विकास दर के आसार अगले दो साल तक नहीं दिख रहे 8 फीसद

सरकार ने अगले पांच साल में अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ाकर पांच लाख करोड़ डॉलर (करीब 343 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन इसे हासिल करना आसान नहीं होगा। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए सालाना औसतन आठ फीसद विकास दर की दरकार होगी, लेकिन अगले दो साल तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के यह आंकड़ा छूने के आसार नहीं हैं।

खुद वित्त मंत्रलय का अनुमान है कि अगले दो वित्त वर्षो में देश की विकास दर सात से 7.5 फीसद तक रहेगी।वित्त मंत्रलय ने ये अनुमान पांच जुलाई को संसद में पेश किए गए आम बजट 2019-20 के साथ ‘मध्यावधि राजकोषीय नीति विवरण’ दस्तावेज में व्यक्त किए हैं।

इस दस्तावेज में कहा गया है कि प्रचलित मूल्यों पर जीडीपी पिछले वर्ष के मुकाबले 11 फीसद बढ़कर चालू वित्त वर्ष में 2,11,00,607 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इसी तरह प्रचलित मूल्यों पर जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2020-21 में 11.6 फीसद और वित्त वर्ष 2021-22 में 11.9 फीसद रहने का अनुमान है। ‘मध्यावधि राजकोषीय नीति विवरण’ के अनुसार स्थिर मूल्यों पर विकास दर 2020-21 में 7.3 फीसद और 2021-22 में 7.5 फीसद रहने का अनुमान है।

गौरतलब है कि ‘आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19’ में कहा गया है कि 2024-25 तक भारत को पांच लाख करोड़ डॉलर (375 लाख करोड़ रुपये) की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सालाना 8 फीसद विकास दर की दरकार होगी। चालू वित्त वर्ष में देश की विकास दर 7 फीसद रहने का अनुमान है।

ऐसी स्थिति में अगर पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को हासिल करना है तो आने वाले वर्षो में विकास दर कम से कम आठ फीसद बनाए रखनी होगी। हालांकि अर्थव्यवस्था अभी जिस दौर से गुजर रही है, उसमें यह लक्ष्य हासिल करना बेहद मुश्किल होगा। पिछले वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर महज 6.8 फीसद थी, जो विगत पांच वर्षो का निचला स्तर है।

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