शीला दीक्षित की दिल्ली कांग्रेस चीफ के पद से हो सकती है छुट्टी, सामने आई ये बड़ी वजह…

लोकसभा चुनाव-2019 में दिल्ली की सभी सातों सीटों  पर हार के बाद अब इसके साइट इफेक्ट के तौर पर माना जा रहा है कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (Delhi Pradesh Congress Committee) अध्यक्ष शीला दीक्षित की इस पद से छुट्टी हो सकती है। मिली जानकारी के मुताबिक, लगातार इस संबंध में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (United Progressive Alliance) की अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास से दिल्ली प्रदेश के कांग्रेस नेताओं की मंत्रणा भी चल रही है। ऐसे में अभी से संभावित नामों को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस इस बार दिल्ली में किसी युवा नेता पर अपना दांव लगाएगी, क्योंकि आम आदमी पार्टी (AAM AADMI PARTY) से अरविंद केजरीवाल और भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya janta Party) से मनोज तिवारी के मुकाबले 80 वर्षीय शीला दीक्षित कहीं न कहीं कमजोर साबित हो रही हैं। यह अलग बात है कि शीला दीक्षित के नेतृत्व में लड़े गए लोकसभा चुनाव दिल्ली में न केवल कांग्रेस का मत फीसद बढ़ा, बल्कि वह AAP से आगे निकल गई है। बावजूद इसके लगातार शीला दीक्षित के इस पद पर बने रहने को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

राजेश लिलोठिया और देवेंद्र यादव हैं प्रमुख दावेदार

सूत्रों की मानें तो अगर कांग्रेस दिल्ली में युवा नेता पर दांव लगाएगी तो दलित नेता राजेश लिलोठिया और देवेंद्र यादव में से कोई एक नाम हो सकता है। दोनों के पक्ष में कई बातें जा रही हैं। पहली तो यही कि दोनों युवा और दोनों ही दिल्ली में कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर शीला दीक्षित के साथ काम कर रहे हैं। 

यहां पर बता दें कि दिल्ली में सातों लोकसभा सीटों (नई दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, उत्तर पश्चिमी दिल्ली, उत्तर पूर्वी दिल्ली और चांदनी चौक) पर हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने पार्टी आलाकमान को मई महीने में ही अपना इस्तीफा भेज दिया था। हालांकि उन्होंने अंतिम फैसला राहुल गांधी पर छोड़ दिया था। इसके साथ ही शीला ने चुनावी नतीजों की समीक्षा के लिए एक कमेटी गठित करने का भी निर्णय लिया है। इस कमेटी की रिपोर्ट पर प्रदेश कांग्रेस में भी बड़े फेरबदल के आसार हैं।

मुखर्जी नगर पिटाई मामले की जांच में हुआ एक नया खुलासा, पुलिस में तीन महीने पहले ही हुए भर्ती

गौरतलब है कि दिल्ली की सात में से पांच सीटों पर दूसरे नंबर पर आने के बावजूद कांग्रेस के उम्मीदवार भाजपा के उम्मीदवारों से काफी अधिक मतों से पराजित हुए हैं। कहीं-कहीं पर जीत-हार का आंकड़ा 5 लाख या इससे अधिक का रहा है।

ऐसे में पार्टी की इस हार के लिए प्रदेश इकाई के शीर्षस्थ नेताओं पर भी अंगुली उठ रही है। पिछले दिनों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया को हटाने तक की मांग भी कर डाली थी। ऐसे में शीला ने सातों सीटों पर हुई हार की जिम्मेदारी स्वयं ली है, लेकिन इससे बात बनती दिखाई नहीं दे रही है। 

Back to top button