लोकनृत्य, समूह गान एवं चित्रकला प्रतियोगिताओं में देश-विदेश के छात्रों ने बिखेरा अपना जलवा

अन्तर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक ओलम्पियाड ‘सेलेस्टा इण्टरनेशनल-2018’ का दूसरा दिन

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, अलीगंज (प्रथम कैम्पस) द्वारा आयोजित चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय साँस्कृतिक ओलम्पियाड ‘सेलेस्टा इण्टरनेशनल-2018’ के दूसरे दिन आज श्रीलंका, बांग्लादेश एवं देश के विभिन्न राज्यों से पधारे प्रतिभागी छात्रों ने अपनी कलात्मक प्रतिभा का ऐसा जलवा बिखरा कि सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम का वातावरण संगीतमय हो गया और दर्शक भी छात्रों की अद्भुद प्रतिभा के कायल हो गये।  ‘सेलेस्टा इण्टरनेशनल-2018’ के अन्तर्गत आज दूसरे दिन की शुरुआत प्रार्थना सभा एवं सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी के सारगर्भित अभिभाषण से हुई। डा. गाँधी ने कहा कि केवल किताबी ज्ञान के सहारे समाज का निर्माण संभव नहीं है, इसके लिए युवा पीढ़ी की रचनात्मक सोच, व्यावहारिक ज्ञान व सृजनात्मक क्षमता को एक नया आयाम देने की जरूरत है। डा. गाँधी ने देश-विदेश से पधारे छात्रों का आहवान किया कि वे अपने ज्ञान-विज्ञान का उपयोग मानवता के हित में करने का संकल्प लें।

‘सेलेस्टा इण्टरनेशनल’ के अन्तर्गत प्रतियोगिताओं का सिलसिला आज प्रातः समूह गान प्रतियोगिता से हुआ, जिसमें श्रीलंका, बांग्लादेश समेत देश के विभिन्न राज्यों से पधारी 35 छात्र टीमों ने अपनी कला का भरपूर प्रदर्शन किया। प्रत्येक प्रतिभागी टीम में छात्रों समेत कुल 10 सदस्य शामिल थे, जिन्होंने पारम्परिक परिधानों, वाद्ययंत्रों एवं विशिष्ट वेषभूषा के साथ अपनी गायल कला का प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता में छात्र टीमों को ‘पीस’, ‘यूनिवर्सल ब्रदरहुड’ एवं ‘पैट्रियाटिज्म’ विषय पर वृंदगान प्रस्तुत करना था। प्रतिभागी छात्रों ने ‘धन्य विश्व महान, धन्य हिन्दुस्तान’, ‘बढ़े चलो नौजवाँ’, ‘भारत माँ तुझे शत् शत् नमन’, ‘इस मिट्टी के वंदे हैं हम’, ‘वंदे मातरम्,,,, सुजलाम्…. सुफलाम्…’ आदि शानदार गीतों से देशभक्ति व भाईचारे की सरिता बहाई। इसी प्रकार अन्य प्रतिभागी टीमों ने अपने शानदार प्रदर्शन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

‘आर्ट एण्ड पेन्टिंग प्रतियोगिता’ में भी देश-विदेश की प्रतिभागी छात्रों की कलात्मक क्षमता देखते ही बनती थी जिन्होंने कागज पर रंगो के सौन्दर्य से अपने विचारों को इस खूबसूरती से उतारा और अपनी भावनाओं को इस कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया कि सभी दर्शक भावविभोर हो गये। इस प्रतियोगिता में 28 टीमों ने प्रतिभाग किया, जिन्हें अपनी प्रतिभा प्रदर्शन हेतु दो घन्टे का समय दिया गया। इस प्रतियोगिता का विषय था ‘मिस्टिकल मेलोडीज’, जिसके माध्यम से देश-विदेश के प्रतिभाशाली छात्रों ने दिखाया कि कैसे संगीत व नृत्य से हम ईश्वरीय गुणों को प्राप्त कर सकते हैं, धरती पर सुन्दरता बिखेर सकते हैं और जीवन मूल्यों की शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। संगीत मन-मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है और जीवन को ईश्वर से जोड़ता है।

अपरान्हः सत्र में आयोजित परम्परागत लोकनृत्य प्रतियोगिता सभी के आकर्षण का केन्द्र रही, जिसमें देश-विदेश से पधारी 30 छात्र टीमों ने विभिन्न लोकनृत्यों के प्रदर्शन से सभी का दिल जीत लिया और सम्पूर्ण ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। प्रत्येक टीम में छः प्रतिभागी छात्र थे। इस प्रतियोगिता में प्रतिभागी छात्रों ने पूरे भाव से अपनी कलात्मक क्षमता का प्रदर्शन किया जिसे दर्शकों ने खूब सराहा और निर्णायकों ने भी उनकी जमकर प्रशंसा की।

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