सपा सरकार में मंडी परिषद में लगी आग की दोबारा होगी जांच, जली थीं जरूरी फाइलें
15 मई 2016 को आधी रात के बाद मंडी परिषद के पांचवें, छठे और सातवें तल पर भीषण आग लगी थी। मौका मुआयने के लिए पहुंचे शासन के तत्कालीन अधिकारियों ने भी स्वीकार किया था कि आग के कारण मंडी परिषद के कई महत्वपूर्ण अनुभागों में कुछ बचा ही नहीं।
आग लगने के कुछ महीने पहले ही मंडी शुल्क वसूली में करोड़ों रुपये के घपले की जांच शुरू हुई थी। इस अग्निकांड में इस घपले से संबंधित सभी फाइलें स्वाह हो गई थीं।
मुरादाबाद, आगरा, बदायूं, रायबरेली, इलाहाबाद, बुलंदशहर और जेपीनगर आदि जिलों के स्वीकृत एस्टीमेट की फाइलें भी जल गई थीं। तत्कालीन सपा सरकार की प्राथमिकता वाली जनेश्वर मिश्र ग्राम योजना और दुकान निर्माण योजना का रिकॉर्ड भी नहीं बचा था।
मंडी परिषद के तत्कालीन अफसरों ने दावा किया था कि नष्ट हुई फाइलें या तो डिजिटल फॉर्म में या फिर जिलों में स्थित मंडी कार्यालयों में उपलब्ध हैं लेकिन हकीकत इससे एकदम उलट निकली। पता लगा कि अधिकतर फाइलें रिकवर नहीं की जा सकती हैं।
इससे यह शक और पुख्ता हुआ कि आग लगी नहीं थी, बल्कि लगाई गई थीं। यहां बता दें कि ‘अमर उजाला’ ने मई 2016 में ही आग में गहरी साजिश होने की प्रबल आशंका जताते हुए प्रमुखता से खबरें प्रकाशित की थीं।
इसके अलावा कल्याणकारी योजनाएं जैसे कृषि विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों की छात्रवृत्ति योजना, व्यक्तिगत दुर्घटना सहायता योजना, खलिहान अग्नि दुर्घटना सहायता योजना, कृषि क्षेत्र अनुदान से संबंधित सैकड़ों फाइलें भी नहीं बचीं।
मामले पर मंडी परिषद के निदेशक धीरज कुमार का कहना है कि मंडी परिषद बोर्ड ने आग की घटना की पुन: जांच के आदेश दिए हैं ताकि आग लगने के सही कारणों व उससे हुए नुकसान का सटीक आकलन किया जा सके।