विश्व बैंक की मदद से 235 करोड़ रुपये की लागत से पांच बांध और बैराज परियोजनाओं के मरम्मत कार्य किए जाएंगे….

प्रदेश के पांच बांध व बैराज परियोजनाओं का उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) कायाकल्प करने की तैयारी में है। इसके लिए आसन बैराज, डाकपत्थर बैराज, वीरभद्र (ऋषिकेश) बैराज, मनेरी बांध (उत्तरकाशी) व इच्छाड़ी बांध परियोजनाओं का चयन किया गया है। विश्व बैंक की मदद से 235 करोड़ रुपये की लागत से इन परियोजनाओं के मरम्मत कार्य किए जाएंगे। इससे इन बैराज एवं बांध की आयुसीमा बढ़ेगी और करीब 20 से 30 फीसद विद्युत उत्पादन भी बढ़ने का अनुमान है।

सोमवार को नंदा चौकी स्थित एक होटल में केंद्रीय जल आयोग की तकनीकी समिति की बैठक में विश्व बैंक की ड्रिप परियोजना (डैम रिहेबिलिटेशन एंड इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट) के कार्यों की समीक्षा की गई। बैठक में यूजेवीएनएल ने 235 करोड़ रुपये लागत की पांच बांध एवं बैराज परियोजनाओं के मरम्मत का प्रस्ताव रखा, जिस पर कमेटी ने सहमति दी है। ड्रिप प्रोजेक्ट के तहत प्रथम चरण में डाक पत्थर बैराज, आसन बैराज, वीरभद्र (पशुलोक) बैराज, मनेरी बांध व इच्छाड़ी परियोजना में फाटक एवं उपकरणों की मरम्मत सहित अन्य कार्य किए जाएंगे। जिससे नहरों में पानी अधिक मात्रा में एकत्र किया जा सकेगा। काम पूरा करने के लिए जून 2020 तक का समय तय किया गया है। इससे विद्युत उत्पादन में तो वृद्धि होगी ही साथ ही बांध व बैराज की आयु 30 वर्ष तक बढ़ जाएगी। बैठक में ड्रिप के परियोजना निदेशक प्रमोद नारायण, विश्व बैंक से डॉ. चाबुंगबम राजगोपाल सिंह, केंद्रीय जल आयोग के मुख्य अभियंता गोपाल सिंह, तकनीकी समिति के अध्यक्ष एवं केंद्रीय जल आयोग के सदस्य एनके माथुर, यूजेवीएनएल के एमडी एनएन वर्मा व कई अन्य उपस्थित रहे।

दूसरे चरण के लिए जोशियाड़ा बैराज चयनित 

ड्रिप परियोजना के दूसरे चरण में उत्तरकाशी के जोशियाड़ा बैराज का चयन हुआ है। इसमें सिविल व यांत्रिकी कार्य किए जाएंगे। बैराज की मरम्मत के बाद विद्युत उत्पादन में करीब 30 से 35 फीसद सुधार आने की उम्मीद है।

ये होंगे कार्य

-पावर चैनल की मरम्मत, सुरक्षा संबंधी कार्य, बांध के गेटों की मरम्मत, भवनों का रखरखाव, स्काडा सिस्टम की स्थापना व अन्य नव निर्माण।

एसएन वर्मा (एमडी, यूजेवीएनएल) का कहना है कि विश्व बैंक के ड्रिप प्रोजेक्ट के तहत पांच बांध-बैराज परियोजनाओं के मरम्मत कार्य किए जाएंगे। इससे इनकी विद्युत उत्पादन व आयुसीमा बढ़ेगी। जून 2020 तक यह कार्य पूरे होने हैं। दूसरे चरण में जोशियाड़ा बैराज में काम होगा।

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