बेहद शर्मनाक: पीएम मोदी के विरोध में ममाता ने पार कर दी सारी हदें

संबैधानिक तरीके से देश के प्रधान मंत्री पद पर बैठे मोदी जी का विरोध कुछ लोगों की आदत में शुमार हो गया है. वो चाहे जितना मर्जी अच्छा काम कर लें लेकिन इन विरोधियों को वो गलत ही दिखाई देता है.मोदी जी के विरोधियों की लिस्ट में एक नाम आता है बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का.उनका पीएम मोदी विरोध सारी दुनिया जानती है. वो राज्य में अपनी सरकार को जिस तरह से चलाती हैं 
 

ममाता बनर्जी

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उस में कोई दखल दे तो उसकी जिम्मेदारी तुरंत दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की तरह पीएम मोदी पर डाल देती हैं. नोटबंदी को लेकर तो लेकर उन्होंने मर्यादा की सारी सीमाएं ही लांघ दी थीं. उन्होंने पीएम मोदी जी को डाकू तक कहा था. बहरहाल अब एक बार फिर से ममता का मोदी विरोध जाहिर हुआ है.

 
दरअसल केंद्र सरकार की कई ऐसी योजनाएं होती हैं जो राज्यों के सहयोग से चलती हैं ममता उनका नाम बदल रही हैं. जिसके तहत बंगाल में उन्होंने केंद्र की कई योजनाओं के नाम बदल दिए हैं. इस कड़ी में एक खबर सामने आ रही है कि जल्दी ही बंगाल की ममता सरकार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में से प्रधानमंत्री शब्द हटाने वाली है. अपने इस कदम के पीछे ममता का तर्क भी जोरदार है. 
 
ममता बनर्जी का कहना है कि बंगाल में केंद्र सरकार की योजनाओं के लिए 40 फीसदी फंड राज्य सरकार दे रही है तो उसे योजनाों के नाम बांग्ला भाषा में रखने का अधिकार है.
 
इस से पहले ममता सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन का नाम बदलकर निर्मल बांग्ला और दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना का नाम बदल कर आनंदाधारा कर दिया था. इसी के साथ अब प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना को अब बांग्ला गृहा प्रकल्प और दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना को सबर घरे आलो के नाम से जाना जाएगा. दरअसल ममता बड़ी चालाकी से हर मंच से अपना प्रचार कर रही हैं. 

वो केंद्र की योजनाओं के नाम बदल रही हैं जिस से की बंगाल के लोगों को लगे की राज्य सरकार की योजनाएं हैं और बंगाल की सरकार जनता के लिए बहुत अच्छा काम कर रही है.
 
ममता बनर्जी का एजेंडा साफ है. वो हर मंच से पीएम नरेंद्र मोदी की खिलाफत कर रही हैं. अब केंद्रीय योजनाओं के नाम बदलना उनका यही एजेंडा दिखा रहा है. हालांकि राज्य सरकार के नौकरशाहों की इश मामले में अलग राय है. वो कहते हैं कि केंद्रीय योजनाओं के नाम से स्थानीय जनता परिचित नहीं होती है. 
 
इसलिए जनता तक योजना की जानकारी पहुंचाने के लिए उनके नाम बदल दिए जाते हैं. ये बहुत से राज्यों में होता है. वहीं ममता का कहना है कि जब केंद्र सरकार ने योजनाओं के लिए फंड कम कर दिया है तो सरकार की विचारधारा और उनकी पार्टी के विचारकों के नाम पर योजना क्यों चलाई जाए.
 
ममता बनर्जी के इस फैसले से उनकी पार्टी के नेता और सरकार के मंत्री सुर में सुर मिला रहे हैं. बंगाल के ऊर्जा मंत्री सोवनदेब चटर्जी ने कहा है कि अब केंद्र सरकार ने योजनाओं में राज्यों की हिस्सेदारी 4 फीसदी बढ़ा दी है. जिसके कारण योजनाओं में हिस्सेदारी 60-40 की हो गई है. जब योजनाओं में राज्य सरकार का खर्च ज्यादा हो रहा है तो योजनाओं के नाम प्रधानमंत्री या फिर उनके नेताओं के नाम पर क्यों रखा जाए. 
 
ये मोदी विरोध की हद है. वहीं सोशल मीडिया पर ममता के इस फैसले को लेकर यूजर्स ने उन्हे घेरना शुरू कर दिया है. लोगों ने कहा है की बंगाल में मुस्लिम परस्त ममता बनर्जी कभी नहीं चाहेगी की बंगाल की जनता मोदी जी को समझ सके उन्हें पहचान पाए. वरना देश के दुसरे राज्यों की तरह बंगाल में भी बीजेपी का झंडा बुलंद हो सकता है.
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