लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने बनाई यह रणनीति, विधानसभा में छोड़ सकती हैं सीटें

कुछ महीनों बाद निर्धारित आम चुनाव में अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा करने के मकसद से कांग्रेस बड़ा डील करने की तैयारी में है। विधानसभा चुनाव से संबंधित कुछ सीटों को वह त्यागकर लोकसभा चुनाव का बड़ा हिस्सा लेना चाहती है। कांग्रेस की इस चाहत का नुकसान महागठबंधन की छोटी पार्टियों को उठाना होगा। जिन्हें राज्य के दायरे में ही समेटने की कोशिश होगी। हालांकि राजद और झाविमो जैसी पार्टियों के लिए कांग्रेस के बाधक नहीं बनने की बात भी कही जा रही है। क्योंकि ये पार्टियां कांग्रेस के लिए अधिक भरोसेमंद रही हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा अपने हिसाब से मोल-तोल कर ही लेगा और कांग्रेस से कम सीट पर दावेदारी जैसी बातें अभी सामने नहीं आ रही हैं।लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने बनाई यह रणनीति, विधानसभा में छोड़ सकती हैं सीटें

लोकसभा में अधिक सीट जीतने की कांग्रेस की तमन्ना का शिकार कौन बनेगा यह अहम सवाल है। झामुमो तो बनने से रहा। मोर्चा कांग्रेस से अधिक सीटें नहीं तो कम भी लेने से रहा। इसके लिए कांग्रेस को विधानसभा का मोह त्यागना पड़ेगा और यह भी तय माना जा रहा है। कांग्रेस विधानसभा उपचुनावों में लगातार मिली जीत के बावजूद अपनी दावेदारी को सीमित रखते हुए लोकसभा पर नजर रखेगी।

पलामू, कोडरमा, चतरा पर सबकी नजर 
महागठबंधन में बिहार से सटी लोकसभा सीटों पर राष्ट्रीय जनता दल की मजबूत दावेदारी है तो इन सीटों पर झारखंड विकास मोर्चा भी पकड़ रखता है। चतरा, कोडरमा और पलामू के लिए घमासान बढ़ेगा और तीनों सीटों पर कांग्रेस को अपने ही पुराने सहयोगियों राजद और झाविमो को विश्वास में लेना होगा।

बराबर-बराबर सीटें बांट सकती हैं दोनों बड़ी पार्टियां 
महागठबंधन में झामुमो और कांग्रेस 6-6 सीटों पर बंटवारा का पैकेज स्पष्ट नजर आ रहा है। हाल ही में कांग्रेस में शामिल गीता कोड़ा अथवा उनके पति पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के लिए एक सीट छोडऩे की बात हो रही है। यह सीट किसके खाते से जाएगी अभी तय नहीं है। इसी कारण से मधु कोड़ा अभी तक किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं। कांग्रेस भी उनके शामिल नहीं होने के दावे करती फिर रही है।

नंबर दो और नंबर तीन की सीटों पर संशय
जिन विधानसभा क्षेत्रों में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नंबर दो अथवा नंबर तीन पर रही वह सीटें छूटने के अधिक आसार हैं। नंबर दो में भी जहां हार-जीत का अंतर बड़ा था वहां कांग्रेस समझौता कर लोकसभा के लिए अधिक दबाव बनाने का गेम कर सकती है।

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