शिक्षा विभाग की ओर से कराए गए स्कूलों के सर्वेक्षण में स्थानीय आदर्श GGIC कुमाऊं मंडल में सर्वश्रेष्ठ….

शिक्षा विभाग की ओर से कराए गए स्कूलों के सर्वेक्षण में नैनीताल का आदर्श जीजीआइसी कुमाऊं मंडल में सर्वश्रेष्ठ साबित हुआ है। शैक्षणिक गतिविधियों के साथ ही अनुशासन, सुंदरीकरण व अन्य मानकों में विद्यालय ने सबको पछाड़ा है। इस उपलब्धि के लिए देहरादून में दस दिसंबर को प्रस्तावित उत्तराखंड एजुकेशन समिट-2019 व द्वितीय स्टेट लेबल एजुकेशन एक्सीलेंसी अवार्ड समारोह में पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। अभिभावकों समेत शिक्षाविदों ने इस उपलब्धि का श्रेय प्रधानाचार्य सावित्री दुग्ताल की मेहनत समेत शिक्षिकाओं के योगदान को दिया है।

गौथिक शैली में बना विद्यालय भवन हैरिटेज श्रेणी में भी सूचीबद्ध

1913 में प्राथमिक स्कूल से शुरू यह विद्यालय 1939 में कन्या उच्चतर माध्यमिक व 1950 में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज बना। 1964 में यहां विज्ञान वर्ग की कक्षाएं शुरू हुई। गौथिक शैली में बना विद्यालय भवन हैरिटेज श्रेणी में भी सूचीबद्ध है। 1916 में यह इसे आदर्श कॉलेज का दर्जा दिया गया था। यहां लगातार छात्र संख्या कम हो रही थी। 17 जुलाई 2017 को प्रधानाचार्य सावित्री दुग्ताल के चार्ज संभालने के बाद शैक्षणिक व अन्य गतिविधियों में तेजी से सुधार हुआ। पांच एकड़ क्षेत्र में स्थापित विद्यालय में ई लर्निग क्लास के साथ ही अंग्रेजी माध्यम में कक्षाएं संचालित की जा रही हैं।

ये होती हैं गतिविधियां

अपर शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती की ओर से भेजे गए पत्र में विद्यालय को अवार्ड के लिए चयनित होने की जानकारी दी गई है। प्रधानाचार्य के अनुसार कराए गए सर्वेक्षण में विद्यालय का सुंदरीकरण, उच्च शैक्षिक वातावरण, प्रत्येक कक्षा में सीसीटीवी कैमरे, शैक्षिक चार्ट, छात्राओं में प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत करने के लिए तीन क्लिप बोर्ड, जिसमें स्वरचित कविता, लेख शामिल होते हैं, प्रत्येक शनिवार को कक्षा छह से आठ तक की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में, प्रत्येक सप्ताह में दो दिन प्रार्थना सभा अंग्रेजी में, कड़ाई, बुनाई व राखी बनाने की व्यावसायिक शिक्षा, कक्षाओं में ग्रीन बोर्ड, जूनियर कक्षा में पेंट, कमीज व टाई गणवेश लागू होने से विद्यालय सर्वश्रेष्ठ श्रेणी में आया। प्रधानाचार्य सावित्री के अनुसार इस बार छात्र संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है।

क्लर्क का काम करती हैं खुद

जीजीआइसी में क्लर्क का पद रिक्त होने से प्रधानाचार्य सावित्री खुद ही यह करती हैं। स्कूल टाइम से भी इतर ड्यूटी देना उनके स्वभाव में है। यहां तक कि कभी कभी अवकाश के दिन भी विद्यालय का काम पूरा करने पहुंच जाती हैं।

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