तत्कालीन अफसरों ने दावा किया था कि नष्ट हुई फाइलें या तो डिजिटल फॉर्म में या फिर जिलों में स्थित मंडी कार्यालयों में उपलब्ध हैं लेकिन हकीकत इससे एकदम उलट निकली। पता लगा कि अधिकतर फाइलें रिकवर नहीं की जा सकती हैं।

इससे यह शक और पुख्ता हुआ कि आग लगी नहीं थी, बल्कि लगाई गई थीं। यहां बता दें कि ‘अमर उजाला’ ने मई 2016 में ही आग में गहरी साजिश होने की प्रबल आशंका जताते हुए प्रमुखता से खबरें प्रकाशित की थीं।

ये फाइलें भी हो गई थीं स्वाहा

प्रदेश में संचालित मंडी सुगम परिवहन योजना, संपर्क मार्गों के निर्माण, किसान बाजार का निर्माण, एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब, कृषक केंद्रों के निर्माण और लखनऊ स्थित एपी सेन रोड पर बहुमंजिला भवन निर्माण योजना से संबंधित फाइलें आग की भेंट चढ़ गईं थीं।

इसके अलावा कल्याणकारी योजनाएं जैसे कृषि विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों की छात्रवृत्ति योजना, व्यक्तिगत दुर्घटना सहायता योजना, खलिहान अग्नि दुर्घटना सहायता योजना, कृषि क्षेत्र अनुदान से संबंधित सैकड़ों फाइलें भी नहीं बचीं।

मामले पर मंडी परिषद के निदेशक धीरज कुमार का कहना है कि मंडी परिषद बोर्ड ने आग की घटना की पुन: जांच के आदेश दिए हैं ताकि आग लगने के सही कारणों व उससे हुए नुकसान का सटीक आकलन किया जा सके।

 
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