शिव’राज’ के शासन के दौरान दुर्भावना से दर्ज राजनीतिक मुकदमे होंगे वापस

मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने तय किया है कि शिवराज सिंह चौहान के 15 वर्षों के शासनकाल के दौरान कांग्रेस, बसपा समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर राजनीतिक दुर्भावना से दर्ज किए गए मुकदमे वापस लिए जाएंगे। इसमें किसान आंदोलन, मंदसौर गोलीकांड के बाद और एससीएसटी एक्ट के दौरान हुए प्रदर्शन से जुड़े मामले भी शामिल होंगे। इसके साथ ही कमलनाथ ने अपने कार्यकाल का एक महीना पूरा होने पर एक और वचन पूरा किया।शिव'राज' के शासन के दौरान दुर्भावना से दर्ज राजनीतिक मुकदमे होंगे वापस

राज्य में ऐसे करीब आठ हजार मामले हैं। अकेले भोपाल में 308 प्रकरण हैं। इसके लिए जिला स्तर पर कमेटी बनेगी। मंत्रिमंडल की गुरुवार रात भोपाल में हुई बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। इसके अलावा बैठक में किसानों की कर्ज माफी के लिए बनी योजना को लागू किए जाने की समीक्षा भी की गई।

भोपाल आने की जरुरत नहीं, जिला स्तर पर हो जाएगा काम
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, मंत्रिपरिषद की बैठक में व्यापक लोकहित में आपराधिक प्रकरणों की वापसी के लिए नई प्रक्रिया अनुमोदित की गई है। अनुमोदित प्रक्रिया अनुसार प्रत्याहरण के लिए अब किसी भी आवेदक को राजधानी आने की आवश्यकता नहीं होगी। वह अपना आवेदन सीधे संबंधित जिले के जिला दंडाधिकारी को प्रस्तुत कर सकेगा।

तय की गई प्रक्रिया के अनुसार, प्रकरण के प्रत्याहरण के लिए जिला एवं राज्यस्तरीय समिति के गठन होगा। इसके अलावा त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए संचालक, लोक अभियोजन को संयोजक और नोडल एजेंसी घोषित किया गया है। जिला स्तरीय समिति में जिला दण्डाधिकारी को अध्यक्ष, जिला पुलिस अधीक्षक को सदस्य और जिला लोक अभियोजन अधिकारी को सदस्य सचिव बनाया गया है।

विधायक-सांसदों के केस पर बाद में विचार
मंत्रिमंडल की बैठक में खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि उनका मुकदमा विशेष अदालत में चल रहा है। उसे भी इस योजना में शामिल किया जाए। विधायकों-सांसदों पर चल रहे मुकदमे भी माफ किए जाएं। सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया ने कहा कि जो प्रक्रिया तय की गई है वह लंबी हो जाएगी। खेलमंत्री जीतू पटवारी ने भी कहा कि कई राजनेताओं पर 302 व 307 के केस हैं। इन्हें भी वापस लिया जाए। इस पर कमलनाथ ने कहा कि विधायक-सांसदों के केस के बारे में बाद में विचार करेंगे क्योंकि ये स्पेशल कोर्ट में चलते हैं।

कर्जमाफी योजना की हुई समीक्षा
मंत्रिमंडल की बैठक में ‘जय किसान फसल ऋणमाफी योजना’ के क्रियान्वयन की समीक्षा भी की गई है। मध्य प्रदेश में कर्जमाफी के आवेदन भरने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ कई किसानों पर फर्जी तौर पर कर्ज होने के मामले भी सामने आने लगे हैं। इस पर सरकार ने संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों को आवश्यक जांच और कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से मंगलवार ही ‘जय किसान फसल ऋणमाफी योजना’ का एलान किया गया था।

किन किसानों को होगा फायदा
बैठक में मंत्रियों ने कहा कि कर्जमाफी की कटऑफ डेट (जिस तारीख तक का कर्ज माफ होना है) को लेकर संशय बना हुआ है। इस पर बताया गया कि 31 मार्च 2018 तक ऋण लेने वाले किसानों की दो लाख रुपये तक की कर्ज माफी होगी।

इसी तरह 31 मार्च 2018 तक कर्ज लेने वाले किसानों ने यदि 12 दिसंबर 2018 के बीच पूरा या आंशिक रूप से कर्ज चुका दिया है तो उन्हें भी कर्ज माफी योजना का लाभ मिलेगा। मंत्रियों ने कुछ जगहों पर फार्म नहीं पहुंचने की जानकारी दी। इस पर मुख्यमंत्री ने बताया कि यह समस्या जल्द खत्म हो जाएगी। बताया जा रहा है कि 17 जनवरी तक 3 लाख 49 हजार किसानों ने कर्ज माफी के लिए आवेदन कर दिया है।

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