वास्तु: दक्षिण दिशा में बनाएं घर का मास्टर बेडरूम

हमारे घरों में जिंदगी की जरूरत की लगभग सभी चीजें मौजूद हैं। यहां लालसा की नहीं, जरूरत की बात हो रही है। फिर भी अगर हमारे जीवन से कुछ गायब है तो वह है सुकून की नींद। हमारे समाज में ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिन्हें नींद संबंधी दिक्कतें सता रही हैं। यहां जानें, इस समस्या से निपटने का आसान वास्तु उपाय…वास्तु: दक्षिण दिशा में बनाएं घर का मास्टर बेडरूम

क्या नींद संबंधी समस्याओं से परेशान हैं?
वास्तु शास्त्र में हमारे द्वारा किए जानेवाले काम की प्रकृति और ब्रह्मांड में मौजूद दिशाओं की प्रकृति को देखते हुए हर घर और कार्यस्थल का निर्माण कराने की सलाह दी जाती है। जब कभी दिशा और कार्य का मेल नहीं होता तो हमारे कामों में व्यवधान आना शुरू हो जाता है। अगर आपके घर में भी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं लगातार बनी हुई हैं तो एक बार घर के मास्टर बेडरूम की दिशा जरूर चेक करें।

कहां होना चाहिए मास्टर बेडरूम?
वास्तु के अनुसार, दक्षिण दिशा घर के मुखिया की दिशा होती है। इसलिए घर का मास्टर बेडरूम दक्षिण दिशा में ही होना चाहिए।

अब जानिए क्यों दक्षिण ही है मास्टर बेडरूम की दिशा?
मन में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि आखिर दक्षिण ही क्यों? दरअसल दक्षिण दिशा के देवता यम तथा मंगल हैं। यम शरीर में आलस्य और शिथिलता लाते हैं और मंगल जातक को चुस्त और सक्रिय बनाते हैं। यम की शिथिलता और आलस्य के कारण ही व्यक्ति पूरी नींद ले पाता है और मंगल की ऊर्जा से घर-परिवार की जिम्मेदारी ठीक तरीके से वहन कर पाता है।

यह है इस दिशा में सोने का लाभ
नींद पूरी न होने की स्थिति में व्यक्ति पूरे दिन थकान का अनुभव करता है, जबकि गहरी और पूरी नींद लेने के बाद व्यक्ति को अपने शरीर में ऊर्जा का संचार महसूस होता है। इसका कारण यम और मंगल का प्रभाव ही होता है।

चुंबकीय प्रभाव करता है मस्तिष्क को शांत
दक्षिण दिशा में मास्टर बेडरूम बनाने की एक और वजह भी है कि दक्षिण दिशा में चुंबकीय प्रभाव के कारण मस्तिष्क शांत रहता है और भरपूर नींद ले पाता है। इसीलिए कहा जाता है कि सोते समय हर व्यक्ति को अपना सिर दक्षिण दिशा की और तथा पैर उत्तर दिशा की तरफ रखने चाहिएं। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन भी सुचारू रहता है।

यह है विपरीत ध्रुवों का फायदा
दक्षिण दिशा में बने शयन कक्ष में इसी दिशा में सिर करके सोने से भरपूर नींद आती है। इसका कारण यह भी है कि दक्षिण दिशा शरीर और पृथ्वी दोनों का विपरीत ध्रुव है। विरोधी ध्रुवों में आकर्षण होता है और यही आकर्षण मनुष्य की बेहतर नींद की वजह बनता है।

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