संतों को मनाने की कोशिश में लगी विहिप की कोर कमेटी, कई मुद्दो पर होगी चर्चा

प्रयागराज। जैसे-जैसे धर्म संसद की तारीख नजदीक आती जा रही है, विहिप और संतों के शिविर में गतिविधियां तेज होती जा रही हैं। संतों को साधने के लिए विश्व हिंदू परिषद की कोर टीम भी मंगलवार को कुंभ क्षेत्र में पहुंच गई। इस टीम में शामिल सभी वरिष्ठ पदाधिकारी हैं, जिनका देश भर के संतों से सीधा संपर्क रहता है। लोकसभा चुनाव से पहले विश्व हिंदू परिषद एक बार फिर अयोध्या राम मंदिर मामले को गरमाने की तैयारी कर रही है। वीएचपी ने इसके लिए प्रयागराज में आयोजित होने जा रहे कुंभ मेले में साधु-संतों की धर्म संसद बुलाने का ऐलान किया है। 31 जनवरी और 1 फरवरी को होने वाली धर्म संसद में साधु-संतों से प्रस्ताव पास कराकर केंद्र सरकार पर राम मंदिर के लिए संसद में कानून बनाने या फिर अध्यादेश लाए जाने का दबाव भी बनाया जाएगा। वीएचपी ने अपनी धर्म संसद की तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी हैं। धर्म संसद में देश के सभी प्रमुख सनातनी धर्माचार्यों को बुलाने की कोशिश की जा रही है।
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विहिप की कोर कमेटी में शामिल केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय, राजेंद्र सिंह पंकज, केंद्रीय मंत्री जीवेश्वर मिश्र, केंद्रीय संत संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी और संन्यासी मंडल के सदस्य दिनेश के अलावा महामंत्री संगठन विनायकराव देशपांडे, संपर्क प्रमुख रास बिहारी यहां पहुंच गए। इन पदाधिकारियों को कुंभ क्षेत्र में आए प्रमुख संतों से संपर्क कर उन्हें धर्म संसद में लाने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा इन्हें यह भी दायित्व सौंपा गया है कि जो भी संत धर्म संसद में आएं वे विहिप की नीतियों के अलावा मोदी और योगी सरकार पर भी सकारात्मक रुख रखें। इस बीच विहिप शिविर में सुबह और शाम केंद्रीय पदाधिकारियों की दो दौर की बैठक हुई, जिसमें बताया गया कि करीब 60 प्रतिशत संतों को धर्म संसद में आने का बुलावा भेज दिया गया है।
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विहिप के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ ही केंद्र और प्रदेश सरकार के मंत्रियों, भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों की भी एक टीम बनाई गई है। यह टीम अलग-अलग समय पर पहुंचकर संतों को धर्म संसद के माध्यम से भाजपा के प्रति माहौल बनाने की कोशिश में जुटी है, जिससे सरकार के दिव्य कुंभ, भव्य कुंभ की कोशिश रंग ला सके। यही वजह है कि संतों को मेला क्षेत्र में किसी भी तरह की असुविधा नहीं होने दे रही है। हरिद्वार लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंदगिरी ने मंगलवार को अपने शिविर में आयोजित बैठक में कहा कि केंद्र सरकार का रुख अयोध्या में मंदिर निर्माण के पक्ष में नही है। यदि सरकार चाहती तो श्रद्धालुओं की उपेक्षा नहीं होने देती। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार के पास ऐसा वक्त आया है, इसका उपयोग करना चाहिए। और कहा कि अयोध्या में राम का भव्य मंदिर बने, इसे लेकर लंबे समय से जनांदोलन चल रहा है, यही वक्त है जब सरकार को कड़ा फैसला लेना चाहिए।
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सूत्रों के मुताबिक, राम मंदिर और हिंदुत्व के साथ ही गोरक्षा, गंगा, धर्मांतरण और घुसपैठ जैसे मुद्दों पर भी धर्म संसद में चर्चा कराई जाएगी। इस बार की धर्म संसद में दलित समुदाय से ताल्लुक रखने के बाद गृहस्थ जीवन छोड़ने वाले संतों को खास प्रमुखता दी जाएगी। जातीय बंधन तोड़कर हिंदुत्व के सूत्र में बंधने के लिए इस बार की धर्म संसद में कई कथावाचकों को भी बुलाने की तैयारी है। वीएचपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अंबरीश का कहना है कि, इस बार की धर्म संसद कई मायनों में खास होगी। इसमें किसी राजनीतिक दल के नेता को नहीं बुलाया जाएगा। हालांकि अगर कोई नेता इन मुद्दों पर अपनी सहमति जताने के लिए आना चाहता है तो, उसका स्वागत भी किया जाएगा।

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