लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की संभावना को देखते हुए कांग्रेसी दावेदारों में मची खलबली

अकाली दल छोड़कर सांसद शेर सिंह घुबाया के कांग्रेस में शामिल होने का विरोध शुरू हो गया है। वहीं घुबाया के फिरोजपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की संभावना को देखते हुए कांग्रेसी दावेदारों में खलबली मच गई है। मंगलवार को प्रदेश सचिव हरदीप सिंह ढिल्लों ने प्रेसवार्ता कर कहा कि कांग्रेस को किसी भी पार्टी से आने वाले नेता को तभी चुनाव लड़ने और अन्य जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए जब उसे तीन वर्ष हो जाएं। ढिल्लों, खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी के काफी नजदीक हैं।लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की संभावना को देखते हुए कांग्रेसी दावेदारों में मची खलबली

इससे माना जा रहा है ढिल्लों अपने जरिये सोढ़ी का ही संदेश कांग्रेसी के हाईकमान राहुल गांधी तक पहुंचाना चाहते हैं। सोढ़ी भी फिरोजपुर लोकसभा सीट से चुनाव की दावेदारी हाईकमान के समक्ष जता चुके हैं। ढिल्लों ने पत्रकारों से कहा कि जब घुबाया अकाली दल में थे, तो कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं पर झूठे परचे दर्ज करवाए थे। कांग्रेस का नियम है कि जो व्यक्ति तीन साल तक पार्टी की सेवा करता है उसे ही कोई बड़ा ओहदा दिया जाता है। एक सवाल के जवाब में ढिल्लोंं ने कहा कि घुबाया का पार्टी में आने का वह स्वागत करते हैं लेकिन पार्टी अपने नियमों को ध्यान में रख कर घुबाया को कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपे।

जब ढिल्लोंं से पूछा गया कि क्या आप सोढी का संदेश अपने जरिये कांग्रेस हाई कमान तक तो नहीं पहुंचाना चाहते हैं, तो उन्होंने कहा कि मैं सोढी का नाम ही नहीं लिया है, मैं खुद कांग्रेस का वर्कर हूं और अपनी बात पार्टी में रख सकता हूं। ढिल्लोंं की प्रेसवार्ता से संकेत मिलता है घुबाया को फिरोजपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की हरी झंडी मिलने की उम्मीद से फिरोजपुर में कांग्रेसी नाराज नजर आ रहे हैं। कांग्रेसियों की आपसी गुटबाजी के चलते पिछले 25 वर्षों से कांग्रेस फिरोजपुर लोकसभा सीट हारती आ रही है।

फिरोजपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार हो सकते हैं सांसद

फिरोजपुर लोकसभा सीट से लगातार दो बार सांसद शेर सिंह घुबाया ने सोमवार को अकाली दल की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से त्यागपत्र देते हुए मंगलवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया है। दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पंजाब प्रभारी आशा कुमारी और सांसद सुनील जाखड़ की मौजूदगी में घुबाया को पार्टी में शामिल किया। उम्मीद है कि कांग्रेस फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र से घुबाया को चुनाव मैदान में उतार सकती है, क्योंकि घुबाया राय सिख बिरादरी से संबंधित है और यहां पर लगभग ढाई लाख वोटें राय सिख बिरादरी की हैं।

फिरोजपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस पिछले लगभग 25 साल से हारती आ रही है। अकाली दल के साथ पैदा हुए मतभेदों के बाद घुबाया ने साफ तौर पर कहा था कि अगर कांग्रेस उन्हें टिकट देती है तो वे शामिल होंगे। 10 वर्ष तक अकाली सांसद रहते हुए विधानसभा चुनाव में जब घुबाया ने अपने बेटे दविंद्र घुबाया को कांग्रेस में शामिल कर फाजिल्का से विधायक बनाया तो उसी समय यह तय हो गया था कि 2019 के चुनावों से पहले वह अकाली दल छोड़ कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में अकाली उम्मीदवार शेर सिंह घुबाया ने 450900 वोट हासिल कर कांग्रेस के जगमीत सिंह बराड़ को हराया था।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में 487932 वोट लेकर सुनील कुमार जाखड़ को पराजित किया। लगातार दो बार अकाली दल के सांसद रहने के बाद भी घुबाया के संबंध पार्टी के साथ बेहतर नहीं बन पाए और इतना ही नहीं गत वर्ष अक्टूबर माह में एक साक्षात्कार के दौरान  घुबाया ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि वह अब शिअद प्रधान  सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में कार्य नहीं कर सकते। फिरोजपुर लोकसभा सीट पर पिछले 25 वर्षों से अकाली दल का कब्जा रहा है। घुबाया से पहले लगातार तीन बार अकाली दल के दिवंगत सांसद जोरा सिंह मान विजयी रहे।  इससे पहले भवर्ष 1991 और 1996 में लगातार दो बार बसपा के मोहन सिंह फलियांवाला विजयी हुए हैं।

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