श्रावण के तीसरे सोमवार को सुरक्षा इंतजामों के साथ श्रद्धालुओं ने भगवान किए भोलेनाथ के दर्शन, मंदिरों में लगी श्रद्धा की कतार

श्रावण के तीसरे सोमवार को सुरक्षा इंतजामों के साथ श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए। राजधानी के ऐतिहासिक सिद्धपीठ मनकामेश्वर मंदिर में महंत देव्या गिरि ने भोर आरती के साथ ही मंदिर के कपाट खोल दिए थे। शारीरिक दूरी के साथ मास्क लगाकर श्रद्धालु अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए। सुबह से दोपहर तक श्रद्धालुओं की कतार लबी हो गई। पुलिस बंदोबस्त के साथ ही मंदिर परिसर में थर्मल स्कैनिंग के साथ पांच-श्रद्धालुओं को ही परिसर में जाने की अनुमति थी। गर्भगृह से दूर विशेष अरघे में श्रद्धालुओं ले जलाभिषेक कर भगवान शिव से कोरोना मुक्ति की कामना की। सुबह से शुरू हुआ दर्शन का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा।

चौक के छोटा व बड़ा शिवाला के साथ ही कल्याण गिरि मंदिर में पुजारी ने बाबा का श्रृंगार किया और श्रद्धालुओं ने बाहर से ही दर्शन किए। कोनेश्वर मंदिर और कोतवालेश्वर मंदिर में केवल पुजारी ने ही बाबा का श्रृंगार किया। हनुमान सेतु मंदिर परिसर के शिव लिंग के दर्शन भी बाहर से किए गए। गुलाचिन मंदिर, पिपलेश्वर महादेव मंदिर, मौनी बाबा मंदिर, तुलसी मानस मंदिर और इंद्रेश्वर मंदिर समेत राजधानी के सभी शिव मंदिरों में सुरक्षा बंदोबस्त के बीच श्रद्धालुओं ने भगवान शिव की आराधना की। बाबा सिद्धनाथ के मंदिर में जलाभिषेक के विशेष इंतजाम के साथ श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की।

भाेर में हुई महाकाल की भस्म आरती

राजेंद्र नगर के महाकाल मंदिर में भोर में भस्म आरती की गई। आरती में सुरक्षा के चलते श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में आने की अनुमति नहीं थी। संयोजक अतुल मिश्र ने उज्जैन की तर्ज पर महाकाल की आरती की तो पूरा परिसर शिवमय हो गया। महाकाल के जयकारे से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा। मंदिर के बाहर शारीरिक दूरी के साथ ही एलईडी पर श्रद्धालुओं ने बाबा की आरती के दर्शन किए। मोहान रोड स्थित बुद्धेश्वर मंदिर में पुख्ता सुरक्षा इंतजामों के साथ बाबा के जयकारे के बीच श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। भाेर में ही मंदिर के कपाट खोल दिए गए थे। दोपहर बाद तक श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही। हालांकि अधिकतर श्रद्धालु मास्क के साथ बाबा के दर्शन किए। शारीरिक दूरी का पालन कराने में मंदिर प्रशासन को मशक्कत भी करनी पड़ी।

रिमझिम फुआरों के बीच किए दर्शन

श्रावण का दिन हो और पानी की फुआर न पड़े तो मानो श्रावण अधूरा सा लगता है। तीसरे सोमवार को सुबह से छाई बदली जहां श्रद्धालुओं को गर्मी से राहत दे रही थी तो पानी की हल्की बौछारें मानों भोलनाथ का अभिषेक कर रही हों। दोपहर करीब 12:30 बजे इंद्रेश्वर महादेव और तुलसी मानस मंदिर में दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं ने फुआरों के बीच ही बाबा के दर्शन किए। हल्की बूंदाबादी की सिलसिला दिनभर चलता रहा।

कोरोना से मुक्ति के लिए सवा लाख शिव लिंग का अभिषेक

वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच ऐशबाग रामलीला मैदान में सवा लाख रुद्रों का अभिषेक कर कोरोना संक्रमण से मुक्ति की कामना की गई। संयोजक आदित्य द्विवेदी ने बताया कि हरिश्चंद्र अग्रवाल और अमरनाथ मिश्रा के सानिध्य में 27 चौकियों पर काली मिट्टी से बने शिविलिंग का अभिषेक किया गया। सुरक्षा के चलते श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया था और सोशल मीडिया के माध्यम से आयोजन को प्रसारित किया गया। दूध, दही, शहद, चंदन, रोली, गंगा जल, भांग, धतूरा, अक्षत, बेलपत्र व फलादि के साथ अभिषेक किया गया। सुबह से शुरू हुआ आयोजन दाेपहर बात तक चलजा रहा। सभी यजमानों ने परिवार के साथ घर में ही पूजा अर्चना की।

सोमवती अमावस्या का विशेष योग

श्रावण के तीसरे सोमवार को 47 साल बाद सोमवती अमावस्या का विशेष योग होने से सुहागिनों को विशेष पुण्य की प्राप्ति के लिए पूजा अर्चना की। मंदिर में पूजन के प्रतिबंध के चलते सुहागिनों ने घर में ही भगवान शिव की आराधना की। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि सूर्य चंद्रमा एक साथ में होने से बने साेमवती अमावस्या का योग सभी के लिए पुण्य लेकर आया है। पुनर्वसु नक्षत्र और पुष्कर योग की वजह से विवाह, धनधान्य, संतान और सेहत के सुख की कामना के लिए सुहागिनों ने न्रिर्जला व्रत के साथ बाबा की पूजा की। महिलाओं ने न केवल घरों में पूजन किया बल्कि तुलसी की परिक्रमा करके प्रकृति के करीब आने कस संदेश भी दिया। मान्यता के अनुरूप इस दिन पौधारोपण से करने से ग्रह दोष शांत होते हैं। कुछ महिलाओं ने गमले में तुलसी के पौधे लगाकर इस परंपरा का निर्वहन किया। आचार्य अनुज पांडेय ने बताया कि अमावस्या तिथि का संबंध पितरों से भी माना जाता है। श्रावण मास सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही खत्म हो रहा है। इसलिए यह पूरा महीना ही खास है। 23 जुलाई को हरियाली तीज, 25 जुलाई को नागपंचमी, 30 जुलाई को पवित्रा एकादशी और तीन अगस्त सोमवती पूर्णिमा और रक्षाबंधन के साथ श्रावण मास का समापन होगा। भगवान शिव की आराधना से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

शिव शंकर चले कैलाश बुंदिया पड़ने लगी…

शिव शंकर चले कैलाश बुंदिया पड़ने लगी…और शिव को कैसे मनाई हो शिव मानत नाही…जैसे पारंपरिक शिव भजनों को गाकर महिलाओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किया। लोकगायिका रंजना मिश्रा ने यूट्यूब के माध्यम से भजनों को शेयर किया तो अनुमेहा गुप्ता ने शिव विवाह गीत के माध्यम से शंकर-पार्वती की पूजा अर्चना की। आशियाना में पूजा मेहरोत्रा ने सोमवती अमावस्या पर पूजन के साथ भजन गाए तो इंदिरानगर में विजय लक्ष्मी चौरसिया ने परिवार की कुशलता के लिए घर में विशेष अनुष्ठान किया।

Back to top button