विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर BJP नेता का झलका दर्द, जाहिर की अपनी नाराजगी 

लगता है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में बुज़ुर्ग नेताओं के अच्छे दिन खत्म हो गए हैं. तभी तो वे लगातार अपनी अहमियत को बताने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने का एक महिला नेता का दर्द फिर झलका. बुजुर्ग महिला नेता और शिवराज सरकार में मंत्री रहीं कुसुम मेहदेले ने पार्टी के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने शनिवार को कहा कि पार्टी में बुज़ुर्ग नेताओं को जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा और यही वजह रही कि बीजेपी को विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. कुसम ने विधानसभा चुनाव में टिकट न दिए जाने पर पार्टी के खिलाफ सार्वजनिक रूप से तो बयान नहीं दिए लेकिन वक़्त वक़्त पर सोशल मीडिया के ज़रिये अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करती रही हैं.विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर BJP नेता का झलका दर्द, जाहिर की अपनी नाराजगी 

कुसुम मेहदेले ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान पार्टी के सामने अजीबों गरीब मांग रख दी. उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी उन्हें या तो टिकट दे या चुनाव न लड़वाने की सूरत में राज्यसभा भेज दे. अगर ये दोनों ही नहीं हो सकता को उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल ही बना दिया जाए. कुसुम का बयान रामकृष्ण कुसमरिया के कांग्रेस में शामिल होने के ठीक एक दिन बाद आया है.

बाबूलाल गौर भी ठोक चुके हैं दावा

बाबूलाल गौर भी लोकसभा चुनाव के पहले दबाव बनाने की राजनीति शुरू कर चुके हैं. वह पिछले कई दिनों से लोकसभा चुनाव में टिकट को लेकर बयान दे रहे हैं. कुछ दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि दिग्विजय सिंह ने उन्हें कांग्रेस के टिकट पर भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा है. इसके बाद गौर ने गाना गाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लोकसभा चुनाव का टिकट मांगा था.

बता दें कि बीजेपी के टिकट पर सांसद, विधायक, मंत्री बने रामकृष्ण कुसमरिया गत शुक्रवार को कांग्रेस में शामिल हो गए थे. वह पार्टी में वरिष्ठ नेताओं को सम्मान नहीं दिए जाने से नाराज थे. राहुल गांधी की मौजूदगी में कुसमरिया कांग्रेस में शामिल हुए थे. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कुसमरिया को अपनी पार्टी के नेताओं से मिलवाया. कुसमरिया ने अपने साथ 15 हजार कार्यकर्ताओं को भी बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल कराया. कुसमारिया का कहना है कि बीजेपी में वरिष्ठ नेताओं का सम्मान नहीं रहा, इसलिए पार्टी छोड़ने का फैसला किया गया है. कांग्रेस का वचन पत्र देखकर लगा कि अब अच्छे दिन आएंगे.

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