लोकसभा चुनाव 2019: BJP ने जोशी का ट‍िकट काटकर सत्यदेव पचौरी को देकर खेला दांव, सपा और कांग्रेस दे रही चुनौती

लोकसभा चुनाव 2019 के ल‍िए चौथे चरण में उम्मीदवारों की अंत‍िम ल‍िस्ट के साथ स‍ियासी पारा चढ़ गया है. इस बार उत्तर प्रदेश की कानपुर लोकसभा सीट से 14 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने सीन‍ियर लीडर और वर्तमान सांसद मुरली मनोहर जोशी का ट‍िकट काटकर सत्यदेव पचौरी को द‍िया है. वहीं, समाजवादी पार्टी से राम कुमार चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस ने श्रीप्रकाश जायसवाल को उतारा है.

इसके अलावा सभी जन पार्टी, भारतीय शक्त‍ि चेतना पार्टी, श‍िवसेना, भारतीय राष्ट्रीय मोर्चा, साफ पार्टी, राष्ट्रीय जनमत पार्टी, आधुन‍िक भारतीय पार्टी, आजाद भारत पार्टी (डेमोक्रेट‍िक) के साथ तीन न‍िर्दलीय भी चुनाव मैदान में हैं.

बता दें क‍ि उत्तर प्रदेश की 80 में से 13 सीटों पर 29 अप्रैल को चौथे फेज में मतदान होना है. 10 मार्च को लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा होने के बाद देश,  चुनावी माहौल में आ गया था. 2 अप्रैल को इस सीट के ल‍िए नोट‍िफ‍िकेशन न‍िकला, 9 अप्रैल को नॉम‍िनेशन की अंत‍िम तारीख, 10 अप्रैल को स्क्रूटनी और 12 अप्रैल को नाम वाप‍िसी की अंत‍िम तारीख थी. अब 29 अप्रैल के मतदान के ल‍िए सभी दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है. लोकसभा चुनाव 2019 के चौथे चरण में 9 राज्यों की 71 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है. मतदान का पर‍िणाम 23 मई को आना है.

उत्तर प्रदेश में गंगा के किनारे बसा औद्योगिक शहर कानपुर देश की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीटों मे से एक है. इसे ‘लेदर सिटी’ के नाम से भी जाना जाता है. एक दौर में कपड़ा उद्योग के चलते इसे ‘पूर्व का मैनचेस्टर’ कहा जाता था. हालांकि वक्त और सरकार की उपेक्षा के चलते यह शहर अपनी पहचान खोता चला गया और देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया.

सियासी तौर पर 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी को मैदान में उतारकर कांग्रेस की ओर से जीत की हैट्रिक लगा चुके श्रीप्रकाश जायसवाल को करारी मात दे दी और यहां से भगवा ध्वज फहराने में कामयाब रही.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

आजादी के बाद से अब तक कानपुर संसदीय सीट पर 17 बार चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस इस सीट पर महज 6 बार जीत का परचम लह रहा चुकी है, बाकी 11 बार निर्दलीय और बीजेपी सहित अन्य पार्टियों ने जीत हासिल की है. पहली बार 1952 में हुए चुनाव में कांग्रेस के हरिहरनाथ शास्त्री ने जीत दर्ज की थी. 1957 में दूसरी बार हुए चुनाव में यह सीट कांग्रेस के हाथों से निकल गई.

1957 से 1971 तक एसएम बनर्जी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कानपुर सीट का प्रतिनिधित्व किया. इसके बाद 1977 में भारतीय लोकदल से मनोहर लाल ने जीत हासिल की. इसके बाद 1980 में आरिफ मो. अहमद ने जीत हासिल करते हुए कांग्रेस की वापसी कराई, लेकिन 9 साल बाद 1989 में कांग्रेस के हाथ से यह सीट फिर से निकल गई और सीपीएम से सुभाषनी अली ने जीत दर्ज कराई.

राम मंदिर आंदोलन के दौरान बीजेपी ने कानपुर सीट पर अपना कब्जा जमाया. 1991 में जगतवीर सिंह ने पहली बार यहां से बीजेपी का परचम लहराया. इसके बाद बीजेपी 1996 और 1998 में भी यहां से जीतने में कामयाब रही. कांग्रेस ने 1999 लोकसभा चुनाव में श्रीप्रकाश जायसवाल को उतारकर बीजेपी के मजबूत हो रहे दुर्ग को भेदने में सफल रही. इसके बाद वो 2004 और 2009 में भी यहां से जीतने कामयाब रहे. लेकिन 2014 के चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी का इस सीट पर फिर से कब्जा हो गया.

सामाजिक ताना-बाना

कानपुर लोकसभा सीट पर 2011 के जनगणना के मुताबिक कुल जनसंख्या 22,26,317 है जिसमें 100 फीसदी शहरी आबादी है. अनुसूचित जाति की 11.72 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की 0.12 फीसदी आबादी यहां रहती है. इसके अलावा ब्राह्मण, वैश्य और मुस्लिम मतदाता के अलावा पंजाबी वोटर भी निर्णयक भूमिका में हैं.

पांच में चार पर बीजेपी का कब्जा

कानपुर संसदीय सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें गोविंद नगर, सिसामऊ, आर्य नगर, किदवई नगर और कानपुर कैंट विधानसभा सीट शामिल हैं. मौजूदा समय में इनमें से दो सीटों पर समाजवादी पार्टी, दो सीटों पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस का कब्जा है.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में कानपुर संसदीय सीट पर 51.83 फीसदी मतदान हुआ था. बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 2,22, 946 मतों से करारी मात दी थी.

चुनाव में बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी को 4,74,712 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल को 2,51,766 वोट. बसपा के सलीम अहमद के खाते में 53,218  वोट गए, वहीं सपा के सुरेंद्र मोहन अग्रवाल को 25,723 वोट मिले.

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