‘वर्क फ्रॉम होम’ मोड में ट्रांसफर से बच गई लाखों नौकरियां, लेकिन…

जुबिली न्‍यूज डेस्‍क
कोरोना काल में देश जानलेवा वायरस के साथ-साथ भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। बेरोजगारी दर बढ़ती जा रही है। आलम ये है कि युवा बेरोजगारी के वजह से अवसाद में आ जा रहे हैं। बीते गुरुवार यानी 17 सितंबर पीएम नरेंद्र मोदी के जन्‍मदिन पर देश के अलग-अलग जगह पर युवाओं ने प्रदर्शन किया और राष्‍ट्रीय बेरोजगारी दिवस मनाया। दूसरी ओर बेरोजगारी के वजह से सुसाइड जैसे मामले में ज्‍यादा सामने आ रहे हैं।
इस बीच एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक ये बात सामने आई है कि पिछले 4 महीनों में 66 लाख वाइट कॉलर जॉब करनेवालों की नौकरियां चली गई हैं। मई से अगस्त के बीच 66 लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 के बाद से रोजगार अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई। इस दौरान 50 लाख इंडस्ट्रियल वर्कर को भी अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा।
सीएमआई के वीकली एनालिसिस के आधार पर यह सर्वे जारी किया गया है। यह सर्वे हर चार महीने में किया जाता है। सैलरी उठाने वाले कर्मचारियों में सबसे बड़ा रोजगार का नुकसान व्हाइट कॉलर प्रोफेशनल और बाकी कर्मचारियों का हुआ है, जिसमें सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर, टीचर, एकाउंटेंट समेत कई सेक्टर के पेशेवरों की नौकरी गई है, जो किसी प्राइवेट और सरकारी संस्था में नौकरी करते थे। हालांकि, इसमें योग्य स्वरोजगार वाले पेशेवर उद्यमी शामिल नहीं हैं।

सीएमआईई के मुताबिक,
“पिछले साल 2019 मई-अगस्त में नौकरी करने वाले व्हाइट कॉलर पेशेवरों की संख्या 1.88 करोड़ थी। इस साल मई-अगस्त के दौरान यह संख्या घटकर 1.22 करोड़ पर आ गई. 2016 के बाद यह इन पेशेवरों की रोजगार की सबसे कम दर है। ”
हालांकि CMIE ने यह भी कहा है कि नौकरी जाने की वजह से लॉकडाउन के दौरान पिछले चार साल में रोजगार के मौकों में हुई बढ़ोतरी को नुकसान पहुंचा है.
सीएमआईआई के मुताबिक, सबसे ज्यादा नुकसान इंडस्ट्रियल वर्कर के मामले में हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है, “अगर साल-दर-साल आधार पर तुलना की जाए तो ऐसे 50 लाख लोगों ने नौकरियां गई हैं। इसका मतलब है कि एक साल पहले के मुकाबले इंडस्ट्रियल वर्कर के रोजगार में 26 फीसदी कमी आई है।”

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