विधानसभा चुनाव कराने की संभावना पर विचार विमर्श के लिए निर्वाचन आयोग में एक अहम बैठक बुलाई

 राज्य में लंबित पड़े विधानसभा चुनाव कराने की संभावना पर विचार विमर्श के लिए शुक्रवार को नई दिल्ली में निर्वाचन आयोग भारत सरकार ने एक अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में निर्वाचन अायोग के सभी सदस्यों, राज्य के लिए नियुक्त तीन विशेष पर्यवेक्षकों के अलावा राज्य के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी शैलेंद्र कुमार,राज्य पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह और राज्य के गृहसचिव शालीन काबरा भाग ले रहे हैं।

गौरतलब है कि जून 2018 के दूसरे पखवाड़े में जम्मू कश्मीर में तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के भंग होने के बाद से ही राष्ट्रपति शासन लागू है। पहले उम्मीद की जा रही थी कि निर्वाचन आयोग राज्य में विधानसभा चुनाव संसदीय चुनावों के साथ ही कराएगा। लेकिन मार्च माह के दौरान निर्वाचन आयोग ने संसदीय चुनावों का एलान करते हुए विधानसभा चुनावों को स्थानीय सुरक्षा परिदृश्य के आधार पर कुछ और समय तक टालने की बात करते हुए, तीन पर्यवेक्षक पूर्व नौकरशाह नूर मोहम्मद, पूर्व चुनावायुक्त विनोद जुत्शी और पूर्व पुलिस अधिकारी एएस गिल को नियुक्त किया।

इन पर्यवेक्षकों को जिम्मा दिया गया था कि वह राज्य के हालात का जायजा लेते हुए विधानसभा चुनावों कराने के समय के बारे में अपनी राय दें। यह तीनों पर्यवेक्षक बीते दिनों अपनी रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंप चुके हैं।

संबधित सूत्रों ने बताया कि पर्यवेक्षकों ने जो अपनी रिपोर्ट दी है,उसमें उन्होंने ईद के बाद और श्री अमरनाथ की यात्रा शुरु होने से पहले चुनाव कराने का भी विकल्प दिया है। इसके अलावा उन्होंने श्री अमरनाथ की यात्रा के संपन्न होने के बाद सितंबर-अक्तूबर माह के दौरान या फिर नवंबर-दिसंबर में भी चुनाव कराने के विकल्प का भी अपनी रिपोर्ट में विस्तार से जिक्र किया है। नवंबर दिसंबर में खानाबदोश गुज्जर-बक्करवारल समुदाय ऊपरी इलाकों से नीचले इलाके में आ चुका होता है और वह अपने मताधिकार का प्रयोग आसानी से कर सकता हैं। इससे मतदान का प्रतिशत भी बढ़ेगा।

उन्होंने बताया कि राज्य में विधानसभा चुनाव को लेकर किसी भी तरह के अंतिम फैसले से पूर्व चुनाव आयोग पहले केंद्रीय गृहमंत्रालय और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट पर भी गौर करेगा। हालांकि यह चुनाव जून माह के दौरान कराने की चर्चा है,लेकिन पांच जून को ईद और उसके बाद पहली जुलाई से शुरु होने जा रही श्री अमरनाथ की तीर्थयात्रा के सुरक्षा  कवच के लिए 15 जून से सुरक्षाबलों की तैनाती को देखते हुए इसकी संभावना कम ही है।

सुरक्षाबलों को श्री अमरनाथ की यात्रा के लिए सुरक्षा कवच तैयार करने में कम से कम 15 दिन का समय चाहिए। यह यात्रा पहली जुलाई से 15 अगस्त तक चलेगी। यात्रा के लिए सुरक्षाबलों की तैनाती 15 जून से शुरु होगी। इसके अलावा पाक रमजान का महीना भी पांच जून को समाप्त होगा। इसलिए लोकसभा चुनाव प्रक्रिया के संपन्न होने के बाद राज्य में विस चुनावों के लिए आयोग के पास बहुत ही कम समय उपलब्ध होगा। इस अवधि में तभी चुनाव करया जा सकता है जब चुनाव आयोग राज्य मे लोस चुनावों के लिए आए सुरक्षाबलों की मौजूदगी का लाभ लेते हुए दो से तीन दिन के अंतराल पर विभिन्न चरणों में विधानसभा चुनाव कराने का फैसला करे। लेकिन जून- जूलाई में जम्मू संभाग में बहुत गर्मी होती है, इससे चुनाव प्रचार और मतदान दोनों प्रभावित हो सकते हैं।

उन्होंने बताया कि चुनाव कराने का अंतिम फैसला चुनाव आयोग को ही लेना है और कोई भी अंतिम फैसला आज की बैठक में आ सकता है। 

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