वोट डालने से पहले जान लीजिए क्या कहता है आपकी सीट का सियासी समीकरण

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में सियासी परीक्षा का पहले चरण शुरू हो चुका है. इसमें 15 जिलों की 73 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं. इनमें से किस जिले की किस सीट पर क्या रहे हैं सियासी समीकरण, डालिए उसपर एक नजर…

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एटा: एटा की अलीगंज सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है और पार्टी ने यहां से पिछले पांच में से चार चुनाव जीते हैं. दरअसल 2007 में कभी सपा के विधायक रहे अवधपाल सिंह यहां से बीएसपी के टिकट पर लड़े और जीते. एटा सीट पिछले चार में से तीन बार सपा की जीत की गवाह बनी है. इस सीट पर भी सपा को 2007 में ही हार मिली थी. जलेसर सीट बीजेपी और सपा के बीच झूलती रही है. पिछले छह चुनावों में यहां से एक बार बीजेपी तो एक बार सपा विजयी रही है. एटा की मरहारा सीट सपा के खाते में है और यहां से अमित गौरव विधायक हैं.

कासगंज: कासगंज जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र कासगंज, पटियाली और अमनपुर आते हैं. कासगंज से इस समय सपा के मनपाल सिंह विधायक हैं. वो 2002 में भी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं हालांकि 2007 के चुनावों में ये सीट बीएसपी के हसरतुल्ला के खाते में चली गई थी. अमनपुर सीट इस समय बहुजन समाज पार्टी के खाते में है और ममतेश यहां से विधायक हैं जबकि पटियाली सीट से पिछले चार चुनावों में क्रमशः बीजेपी, बीएसपी, बीएसपी और सपा जीतती रही है.

फिरोजाबाद: फिरोजाबाद जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं. इनमें फिरोजाबाद, जसराना, शिकोहाबाद, सिरसागंज और टूंडला शामिल हैं. फिरोजाबाद सीट से पिछले तीन चुनावों में तीन अलग-अलग पार्टियों को जनादेश मिला है. 2002 में समाजवादी पार्टी से अजीम भाई यहां से विधायक चुने गए तो 2007 में ये सीट बीएसपी के खाते में चली गई और यहां से नसीरुद्दीन विजयी रहे. 2012 में इस सीट से बीजेपी के मनीष असीजा को विधायक चुना गया. जसराना सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है जिसपर पिछले पांच में से चार चुनाव सपा के रामवीर सिंह ने जीते हैं. शिकोहाबाद सीट से 2002 में समाजवादी पार्टी के हरि ओम को जीत मिली थी लेकिन 2007 के चुनावों में हरिओम स्वतंत्र उम्मीदवार अशोक यादव से तकरीबन 18 हजार वोटों से हार गए. 2012 में सपा ने यहां से ओम प्रकाश वर्मा को खड़ा किया जिन्होंने बीएसपी के मुकेश वर्मा पर बड़ी जीत हासिल की. शिकोहाबाद से हरिओम सिरसागंज शिफ्ट हुए और उन्होंने ये सीट सपा को दिलाई. टूंडला सीट से पिछले दो चुनावों में लगातार बीएसपी कैंडिडेट राकेश बाबू को जीत मिली है. जबकि 2002 में यहां से सपा कैंडिडेट मोहन देव शंखवार विजयी रहे थे.

आगरा: आगरा जिले में यूपी के नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें आगरा कैंट, आगरा नॉर्थ, आगरा साउथ, आगरा रूरल, बाह, ऐत्मादपुर, फतेहपुर, फतेहाबाद और खेरागढ़ विधानसभा सीट शामिल हैं. आगरा कैंट से पिछले तीन चुनावों में लगातार बीएसपी के कैंडिडेट विजयी रहे हैं जबकि आगरा नॉर्थ से बीजेपी के जगन प्रसाद गर्ग 2002 से विधायक हैं. आगरा रूरल सीट पर इस समय बहुजन समाज पार्टी का कब्जा है तो आगरा साउथ को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है. ये बात अलग है कि 2007 में ये सीट बीएसपी ने हथिया ली थी लेकिन 2012 में फिर से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा हो गया. बाह से इस समय सपा से राजा महेंद्र अरिदमन सिंह विधायक हैं. इस सीट पर राजा महेंद्र अरिदमन सिंह बीजेपी और जनता दल से भी विधायक रह चुके हैं. कुल मिलाकर यहां वोट पार्टी को कम और प्रत्याशी के नाम पर ज्यादा मिलता है. ऐत्मादपुर सीट पिछले 10 साल से बीएसपी के खाते में है और यहां से इस समय डॉक्टर धर्मपाल सिंह विधायक हैं. फतेहपुर सीट की बात करें तो यहां से पिछले तीन चुनावों में तीन अलग-अलग पार्टियों को जनादेश मिला है. 2012 में यहां से सपा को जीत मिली थी लेकिन 2014 के उपचुनाव में ये सीट बीजेपी के विक्रम सिंह के खाते में चली गई. फतेहाबाद सीट पर बीएसपी के छोटेलाल वर्मा विधायक हैं. वे 2002 में बीजेपी के टिकट पर भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं. जबकि 2007 में वे सपा के टिकट पर लड़े और दूसरे नंबर पर रहे. खेरागढ़ सीट पिछले दो चुनावों से बीएसपी के कब्जे में है. यहां से पार्टी के भगवान सिंह कुशवाहा विधायक हैं.

हाथरस: हाथरस जिले में तीन सीटें हाथरस, सादाबाद और सिकंदरा राव हैं. अगर हाथरस की बात करें तो ये सीट बहुजन समाज पार्टी का गढ़ रही है. पिछले चार चुनावों में यहां से बहुजन समाज पार्टी को ही जीत मिलती रही है जिसमें तीन वार रामवीर उपाध्याय विजयी रहे तो पिछली बार सीट के एससी घोषित हो जाने पर बसपा के ही गेंदा लाल चौधरी को जीत मिली. सादाबाद से पिछले चुनावों में सपा के देवेंद्र अग्रवाल ने जीत हासिल की थी लेकिन उनसे पहले लगातार तीन चुनावों में ये सीट आरएलडी के कब्जे में रही. सिकंदराराव सीट से इस समय बीएसपी के ही रामवीर उपाध्याय विधायक हैं जो हाथरस सीट के एससी घोषित हो जाने के बाद इस सीट पर आए थे. उनसे पहले इस सीट पर यशपाल सिंह चौहान का दबदबा रहा है. वो दो बार बीजेपी से विधायक रहे हैं जबकि पिछला चुनाव उन्होंने एसपी के टिकट पर लड़ा था और मामूली अंतर से हारे थे.

मथुरा: मथुरा जिले में पांच विधानसभा सीट हैं. यहां की बलदेव एससी सीट से आरएलडी के पूरन प्रकाश विधायक हैं. छाता सीट भी पिछली बार आरएलडी के खाते में गई और पार्टी की ओर से तेजपाल सिंह जीते. मांट से आरएलडी के वरिष्ठ नेता और चौधरी अजित सिंह के पुत्र जयंत चौधरी विधायक हैं. मथुरा सीट कांग्रेस का गढ़ कही जा सकती है. यहां से पिछले तीन चुनावों से पंजे के निशान पर प्रदीप माथुर चुनाव जीतते रहे हैं, वहीं गोवर्धन विधानसभा जो कि पिछले चुनाव में ही सामान्य सीट घोषित की गई थी उसपर बसपा के राजकुमार रावत विजयी रहे हैं.

अलीगढ़: अलीगढ़ सीट पर पिछले दो चुनावों से सपा के उम्मीदवार विजयी रहे हैं जबकि बीजेपी पिछले चार चुनावों से यहां दूसरे नंबर की पार्टी रहती आई है. सपा के जफर आलम इस समय यहां से विधायक हैं. अतरौली सीट बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सीट मानी जाती है. 2004 और 2007 के चुनावों में भी यहां से बीजेपी विजय रही लेकिन पिछले चुनावों में ये सीट सपा के लिए विरेश यादव ने छीन ली. बरौली लोकसभा सीट पर आरएलडी के दलवीर सिंह विधायक हैं. 2002 और 2007 के चुनावों में यहां से बसपा से ठाकुर जयवीर सिंह विजयी रहे थे. छर्रा सीट भी सपा के खाते में है और राकेश कुमार यहां से विधायक हैं. इगलास और खैर सीट पिछले दो चुनावों से आरएलडी के कब्जे में है. फिलहाल इगलास से त्रिलोकी राम और खैर से भगवती प्रसाद विधायक हैं. कोली सीट पर 2002 और 2007 में बसपा से महेंद्र सिंह जीते थे, पिछले चुनाव में यहां से सपा के जमीर उल्लाह खान जीते.

बुलंदशहर: बुलंदशहर में सात विधानसभा क्षेत्र हैं. अनूपशहर में यहां से पिछले दो चुनाव बसपा के गजेंद्र सिंह जीतते रहे हैं जबकि बुलंदशहर में बसपा के टिकट पर ही मोहम्मद अलीम को जीत मिलती रही है. कभी बीजेपी नेता कल्याण सिंह की सीट मानी जाने वाली देबई सीट पर श्रीभगवान शर्मा दो बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं. 2007 में वो बीएसपी की ओर से मैदान में थे तो 2012 में सपा के. खुर्जा सीट 2002 और 2007 में बसपा के लिए अनिल कुमार ने जीती लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस के बंशी सिंह पहाड़िया यहां ये विजयी रहे. शिकारपुर, सिकंदराबाद और सयाना सीट पर भी कोई पार्टी पूरे भरोसे के साथ दावा नहीं कर सकती क्योंकि इन तीनों सीटों पर भी पिछले तीन चुनावों में नतीजे अलग-अलग पार्टी के पक्ष में रहे हैं.

शामली: शामली में तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें कैराना, थाना भवन और शामली शामिल हैं. अगर कैराना की बात करें तो यहां बीजेपी की तूती बोलती रही है. 1996 से चार बार बीजेपी के टिकट पर हुकुम सिंह यहां से विधायक चुने जाते रहे हैं, हालांकि हुकुम सिंह के सांसद चुने जाने के बाद उपचुनाव में बीजेपी ने अनिल कुमार पर दांव लगाया जो कि नजदीकी मुकाबले में समाजवादी पार्टी के नाहिद हसन से हार गए. शामली की सीट कांग्रेस के कब्जे में है. यहां 2012 के चुनाव में पार्टी की ओर से पंकज कुमार मलिक ने सपा के वीरेंद्र सिंह को नजदीकी मुकाबले में मात दी थी. जिले की तीसरी सीट थाना भवन काफी समय से समाजवादी पार्टी के कब्जे में थी. 2007 में यहां से आरएलडी को जीत मिली लेकिन 2012 के चुनाव में बीजेपी ने तकरीबन 20 साल बाद इस सीट पर वापसी की जब उसके प्रत्याशी सुरेश कुमार ने आरएलडी के अशरफ अली खान को महज कुछ सौ वोटों से हरा दिया.

मुजफ्फरनगर: मुजफ्फरनगर में सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं. बुढ़ाना की सीट पर पिछले चार चुनाव में चार अलग-अलग पार्टी और प्रत्याशी विजयी रहे हैं. ये सीट अभी सपा के पास है. चरथावल सीट पर बीएसपी मजबूत है क्योंकि पिछले तीन चुनावों से ये सीट वही जीतती रही है. खतौली सीट पर बीएसपी और आरएलडी के बीच मुख्य टक्कर रहती है. मीरापुर में पिछला चुनाव बसपा के जमील अहमद कासमी ने आरएलडी के उम्मीदवार को हराकर जीता था. मुजफ्फरनगर की सीट बीजेपी और सपा के बीच झूलती रही है इस समय इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. पुरकाजी पर पिछले चुनाव में बसपा के अनिल कुमार ने कांग्रेस के दीपक कुमार को हराया था.

बागपत: बागपत विधानसभा सीट आरएलडी के दबदबे वाली सीट मानी जाती है लेकिन पिछले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी की हेमलता चौधरी ने ये दबदबा तोड़ा था. बैरूत सीट पर भी बसपा का ही कब्जा है. पिछले चुनाव में बसपा के लोकेश दीक्षित ने आरएलडी के अश्विनी कुमार को हराया था. जहां तक छपरौली की बात है तो ये सीट आरएलडी का गढ़ रही है और पिछले तीन चुनावों से यहां आरएलडी विनर तो बीएसपी रनरअप रहती आ रही है.

मेरठ: मेरठ जिले में सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं. पिछले पांच चुनाव का इतिहास देखें तो हस्तिनापुर सीट से किसी पार्टी को लगातार दो बार जीत नहीं मिली है. इस समय इस सीट पर सपा के प्रभु दयाल बाल्मीकि विधायक हैं. किठौर सीट सपा का गढ़ बन गई है और पिछले तीन चुनाव से यहां से शाहिद मंजूर साइकिल के चुनाव चिन्ह पर जीत हासिल करते आए हैं. बसपा यहां दूसरे नंबर की पार्टी है. मेरठ से बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी विधायक हैं. पिछले छह में से चार चुनाव यहां बाजपेयी ने ही जीते हैं. मेरठ कैंट भी बीजेपी का गढ़ है और यहां से लगातार छह बार बीजेपी ने ही जीत हासिल की है. पिछले तीन चुनावों से यहां से सत्यप्रकाश अग्रवाल जीतते रहे हैं. मेरठ साउथ से भी पिछले चुनाव में बीजेपी के रवींद्र भड़ाना ने बसपा के हाजी राशिद अखलाक को मात दी थी. सरधना सीट पर 2007 में जरूर बीजेपी चूक गई थी लेकिन 1989 से हुए कुल 7 चुनावों में से पांच बार यहां पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. पार्टी का उग्र चेहरा संगीत सोम यहीं से विधायक हैं. सिवलखास से अलग-अलग पार्टियां चुनाव जीतती रही हैं.

गाजियाबाद: दिल्ली से सटे गाजियाबाद में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं. यहां कि साहिबाबाद सीट पर इस समय बसपा के अमरपाल शर्मा विधायक हैं. 2012 के चुनाव में उन्होंने बीजेपी के सुनील कुमार शर्मा को हराया था. वहीं मुरादनगर सीट पर पार्टी की बजाय राजपाल त्यागी ज्यादा हावी रहे हैं. पिछले चुनाव में जरूर त्यागी को हार का सामना करना पड़ा था लेकिन वे इस सीट पर अलग-अलग पार्टियों से छह बार विधायक रहे हैं. मोदीनगर से आरएलडी के सुदेश शर्मा विधायक हैं. इससे पहले इस सीट पर ज्यादातर बीजेपी का कब्जा रहा है. लोनी सीट से बहुजन समाज पार्टी के जाकिर अली विधायक हैं जिन्होंने पिछले चुनाव में आरएलडी के मदन भैया को पराजित किया था. गाजियाबाद सीट की बात करें तो ये सीट भी कभी बीजेपी का गढ़ मानी जाती थी लेकिन पिछले चार चुनावों से चार अलग-अलग पार्टियों को यहां जीत मिली है.

गौतमबुद्ध नगर: एनसीआर के अहम जिले नोएडा यानी गौतमबुद्धनगर में तीन विधानसभा क्षेत्र दादरी, नोएडा और जेवर आते हैं. दादरी में पिछले दो चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और बीएसपी में रहा है जिसमें बीएसपी के सतवीर सिंह गुर्जर जीतते रहे हैं. जेवर में पिछले तीन चुनावों से बीएसपी जीतती रही है फिलहाल यहां से पार्टी के वेदराम भाटी विधायक हैं. नोएडा सीट बीजेपी के खाते में है. 2012 में महेश कुमार शर्मा यहां से विधायक चुने गए थे लेकिन उनके सांसद चुने जाने के बाद उपचुनाव में बीजेपी की ही विमला बाथम शर्मा विजयी रहीं.

हापुड़: हापुड़ जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र धौलाना, गढ़मुक्तेश्वर और हापुड़(एससी) सीट हैं. धौलाना से सपा के धर्मेश सिंह तोमर विधायक हैं तो गढ़मुक्तेश्वर से पिछले तीन चुनावों में सपा के ही मदन चौहान जीतते रहे हैं. हापुड़ एससी सीट से 2002 और 2007 में बीएसपी के धर्मपाल विजयी रहे थे लेकिन पिछले चुनावों में ये सीट कांग्रेस के खाते में चली गई. धर्मपाल यहां दूसरे नंबर पर रहे.

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