विश्व बाल दिवस: बच्चों के विकास के लिए सामने आए 3 सांसद

बच्चों के अधिकारों के लिए अब देश के सांसदों ने भी पहल शुरू कर दी है। यूनिसेफ ने बच्चों के अधिकारों के लिए एक देशभर के सांसदों का एक पार्लियामेंटेरियन ग्रुप का निर्माण किया है जो बच्चों की शिक्षा, साफ-सफाई, बाल मृत्युदर में कमी के साथ साथ  कुपोषण सहित बच्चों से जुड़े अधिकारों पर सांसदों से सवाल करता है।  यूनिसेफ इन सांसदों से ये जानना चाहता है कि उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में बाल अधिकारों और बाल सुरक्षा के लिए क्या क्या कदम उठाए हैं। 
विश्व बाल दिवस: बच्चों के विकास के लिए सामने आए 3 सांसदविश्वभर  के ऐसे करोड़ों बच्चे हैं जिनके हालत पर खास ध्यान देने की जरूरत है, हर देश में और समाज के हर वर्ग में दुर्व्यवहार और हिंसा का शिकार होते हैं। यूनीसेफ 20 नवम्बर को विश्व बाल दिवस के साथ मनाएगा और बाल अधिकारों के कन्वेंशन की 25 वीं वर्षगांठ भी बनाएगा। इस दिन को बच्चों के लिए और बच्चों के द्वारा खास बनाने की कवायद की जा रही है। 

इस कड़ी में महाराष्ट्र से राज्य सभा सांसद, वंदना चव्हाण बताती हैं कि उन्होंने इस कड़ी में दिव्यांग बच्चों विशेषकर वो बच्चे जिन्हे पढ़ने में परेशानी होती है के लिए एक बिल तैयार किया है। वहीं हर बच्चे तक शिक्षा पहुंचे, पानी, साफ सफाई और हाइजिन का ध्यान रखने पर ध्यान दिया है।

लड़कियों के लिए समाज की सोच में बदलाव के साथ 2030 तक हर बच्चे के पास हो शिक्षा के साथ साफ सफाई सभी के लिए काम कर रही हूं। वंदना बताती हैं कि वो इस काम के लिए जिला स्तर पर अधिकारियों से मिल रही हैं और खुले में शौच पर पाबंदी पर भी काम कर रही हैं।उन्होंने पुणे में खराब हो चुकी बसों को टॉयलेट में बदलवाया है और टी टॉयलेट इंटीग्रेशन की शुरुआत की है। 

विश्व बाल दिवस के अवसर पर वो कहती हैं कि हर बच्चे का अधिकार है बेहतर स्वास्थ्य। इस दिन विभिन्न देशभर से 7 बच्चे बुलाए गए हैं जो सांसदों को बच्चों को आने वाली परेशानियों की जानकारी देंगे। इस कार्यक्रम का मकसद बच्चों की आवाज सांसदों तक पहुंचाना है। 

विश्वव बाल दिवस पर सांसदों ने बताया अपने संसदीय क्षेत्र में क्या कर रहे हैं कामवहीं तेलंगाना से लोक सभा सांसद कोंडा विशेश्वर रेड्डी  ने भी अपने संसदीय क्षेत्र को स्वच्छता मिशन से जोड़ा है।  उन्होंने बताया कि मेरे संसदीय क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या स्कूल ड्रॉपआउट्स और छात्रों का खराब प्रदर्शन के साथ बाल मजदूरी है जिसे खत्म किए जाने की ओर काम करने की जरूरत है और हम अपने संसदीय क्षेत्र में इस ओर काम कर रहे हैं।     वहीं हम स्कूलों में टॉयलेट निर्माण कर रहे हैं।                    

जबकि पश्चिम चंपारण में  लोक सभा से  सांसद, डॉ. संजय जायसवाल  कहते हैं कि मैं सिर्फ सांसद के रूप में काम नहीं कर रहा हूं मैं एक डॉक्टर भी हूं और मेरा मानना है कि महिलाओं और बच्चों के लिए स्वास्थ्य सबसे बड़ी समस्या है। मैं महिलाओं के स्वास्थ्य और चाइल्ड मैरिज को लेकर संसद सत्र में कई बार सवाल उठा चुका हूं। मैं यूनिसेफ से कई सालों से जुड़ा हूं। और संसद सहित अपने क्षेत्र में भी महिलाओं के लिए काम कर रहा हूं, नेनोटल हेल्थ और गर्ल चाइल्ड के साथ साथ बाल-मृत्युदर, लड़कियों की शादी, आत्महत्या, महिलाओं के खिलाफ हिंसा सहित कई मुद्दों पर काम कर रहा हूं। 

 डॉ संजय जायसवाल ने बताया कि मैंने मातृत्व लाभ बिल सिर्फ मांओं के लिए लिए पिताओं के लिए भी हो। मेरे क्षेत्र में मैं सुरक्षित मातृत्व अभियान चला रहा हूं। मेरी पत्नी भी डॉक्टर है और हर महीने करीब 300 गर्भवति महिलाओं का मुफ्त चेकअप करते हैं। वहीं मैं आने वाले समय में  स्मोक लेस चूह्ला और बायोगैस प्लांट लगाना चाहता हूं और इसकी सप्लाई हर घर में देने की कोशिश कर रहा हूं जिससे महिलाओं और बच्चों को चूल्हे से निकलने वाले जहरीले धुएं से बचाया जा सके। चिल्ड्रेंस डे पर मैं चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र के ही नहीं बल्कि भारत के बच्चे स्वस्थ और खुश रहें।

 
 
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