शिवसेना का पीएम मोदी पर वार, नोटबंदी का बम फेंककर मोदी ने अर्थव्यवस्था को हिरोशिमा नागासाकी बना डाला

नई दिल्ली: शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। आपको बता दें कि नोटबंदी के फैसले को लेकर लगातार विपक्ष के मार झेल रही मोदी सरकार पर अब उसकी गठबंधन सहयोगी शिवसेना के भी प्रहार लगातार जारी है।

राहुल गांधी की इस गलती से जब्त हो सकता है कांग्रेस का चुनाव चिन्हशिवसेना का पीएम मोदी पर वार, नोटबंदी का बम फेंककर मोदी ने अर्थव्यवस्था को हिरोशिमा नागासाकी बना डाला

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि मोदी सरकार ने हिंदुस्तान पर नोटबंदी का अणु बम फेंककर भारत की अर्थव्यवस्था को हिरोशिमा, नागासाकी जैसा बना दिया है। बता दें कि उद्योग जगत के एसोचैम नामक एक संगठन ने बताया कि नोटबंदी के बाद से देश में अब तक 40 लाख लोगों की नौकरियां खत्म हो गईं तथा आगे कई और लोगों को नौकरी गंवानी पड़ सकती है।

मोदी सरकार पर शिवसेना के वार

नोटबंदी का अणु बम फेंककर मोदी ने हिंदुस्तानी अर्थव्यवस्था को हिरोशिमा, नागासाकी बना डाला है। उद्योग जगत के एसोचैम नामक संगठन ने बताया कि नोटबंदी के बाद से अब तक देश में 40 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं तथा आगे कई और लोगों को नौकरी गंवानी पड़ सकती है।

मोदी आज किसी की भी सुनने की स्थिती में नहीं है. उन्होंने आरबीआई गवर्नर की भी नहीं सुनी। मंत्रिमंडल मे जिस तरह गूंगे-बहरे तोते बिठाए गए हैं, आरबीआई में भी उसी तरह का गवर्नर नियुक्त कर देश की अर्थव्यवस्था को अस्त-वस्त कर दिया है। मोदी का कहना है कि राज्य के कामकाज में एनसीपी प्रमुख शरद पवार की सलाह लेते हैं। ये बात उन्होंने बारामती में कही थीं।

मोदी अगर सचमुच शरद पवार से सलाह ले रहे होते, तो पवार भी सलाह देते कि जिला सहकारी बैंको को अपराधी ठहराकर किसानो की अर्थी मत बांधो, क्योंकि सहकारी क्षेत्र महाराष्ट्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आत्मा है। किसानों की कमर टुट चुकी है और किसानों की दुर्दशा पुछने वाला कोई नहीं है। किसान अपना दैनिक लेन-देन का पैसा जिला सहकारी बैंको में जमा करता है।

जिला सहकारी बैंको पर पुराने नोटों को लेने का प्रतिबंध लगाकर सरकार ने एक साथ सभी जिला बैंकों को अपराधी और भ्रष्ट ठहरा दिया।ऊपर से सरकार ने कहा कि जिला सहकारी बैंक काले धन के गोदाम बन गए हैं, इसलिए नोटबंदी के बाद पुराने नोटों को लेने से उन्हें रोका गया। अब खुद आरबीआई ने एक आरटीआई के जवाब में स्पष्टीकरण दिया है कि नोटबंदी के दोरान राज्य और जिला सहकारी बैंक में भ्रष्टाचार या कोलाहल मचने की कोई जानकारी नहीं है।

 

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