स्वच्छ भारत अभियान: अब भी 73.2 करोड़ भारतीयों के पास नहीं है शौचालय
19 नवंबर को मनाए जाने वाले ‘विश्व शौचालय दिवस’ से पहले आई इस रिपोर्ट के मुताबिक 2014 अक्टूबर से शुरू हुए स्वच्छता मिशन के अंतर्गत सैनिटेशन कवरेज में 39 प्रतिशत से 65 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। ग्रामीण भारत में 5.2 करोड़ शौचालय बन चुके हैं। 2000 में 78.3 फीसदी लोगों के पास शौचालय नहीं था। पर 2015 में संख्या घटकर 56 फीसदी हो गई।
अन्य देशों की स्थिति
भारत के बाद चीन (34.35 करोड़), नाइजीरिया (12.28 करोड़), इंथोपिया (9.24 करोड़) और बांग्लादेश (8.55 करोड़) में सबसे ज्यादा लोगों के पास शौचालय नहीं है।
खुले में शौच के खतरे
बच्चे हो रहे बीमार: डायरिया से हर साल 60,700 भारतीय बच्चों की मौत होती है। वहीं खुले में शौच के चलते होने वाली बीमारियों से 38 फीसदी बच्चों का शारीरिक विकास बाधित होता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, असम और छत्तीसगढ़ में पांच साल से कम उम्र के सबसे ज्यादा बच्चे डायरिया के शिकार होते हैं।
महिलाओं से छेड़खानी: शौचालय न होने से पूरी दुनिया में 1.1 अरब महिलाएं पढ़ाई छोड़ने की मजबूरी और उत्पीड़न की शिकार होती हैं। ग्रामीण भारत में भी लड़कियों के पढ़ाई छोड़ने और स्कूल न जाने का बड़ा कारण शौच की सुविधा न होना है। एक रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल में सुविधा न होने के चलते 28 फीसदी लड़कियां पीरियड के दिनों में स्कूल नहीं जाती हैं।
किशोर उम्र की लड़कियां, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग और अक्षम व्यक्तियों को शौचालय की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
वाटरएड इंडिया के पालिसी हेड, रमन वीआर