वतन वापसी पर हिंदुस्तान की ‘गीता’ खुश, PAK का ‘रमजान’ है परेशान

mohd-ramzan-1445597147भोपाल। लंबे समय से पाकिस्तान में रह रही भारत की’गीता’ की वतन वापसी की खबरों के बीच मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पिछले दो साल से रह रहे पाकिस्तानी बच्चे ‘रमजान’ के उसके देश लौटने की उम्मीद कागजों के फेर में उलझ कर रह गई है।

सौतेली मां की प्रताड़ना से तंग था रमजान

मूल तौर पर कराची का रहने वाला रम

भोपाल। लंबे समय से पाकिस्तान में रह रही भारत की’गीता’ की वतन वापसी की खबरों के बीच मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पिछले दो साल से रह रहे पाकिस्तानी बच्चे ‘रमजान’ के उसके देश लौटने की उम्मीद कागजों के फेर में उलझ कर रह गई है।

सौतेली मां की प्रताड़ना से तंग था रमजान

मूल तौर पर कराची का रहने वाला रमजान (15) पिछले दो साल से भोपाल की एक संस्था ‘आरंभ’ के बाल गृह’उम्मीद’ में रह रहा है। बांग्लादेश में रह रहे अपने पिता और सौतेली मां की प्रताडना से तंग आकर भारत-बांग्लादेश सीमा के रास्ते भाग कर आया रमजान देश के कई हिस्सों से होता हुआ 22 अक्टूबर 2013 को भोपाल पहुंचा। शासकीय रेलवे पुलिस ने उसे भटकते देख उसे आरंभ संस्था के पास पहुंचा दिया। संस्था ने उसे स्कूल में भी दाखिल कराया, पर अपनी मां से मिलने के लिए व्याकुल रमजान ने पिछले दो महीने से स्कूल जाना भी छोड दिया है।

विदेश मंत्रालय से नहीं मिली कोई भी जानकारी

आरंभ की निदेशक अर्चना सहाय ने बताया कि उन्होंने विदेश मंत्रालय के पास भी बच्चे की जानकारी पहुंचाई, लेकिन वहां से कोई मदद न मिलने के बाद 26 सितंबर को नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास को इस बारे में सूचित किया। दूतावास ने अब बच्चे से जुड़े सभी दस्तावेज पाकिस्तान सरकार को भेज दिए हैं, जिसके बाद अब उन्हें वहां की सरकार से बच्चे की नागरिकता संबंधी दस्तावेजों को लेकर जवाब का इंतजार है।

पाकिस्तान के ह्यूमन राइट्स कार्यकर्ता ने दी बच्चे के बारे में जानकारी

उन्होंने बताया कि पिछले दिनों उन्होंने पाकिस्तान के ख्यातिप्राप्त मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी से भी बच्चे के बारे में जानकारी साझा की, जिसके बाद अब उन्होंने रमजान के नाना-नानी और दादा-दादी की नागरिकता साबित करने वाले पासपार्ट भेजे हैं, लेकिन रमजान की मां की नागरिकता से जुड़ा कोई प्रमाणपत्र नहीं होने के कारण अब भी उसकी वापसी को लेकर संदेह कायम है।

सोशल मीडिया की मदद से मिली मां और बहन

सहाय के मुताबिक फरवरी 2014 में बच्चे के बांग्लादेश से भाग कर आने और उसका मूल तौर पर पाकिस्तानी होने का पता चलते ही उन्होंने पुलिस प्रशासन और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, मप्र को इस बारे में जानकारी दी, लेकिन कहीं से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया न मिलने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर बच्चे की जानकारी वायरल की। सोशल मीडिया के माध्यम से ही बच्चे की मां और बहन से संपर्क हो सका।

पिता ने मां और बहन से किया दूर

अपने बच्चे की जल्द वापसी की कामना कर रही कराची की मूसा कॉलोनी निवासी रमजान की मां अब उसे नियमित तौर पर फोन करती है। छोटी सी उम्र में सीमाओं के फेर में उलझे रमजान के अनुसार उसका पिता उसकी मां और बहन को कराची में छोडकर उसे लेकर बांग्लादेश चला गया। वहां सौतेली मां की प्रताडना के कारण रमजान ने अपनी मां से मिलने के लिए घर छोड दिया और अगरतला, कोलकाता, रांची, दिल्ली होता हुआ भोपाल पहुंच गया।

आईबी और सीआईडी कर चुके पूछताछ

सहाय ने बताया कि रमजान के पाकिस्तानी मूल का होने के कारण सीआईडी और खुफिया ब्यूरो भी उससे पूछताछ कर चुका है, लेकिन अब रमजान की बचपन की तस्वीरें और उसकी मां से हुए संपर्क के बाद उसकी पहचान को लेकर उन्हें कोई संदेह नहीं बचा है।

जान (15) पिछले दो साल से भोपाल की एक संस्था ‘आरंभ’ के बाल गृह’उम्मीद’ में रह रहा है। बांग्लादेश में रह रहे अपने पिता और सौतेली मां की प्रताडना से तंग आकर भारत-बांग्लादेश सीमा के रास्ते भाग कर आया रमजान देश के कई हिस्सों से होता हुआ 22 अक्टूबर 2013 को भोपाल पहुंचा। शासकीय रेलवे पुलिस ने उसे भटकते देख उसे आरंभ संस्था के पास पहुंचा दिया। संस्था ने उसे स्कूल में भी दाखिल कराया, पर अपनी मां से मिलने के लिए व्याकुल रमजान ने पिछले दो महीने से स्कूल जाना भी छोड दिया है।

विदेश मंत्रालय से नहीं मिली कोई भी जानकारी

आरंभ की निदेशक अर्चना सहाय ने बताया कि उन्होंने विदेश मंत्रालय के पास भी बच्चे की जानकारी पहुंचाई, लेकिन वहां से कोई मदद न मिलने के बाद 26 सितंबर को नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास को इस बारे में सूचित किया। दूतावास ने अब बच्चे से जुड़े सभी दस्तावेज पाकिस्तान सरकार को भेज दिए हैं, जिसके बाद अब उन्हें वहां की सरकार से बच्चे की नागरिकता संबंधी दस्तावेजों को लेकर जवाब का इंतजार है।

पाकिस्तान के ह्यूमन राइट्स कार्यकर्ता ने दी बच्चे के बारे में जानकारी

उन्होंने बताया कि पिछले दिनों उन्होंने पाकिस्तान के ख्यातिप्राप्त मानवाधिकार कार्यकर्ता अंसार बर्नी से भी बच्चे के बारे में जानकारी साझा की, जिसके बाद अब उन्होंने रमजान के नाना-नानी और दादा-दादी की नागरिकता साबित करने वाले पासपार्ट भेजे हैं, लेकिन रमजान की मां की नागरिकता से जुड़ा कोई प्रमाणपत्र नहीं होने के कारण अब भी उसकी वापसी को लेकर संदेह कायम है।

सोशल मीडिया की मदद से मिली मां और बहन

सहाय के मुताबिक फरवरी 2014 में बच्चे के बांग्लादेश से भाग कर आने और उसका मूल तौर पर पाकिस्तानी होने का पता चलते ही उन्होंने पुलिस प्रशासन और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, मप्र को इस बारे में जानकारी दी, लेकिन कहीं से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया न मिलने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर बच्चे की जानकारी वायरल की। सोशल मीडिया के माध्यम से ही बच्चे की मां और बहन से संपर्क हो सका।

पिता ने मां और बहन से किया दूर

अपने बच्चे की जल्द वापसी की कामना कर रही कराची की मूसा कॉलोनी निवासी रमजान की मां अब उसे नियमित तौर पर फोन करती है। छोटी सी उम्र में सीमाओं के फेर में उलझे रमजान के अनुसार उसका पिता उसकी मां और बहन को कराची में छोडकर उसे लेकर बांग्लादेश चला गया। वहां सौतेली मां की प्रताडना के कारण रमजान ने अपनी मां से मिलने के लिए घर छोड दिया और अगरतला, कोलकाता, रांची, दिल्ली होता हुआ भोपाल पहुंच गया।

आईबी और सीआईडी कर चुके पूछताछ

सहाय ने बताया कि रमजान के पाकिस्तानी मूल का होने के कारण सीआईडी और खुफिया ब्यूरो भी उससे पूछताछ कर चुका है, लेकिन अब रमजान की बचपन की तस्वीरें और उसकी मां से हुए संपर्क के बाद उसकी पहचान को लेकर उन्हें कोई संदेह नहीं बचा है।

 

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