सपाक्स: विधानसभा चुनाव में 20 सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस अधिकारियों को चुनावी मैदान में उतार सकती है

सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था (सपाक्स) पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में 20 सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस और एसएएस अधिकारियों को चुनावी मैदान में उतार सकती है। सपाक्स पार्टी प्रत्याशियों के नाम की पहली सूची तैयार कर रही है। टिकट के संभावित उम्मीदवारों में रिटायर्ड आईएएस वीणा घाणेकर, सुधा चौधरी, विजय वाते, सुरेश तिवारी शामिल हैं।सपाक्स: विधानसभा चुनाव में 20 सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस अधिकारियों को चुनावी मैदान में उतार सकती है

सपाक्स पार्टी के संरक्षक और प्रदेशाध्यक्ष डॉ. हीरालाल त्रिवेदी ने कहा, “हां, कई रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस अधिकारियों को उम्मीदवार बनाएंगे।” हालांकि किसको किस विधानसभा सीट से टिकट दिया जाएगा इसका त्रिवेदी ने कोई जवाब नहीं दिया।

पार्टी ब्राह्मण वोट बाहुल्य क्षेत्रों के प्रमुख मंदिरों के पुजारियों को भी चुनाव मैदान में उतार सकती है। पार्टी इसके लिए फीडबैक भी ले रही है। प्रत्याशियों के चयन के लिए संगठन में कुछ कर्मचारी नेताओं के नामों पर भी विचार चल रहा है।

सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी सपाक्स 

सपाक्स ने इससे पहले ऐलान किया था कि आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सपाक्स ने चुनाव लड़ने के लिए अपने 60 से ज्यादा प्रत्याशियों से भी सहमति जता दी है। जिसके बाद सभी उम्मीदवार अपने विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी अभियान में डट गए हैं।

हीरालाल त्रिवेदी मुताबिक वे सभी सीटों पर चुनाव लड़ने और अन्य राजनीतिक पार्टियों को चुनौती देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। चुनाव में सपाक्स एससी-एसटी एक्ट में संशोधन, जातिगत आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ देना, शिक्षा में आरक्षण को खत्म करने जैसे मुद्दों को उठाएगी।

सपाक्स ने दो बड़े राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा को भी आड़े हाथों लिया है। त्रिवेदी का कहना है कि दोनों ही पार्टियों ने हमेशा जातिगत राजनीति की है और लोगों को आपस में लड़ाया है। हम लोगों से जुड़े मुद्दों के लिए लड़ रहे हैं और इसलिए लोग हम से जुड़ रहे हैं।

सपाक्स से सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस, सेना के अधिकारी बड़ी संख्या में जुड़ गए हैं। अन्य राजनीतिक दलों के कुछ बड़े नाम भी सपाक्स में शामिल हो रहे हैं। हम ऐसे नेताओं को आने का निमंत्रण दे रहे हैं जो हमारे विचारों से सहमत हैं, लेकिन पार्टी के कारण इस दिशा में काम नहीं कर पा रहे हैं।

एक फीसदी ही उठा पा रहे फायदा

हीरालाल त्रिवेदी का कहना है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को दी जा रही सुविधाओं का लाभ हकदारों तक नहीं पहुंच रहा है।

इस वर्ग के सिर्फ एक फीसदी लोगों ही इसका फायदा उठा पा रहे हैं। कई लोगों की तो तीन-तीन पीढ़ियों ने एक के बाद एक लाभ लिया है।

हम इस वर्ग के लोगों को भी समझा रहे हैं कि हम आपके साथ हैं और सरकार आपसे किस तरह आपका हक छीन रही है।

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