रवि शास्त्री युग में युवराज-धोनी के लिए टीम में कोई जगह नहीं?

अनिल कुंबले का कोच पद से इस्तीफा देने के बाद भारतीय टीम को अब रवि शास्त्री के रूप में नया कोच मिल गया है. जिस तरह से कुंबले के साथ कोच के रूप में बर्ताव हुआ, उसके बाद साफ तौर पर कोहली को काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी. रवि शास्त्री के कोच बनने के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि टीम एक फिर से एकजुट होकर अच्छा प्रदर्शन करेगी, लेकिन हम आप को बताएंगे कि रवि शास्त्री के कोच बनने के बाद टीम इंडिया पर क्या बुरा असर पड़ सकता हैं:

शास्त्री युग में युवराज-धोनी के लिए टीम में कोई जगह नहीं? सीनियर खिलाड़ियों का कट सकता है पत्ता

1. युवराज सिंह : रवि शास्त्री के कोच बनने के बाद टीम के अनुभवी खिलाड़ियों पर गाज गिर सकती हैं. युवी पर इस समय उम्र का असर दिखने लगा है.ऐसे में इन खिलाड़ियों का टीम में जगह बनाना मुश्किल हो सकता हैं. भारत की टीम में एक समय मैच विनर की भूमिका निभाने वाले और भारत को 2007 का टी20 वर्ल्ड कप और 2011 का वर्ल्ड कप जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले युवराज सिंह जब से कैंसर की बीमारी से ठीक होकर आए हैं, उसके बाद से उनकी फिटनेस भी अब पहले जैसी नहीं रही है.

बल्लेबाजी में भी अब उस पुराने युवराज की झलक नहीं दिखती है, हाल में ही खत्म हुई चैंपियंस ट्रॉफी के पहले मैच को छोड़ दिया जाए तो बाकी मैच में युवराज ने कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया है . भारतीय टीम को 2019 का वर्ल्ड कप जीतना है तो इस बात की पूरी उम्मीद है कि शास्त्री इस को जरुर ध्यान में रखेंगे, जिस कारण युवराज सिंह का टीम से बाहर होना लगभग पक्का माना जा रहा है.

2. महेंद्र सिंह धोनी: धोनी के हालिया प्रदर्शन को देखते हुए उन पर भी काफी सवाल उठ रहे हैं, कि उन्हें 2019 के वर्ल्ड कप में ले जाना कितना ठीक होगा और शास्त्री युवा बल्लेबाजों को काफी तरजीह देते है, जिसके बाद धोनी को बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है. इससे पहले रवि शास्त्री धोनी की कप्तानी के पक्ष में भी नहीं दिखे थे.

जब रवि शास्त्री ने एक टीवी शो में कहा था कि मेरी तो बस धोनी को सलाह है कि अब वक्त आ गया है कि वो प्रेशर झेलने के बजाए अपनी क्रिकेट का लुत्फ उठाएं और विराट कोहली को तीनों फॉर्मेट की कप्तानी सौंप दे. क्योंकि धोनी की कप्तानी में अब वो भूख नहीं दिखाई देती.

खबरें ये भी थी की शास्त्री के कारण ही धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया था. रवि शास्त्री और विराट कोहली के बीच करीबी बढ़ने की वजह से धोनी काफी असहज थे. परेशानी इस कदर बढ़ गई थी कि धोनी खुलकर फैसले नहीं ले पा रहे थे.

टीम का होगा आक्रामक रवैया

क्रिकेट को हमेशा से जेंटल मैन्स का खेल माना जाता है. भारत को हमेशा एक शांत टीम के रूप में देखा जाता हैं. इसकी वजह मैदान में खिलाड़ियों का रवैया रहा हैं. लेकिन बेहद आक्रामक स्वभाव के रवि शास्त्री और कोहली के एक साथ आने से टीम के रवैये में बदलाव आएगा. टीम में ये रवैया एक नकारात्मक सोच लाएगा, जिससे टीम के प्रदर्शन और खिलाड़ियों का प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है. अब देखना दिलचस्प होगा कि रवि शास्त्री आने वाले समय में कैसे टीम को आगे ले जा सकते हैं.

केवल विराट का समर्थन

भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली और रवि शास्त्री के रिश्ते भी जग जाहिर हैं. विराट कोहली को रवि शास्त्री का सबसे करीबी माना जाता हैं. यह भी कहा जाता है कि रवि शास्त्री के कारण ही विराट कोहली को टेस्ट टीम की कप्तानी भी मिली थी. रवि शास्त्री जब टीम इंडिया के निदेशक के रूप में कार्य कर रह थे, तब भी रवि हमेशा ही विराट कोहली की तारीफ और उनका समर्थन करते हुए नजर आते थे.

केवल विराट कोहली का ही समर्थन करना रवि शास्त्री के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. क्योंकि अगर आने वाले समय के बारे में सोचा जाए, तो टीम इंडिया का कोई अन्य खिलाड़ी यह नहीं चाहेंगा कि टीम का मुख्य कोच केवल टीम के कप्तान का ही समर्थन करे और किसी का नहीं. ऐसे में टीम में बगावत की उम्मीदें काफी बढ़ जाएंगी.

चेतेश्वर पुजारा और अश्विन की भी हो सकती है छुट्टी

भारतीय टीम के लिए टेस्ट में राहुल द्रविड़ के संन्यास लेने के बाद यदि किसी खिलाड़ी ने उनकी जगह को लेने का काम किया है, तो वो चेतेश्वर पुजारा है. लेकिन रवि शास्त्री को पुजारा की बल्लेबाजी पसंद नहीं है, क्योकि पुजारा बेहद ही धीमा खेलते है और इससे टेस्ट मैच ड्रा होने के आसार अधिक हो जाते है. इसी बात को लेकर एक बार रवि शास्त्री ने इसी बात को लेकर पुजारा की आलोचना भी की थी. आपको बता दें कि पुजारा की धीमी बल्लेबाजी के कारण ही रोहित शर्मा को नंबर 3 पर कुछ मैचों में खिलाया गया था.

वहीं टीम इंडिया के ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन भारत में तो बेहद सफल होते हैं, लेकिन जैसे ही टीम उपमहाद्वीप के बाहर खेलने के लिए जाती है, तो अश्विन की गेंदे बिल्कुल भी असरदार साबित नहीं होती है. ऐसे में रवि शास्त्री एक बार फिर वो कर सकते हैं, जो 2014 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे के एडिलेड में खेले गए पहले मैच में किया था. जब उनकी अध्यक्षता वाली टीम मैनेजमेंट ने अश्विन को ड्राप करके कर्ण शर्मा को खिलाया था.

रवि शास्त्री का कोच बनना धोनी युग के अंत के साथ-साथ विराट युग का उदय माना जा रहा है. जिस तरह कोहली की ख़्वाहिशों के लिए बीसीसीआई और सलाहकार समिति ने मापदंडो और नियमों को ताक पर रखा है वह दर्शाता है कि इस समय कोहली कप्तान नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट टीम के बिग बॉस हो गए हैं.

 

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