वंदे भारत रेल को लेकर रेलवे ने दिए ये बड़े संकेत, विदेशी कंपनियों की बढ़ सकती है भागीदारी

 वंदे भारत एक्‍सप्रेस ट्रेन प्रोजेक्‍ट को लेकर बड़े संकेत मिले हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस श्रृंख्‍ला की 40 नई ट्रेनों का टेंडर रद होने के बाद अब इन ट्रेनों के निर्माण में विदेशी कंपनियों की भागीदारी बढ़ जाएगी। इन कंपनियों को भारत में ही मैनुफैक्चरिंग सेेटअप लगाने की सुविधा मिलेगी। हालांकि इसमें अभी समय लगेगा। इस बीच वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन विदेश से आयात की जाएगी या फिर विदेशी कंपनी भारत में ही इसका निर्माण करेंगी, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। चर्चाएं हैं कि अब वंदे भारत एक्सप्रेस की भागीदारी में जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, जापान, चीन आदि विदेशी कंपनियों की भागीदारी बढ़ेगी।

40 वंदे भारत नई ट्रेन निर्माण का टेंडर रद होने के बाद आयात को लेकर चर्चा तेज

जल्द ही रेलवे वंदे भारत एक्सप्रेस का टेंडर फिर से डालेगा, जिसके बाद पूरी स्थिति स्पष्ट होगी। टेंडर के बाद जो कंपनियां शार्टलिस्ट की जाएंगी, उन्हें बड़े पैमाने पर काम दिए जाने पर विचार विमर्श चल रहा है। फिलहाल चेन्‍नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आइसीएफ) से दो नई ट्रेनें पटरी पर आ चुकी हैं। इनमें से एक नई दिल्ली से वाराणसी के लिए दौड़ रही है, दूसरी नई दिल्ली से कटड़ा के बीच दौड़ेगी।

तीसरी ट्रेन के लिए स्पेन की एक कंपनी को टेंडर अलाट किया जा चुका है, जिसका काम 18 माह में पूरा करना है। वंदे भारत एक्सप्रेस को लेकर ही 2 जुलाई को रेल मंत्री पीयूष गोयल और भारत और विदेशी 19 कंपनियों के बीच में बैठक हुई थी।

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टेंडर रद के कारण स्पष्ट नहीं : रेल राज्य मंत्री

रेल राज्य मंत्री सुरेश सी अंगड़ी ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि वंदे भारत एक्सप्रेस के टेंडर रद करने के कारण स्पष्ट नहीं हैं। इस बारे में चेयरमैन से ही पूछकर बताया जा सकता है। वंदे भारत एक्सप्रेस को विदेश से आयात किए जाने की चर्चाएं हैं, इस सवाल पर रेल राज्य मंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया के तहत ही इसका निर्माण किया जाएगा। सुरेश अंगाड़ी रविवार को अंबाला छावनी के एसडी कालेज में आयोजित राष्ट्रीय रेल मेले में आए थे। वहीं मौजूद रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने कहा कि जल्द ही टेंडर डाल दिए जाएंगे, लेकिन विदेश से आयात की जाएगी या नहीं इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं की।

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यह है मामला

वंदे भारत एक्सप्रेस के 40 नई ट्रेन बनाने के लिए आठ कंपनियों ने भागीदारी की थी, जिसमें से रेलवे ने मेधा सर्वो ड्राइव्स लिमिटेड को दो और स्पेन की एक कंपनी को एक रैक (ट्रेन) बनाने की हामी भरी थी। रेलवे के इस फैसले पर मेधा ने सवाल उठाते हुए वंदे भारत रैक के निर्माण से हाथ खींच लिए थे। दो रैक बनाने का आर्डर मिलने पर मेधा ने आपत्ति जताई और कहा कि रेट कम करने के बावजूद 80 फीसद की जगह महज उनको महज दो रैक ही बनाने की हरी झंडी दी गई।

कंपनी ने कहा कि वह मात्र दो रैक के लिए कम की गई कीमत पर काम करने में सक्षम नहीं है। ऐसे में अर्नेस्ट मनी डिपाजिट (ईएमडी), जो 20 लाख रुपये है, उसे रिलीज किया जाए। यह रैक इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में बनाए जाने थे। इसी बीच रेलवे ने वंदे भारत और रेलवे मेन लाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (मेमू), इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) और एयर कंडीशंड ईएमयू के सभी टेंडर रद कर दिए। यह टेंडर करीब 3 हजार करोड़ रुपये के बताए जाते हैं।

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